रायपुर hct : देश की सुरक्षा को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक की सुरक्षा एजेंसियों को हिलाकर रख दिया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के निलंबित जवान मोती राम जाट पर पाकिस्तानी महिला जासूसों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। इस साजिश में छत्तीसगढ़ के कोरबा का एक कारोबारी भी शामिल बताया जा रहा है, जो अभी फरार है।
खुफिया जानकारी तक पहुंचा ISI का जाल रायपुर से पहलगाम तक फैली साजिश की जड़ें
यह खुलासा छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क की मौजूदगी की ओर इशारा करता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की गुप्त जांच में कोरबा के एक कारोबारी की संलिप्तता सामने आई, जिसके तार CRPF के निलंबित जवान मोती राम जाट से जुड़े हैं।
इस मामले को सबसे पहले ‘द हितवाद’ अखबार के छत्तीसगढ़ संस्करण के वरिष्ठ पत्रकार मुकेश एस. सिंह ने अपनी खोजी पत्रकारिता के जरिए उजागर किया। उन्होंने दस्तावेजी साक्ष्यों और खुफिया सूचनाओं के आधार पर इस जासूसी नेटवर्क के गंभीर खतरे को सबके सामने रखा।
NIA का गुप्त अभियान स्थानीय प्रशासन को भी नहीं थी भनक
31 मई, 2025 को NIA ने आठ राज्यों—दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, असम और छत्तीसगढ़ में एक साथ छापेमारी की। इस अभियान में कोरबा जिले की एक संदिग्ध जगह पर भी छापा मारा गया, जहाँ एक स्थानीय कारोबारी के पाकिस्तान-समर्थित नेटवर्क से जुड़े होने की आशंका थी। इस अभियान को पूरी गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया, यहाँ तक कि स्थानीय पुलिस, खुफिया एजेंसियों और यहाँ तक कि जिला स्तर के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को भी छापे की पूर्व सूचना नहीं दी गई थी, ताकि अभियान की गोपनीयता बनी रहे।
रायपुर से शुरू हुआ संपर्क,कश्मीर में चढ़ा परवान
मोती राम जाट 2015 से 2017 तक रायपुर के बाराडेरा कैंप में तैनात था। इस दौरान गरियाबंद के संवेदनशील इलाकों में उसकी ड्यूटी थी, जहां उसकी मुलाकात फरार कारोबारी से हुई। बाद में उसका तबादला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ, जहां वह एक पाकिस्तानी महिला जासूस के संपर्क में आया। शुरुआत में सामान्य बातचीत के नाम पर शुरू हुआ यह रिश्ता धीरे-धीरे जासूसी में बदल गया।
गोपनीय जानकारी पहुंची पाकिस्तान सोशल मीडिया बना हथियार
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जाट ने CRPF के संवेदनशील ऑपरेशन, तैनाती और गोपनीय दस्तावेजों की जानकारी पाकिस्तान भेजी। यह नेटवर्क सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए चल रहा था। कोरबा का फरार कारोबारी न सिर्फ सूचनाएं पहुंचाने में शामिल था, बल्कि इस नेटवर्क को स्थानीय स्तर पर मदद भी दे रहा था।
NIA और IB की पैनी नज़र
NIA और इंटेलिजेंस ब्यूरो मिलकर फरार कारोबारी के डिजिटल निशान जैसे मोबाइल, सोशल मीडिया और बैंक खातों पर नजर रखे हुए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस को तकनीकी सहायता देने के निर्देश हैं, लेकिन जांच की कमान NIA के पास है। आशंका है कि यह नेटवर्क कोरबा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें और लोग भी शामिल हो सकते हैं। जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
यह मामला न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता, बल्कि खोजी पत्रकारिता की ताकत को भी दर्शाता है। मुकेश एस. सिंह ने अपनी रिपोर्टिंग से इस जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश कर पत्रकारिता की ताकत को साबित किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा, छोटे शहरों में छिपे जासूस
कोरबा जैसे छोटे शहर में जासूसी नेटवर्क का खुलासा इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान समर्थित ताकतें भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए नए रास्ते तलाश रही हैं। यह एक चेतावनी है कि सामान्य दिखने वाले लोग भी खतरनाक साजिश का हिस्सा हो सकते हैं। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। कोरबा में चल रही NIA की जांच अब राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा खुलासा बन सकती है।
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