सावधान। “फेक न्यूज़” के बहाने “पत्रकारों पर नकेल” कसने की तैयारी में सरकार।
एनसीआर की तर्ज पर एसआरजे (स्टेट रजिस्टर ऑफ जॉर्नलिस्ट)
रायपुर। केंद्र सरकार की पिछलग्गू बनी प्रदेश सरकार। जिस तरह केंद्र में मोदी सरकार ने तमाम मीडिया को अपने नियंत्रण में ले रखा है और ये मीडिया वाले वही परोस रहे हैं; जो नरेन्द्र मोदी चाहता है, उसी तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी मीडिया को डराने और कब्जाने की नीति अमल होने जा रही है ! आश्चर्य इस बात का है कि जिस मीडिया के सहारे प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता हासिल किया है; अब उसी मीडिया पर खतरे का बदल मंडराता दिखाई पड़ रहा है।
इन सबके पीछे का मूल कारण यह है कि विगत दिनों प्रदेश में केंद्र सरकार के इशारे में यहां के भ्रष्ट नौकरशाहों पर आईटी का छापा पड़ा; उससे सरकार की चूलें हिल गई है और उसी छटपटाहट में प्रदेश के मुखिया के इशारे पर आनन-फानन में एक कमेटी “राज्य स्तरीय फेक न्यूज नियंत्रण एवं विशेष माॅनिटरिंग सेल” गठित कर तमाम मीडिया समूहों पर नकेल कसने की जुगत करने जा रही है।
दिनांक 5 मार्च, 2020 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ‘राज्य स्तरीय माॅनिटरिंग सेल” की बैठक पुलिस महानिरीक्षक; आनंद छाबड़ा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें सदस्य के रूप में आरिफ शेख, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, के.के. शुक्ला, जिला शासकीय अधिवक्ता, एवं कुछ चाटुकार पत्रकार तथा सदस्य, सचिव उमेश मिश्र, संयुक्त सचिव, जनसम्पर्क उपस्थित थे।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बैठक में विभिन्न आपत्तिजनक समाचारों पर विस्तार से चर्चा की गई है। बता दें कि उक्त बैठक में एन.आर.सी. की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में “स्टेट रजिस्टर ऑफ़ जर्नलिस्ट”, कमेटी का गठन हुआ है।
छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस प्रभावितों को लेकर अतिश्योक्तिपूर्ण दावे, आयकर छापों को लेकर अतिश्योक्तिपूर्ण तथा तथ्यहीन समाचार, मुख्यमंत्री की उपसचिव के भूमिगत होने और उनके निवास से 100 करोड़ नगद बरामदगी की फर्जी खबर, कोल घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव का हाथ जैसी खबरें सोशल मीडिया के साथ प्रिंट मीडिया में भी बड़े पैमाने पर आई हैं। माॅनीटरिंग सेल ने ऐसी खबरें जारी करने तथा अग्रेषित करने वाले, व्हाट्सएप समूह के एडमिन, मीडिया हाउस के संचालक और सम्पादकों की भूमिका के संबंध में विस्तृत जानकारी एकत्र करने का निर्णय लिया गया है।