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गरियाबंद पुलिस को नक्सल मोर्चे पर मिली बड़ी सफलता।

ऑटोमेटिक हथियार समेत दो महिला और दो पुरुष माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण।

गरियाबंद hct : छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर चल रही जंग में रविवार, 17 अगस्त 2025 को पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को एक बड़ी उपलब्धि मिली। गरियाबंद जिले में करीब एक दशक से सक्रिय चार हार्डकोर माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में दो महिलाएं रनीता उर्फ पायक़ी , सुजीता उर्फ उर्रे कारम … दोनो बीजापुर जिले से और दो पुरुष दीपक उर्फ भीमा मंडावी , कैलाश उर्फ भीमा भोगम , दोनो सुकमा जिले के शामिल हैं। इन सभी ने अपने पास मौजूद ऑटोमेटिक हथियार भी पुलिस और केंद्रीय बलों के सामने समर्पित कर दिए।

जिला पुलिस लाइन में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला पुलिस, 65वीं बटालियन सीआरपीएफ, 211वीं बटालियन और 207 कोबरा यूनिट की मौजूदगी रही। पुलिस मुख्यालय रायपुर और रायपुर रेंज के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर उपस्थित थे। इस आत्मसमर्पण को नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है।

सुरक्षाबलों के लिए बड़ी उपलब्धि

गरियाबंद पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चन्द्राकर ने बताया कि ये सभी माओवादी लंबे समय से जिले के जंगलों में सक्रिय थे और सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए थे। उन पर कई नक्सली वारदातों में शामिल रहने की आशंका है। चन्द्राकर के मुताबिक, इनका आत्मसमर्पण न सिर्फ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए राहत है, बल्कि नक्सल संगठन की रीढ़ पर बड़ा प्रहार भी है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे सुरक्षाबलों की लगातार दबाव रणनीति, सरकार की पुनर्वास नीति और ग्रामीणों के सहयोग का परिणाम बताया। उनका मानना है कि यह घटना अन्य सक्रिय नक्सलियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगी।

आत्मसमर्पण का असर और भविष्य की उम्मीदें

विशेषज्ञों का मानना है कि इस आत्मसमर्पण से गरियाबंद सहित पड़ोसी जिलों में नक्सलियों का मनोबल टूटेगा। ग्रामीणों में भी यह संदेश जाएगा कि हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास और शांति की ओर बढ़ना ही सही विकल्प है। साथ ही पुलिस को संगठन की गतिविधियों, हथियार सप्लाई और नेटवर्क से जुड़ी अहम जानकारी भी मिलेगी, जो आगे की कार्यवाहियों में निर्णायक साबित होगी।

यह आत्मसमर्पण नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच चल रहे लंबे संघर्ष की दिशा बदलने वाला कदम माना जा रहा है। पुलिस का दावा है कि आने वाले दिनों में और भी नक्सली आत्मसमर्पण के लिए सामने आ सकते हैं।

हथियारों का जमा होना और सुरक्षा इंतज़ाम

आत्मसमर्पित माओवादियों ने अपने पास मौजूद ऑटोमेटिक हथियार भी सुरक्षा बलों के हवाले कर दिए, जिससे उनकी ताकत पर सीधा असर पड़ा है। कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे और मीडिया को भी आमंत्रित किया गया, ताकि आत्मसमर्पण और उससे जुड़े खुलासों की जानकारी सार्वजनिक हो सके।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की रणनीतिक जीत है। इससे आने वाले दिनों में शांति और विकास की राह और मजबूत होगी।

बड़ा सवाल…

आत्मसमर्पण ने भले ही सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा दिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या बाकी सक्रिय नक्सली भी हथियार डालेंगे या फिर हिंसा और आतंक का रास्ता चुनते रहेंगे? इस जवाब की प्रतीक्षा पूरे क्षेत्र को है।

मुकेश सोनी, संवाददाता
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