राजधानी (hct)। सूजोय मंडल यह नाम है पूर्व कोबरा कमांडो सी.आर.पी. 206 बटालियन से, जो वर्ष 2014 मे चिंतागुफा सुकमा मे तैनात थी, तब लोकसभा चुनाव की ड्यूटी के दौरान चुनाव पार्टी को छोड़कर वापस आ रहॆ थे; तभी नक्सलियों की घात लगाकर बैठे दल ने इस टुकड़ी पर हमला बोल दिया।
उस टुकड़ी बटालियन में शामिल कमांडो सुजॉय मंडल ने सीईओ रमेश कुमार सिंग को कहा कि, “जिस रास्ते से हम आए थे उससे वापस नहीं जाना चाहिए।” यह कोबरा के नियम व अभियान शामिल नही है। वह माना नहीं। दूसरा अप्रशिक्षित जवानो की टीम जिन्हे कोबरा की बेसिक ट्रैनिंग नहीँ मिली थी, उसमे से कुछ जवान बीमार भी थे; उन्हें साथ ले जाने को मना भी किया था। तब उनके द्वारा अपनी वरिष्ठता का अभिमान में कमांडो सुजॉय को कहा गया कि “तू सिपाही है मुझे मत सीखा।” और अपनी झूठी घमंड में आकर मनमर्जी का किया। परिणाम दुखद आया। बटालियन के 3 साथी मौके पर ही शहिद हो गए जबकि पाँच लोग घायल हुये थे जिनमे शव एक कमांडो सुजॉय भी था। उक्त टीम से शहीद होने वाला कमांडो चंद्रकांत घोष सुजॉय का मौसेरा भाई था। जिसकी शहादत ने उसे अंदर से तोड़ दिया।
हाईवेक्राइमटाईम को फोन पर उक्त जानकारी देते हुए सुजॉय बताते हैं कि मैने केम्प मे जाना की मेरा डीसी रेंकिंग का अधिकारी कितना निर्दयी/जल्लाद हो सकता है, मेरे विद्रोह करने के बाद मुझे अमानवीय यातना गई। मेरा इलाज भी ढंग से नहीँ होने दिया। 2 साल की गहरी तकलीफ के बाद मेरे सच बोलने की कीमत मुझे पहले निलम्बित किया गया। आज अकारण मुझे सीआरपीएफ़ 206 से बाहर कर दिया गया है। मै सिस्टम से आज भी लड़ रहा हूँ जहाँ तंत्र पूरी तरह से सड़ चूका है। जहाँ सिर्फ आताताई अधिकारियो की ही चलती है…।
आज उक्त घटना को 5 बरस हो चुके हैं जिसे याद करके फोन में ही बात करते हुए कमांडो सुजॉय का गला भर आया और वे इतना बता कर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। कमांडो सुजॉय के हिम्मत और जज्बे को समाचार पोर्टल हाईवेक्राइमटाईम सलाम करता है।