पत्रकार दीपेंद्र की पहल से पैदल यात्रियों को मिली रात्रि पनाह।
कोरिया (hct)। एक तरफ प्रशासन यह कहते नहीं थक रही कि जो लोग जहां फंसे हैं उनके लिए सभी प्रकार की व्यवस्था वहीं की जा रही है, परंतु सवाल यह उठता है कि यदि अगर कोई व्यवस्था की गई है तो यह लोग सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर से पैदल चलकर क्यों आ रहे हैं ? जबकि होना यह चाहिए कि जब सरकार के द्वारा पलायन कर वापस लौट रहे लोगों के गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए अगर किसी वाहन सुविधा की व्यवस्था नहीं की जा सकती तो कम से कम रास्ते में 20 से 50 किमी की दूरी पर सहायता शिविर जहाँ भोजन व्यवस्था के आलावा स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति आवश्यक होता किया ही जा सकता है क्योंकि अभी भी लोगों की वापसी थमी नहीं है।
दर्जन भर से अधिक लोग अंबिकापुर से पैदल चलकर बालाघाट जाने को निकले समूह जिनके साथ छोटे बच्चे भी थे ग्राम जिन्दा पहुंचे ही थे कि रास्ते में मितानिन अध्यक्ष श्रीमती संगीता तथा मितानिन कंचन के द्वारा उन लोगों को ग्राम में ही राशन वितरण कर उनके भोजन आदि का इंतजाम किया गया, प्रदत्त राशन सामग्री में चावल, दाल, तेल, तथा कुछ सब्जियां थी। बातचीत के दौरान पूछे जाने पर उन लोगों के द्वारा बताया गया कि शासन प्रशासन के द्वारा जिस तरह की व्यवस्था किए जाने का ढोल पीटा जा रहा है दरअसल वास्तविकता में उसका दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है व्यवस्था के नाम पर वह दूर के ढोल साबित हो रहे हैं। पूछे जाने पर उन लोगों ने बताया कि वे लोग जहां वह रहते थे, उस ग्राम का नाम ‘साकालो’ है जहाँ के सचिव ने उन लोगों से आधार कार्ड की फोटो कॉपी, नाम, पता और कुछ फॉर्म में साइन कराकर रख लिया गया परंतु उन्हें व्यवस्था के तौर किसी प्रकार की कोई सहायता समय पर उपलब्ध नहीं दी करायी गई है।
हाईवे क्राइम टाइम कोरिया के जिला प्रतिनिधि को जब इस बात की जानकारी मिली जोकि वह उसी मार्ग से अपने निवास को जा रहे थे तब उन्होंने देखा कि रात्रि में कुछ लोगों का समूह तामडाड तिराहा के पास रोड के किनारे बैठे हुए थे, पूछे जाने पर उनके द्वारा उपरोक्त की जानकारी देते हुए बताया कि समय को देखते हुए उनके द्वारा अपने गंतव्य को पहुंचना जरुरी था इसलिए वे उक्त स्थान से आगे बढ़ना ही मुनासिब समझते हुए यहां तक पहुंच गए हैं और चूँकि रात होने की स्थिति में यहीं आराम करने की सोंचकर थोड़ी देर बैठे हुए हैं।
पत्रकार दीपेंद्र शर्मा ने देखा कि वे जिस स्थान पर विश्राम कर रहे हैं वह स्थान पर आराम करने लायक नहीं है चूँकि साथ में बच्चे भी हैं और उन्हें आराम की आवश्यकता भी है अतः स्थिति को भांपकर उसने फोन के माध्यम से तामडाड सरपंच उदय सह से बात किया जहाँ तत्काल ही मौके में पहुंचकर सरपंच ने स्कूल खुलवा रात रुकने की व्यवस्था की।
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