कांग्रेस शासित राज्य में संघ पृष्ठभूमि के प्रो. का विरोध; भूपेश ने अपनाया तेवर, खटाई में नियुक्ति।
लम्बे इंतज़ार के बाद कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय को नए कुलपति मिल गया है। जानकारी मिली है कि बलदेव भाई शर्मा, उत्तरप्रदेश से है और संघ विचारधारा के हैं, जिसके चलते उनको घोर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। श्री बलदेव भाई शर्मा पिछले चार दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। छत्तीसगढ़ के केटीयू में साल भर से कुलपति के चयन पर यहाँ अनेक नामों की अटकलें थी। किंतु लम्बे इंतज़ार के बाद भी किसी बाहरी व्यक्ति के चयन से प्रदेश में भारी आक्रोश है। छत्तीसगढ़ से दिए गए नामों में से किसी का चयन नहीं किया गया।
रायपुर। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति का पद विवादों में घिर गया है। विश्वविद्यालय में ज्वानिंग के लिए गुरुवार को पहुंचे नए कुलपति बल्देवभाई शर्मा का जमकर विरोध हुआ। संघ विचारधारा से जुड़े बलदेव भाई शर्मा को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के नए कुलपति बनाए जाने को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद बढ़ गया है। आरएसएस पृष्ठभूमि के प्रो. बल्देवभाई का कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई ने विरोध किया। ज्वानिंग से पहले विद्यार्थियों ने गेट पर ही धरना दे दिया। इसके बाद प्रो. शर्मा जहां बैठे से वहां भी उन्होंने धरना देकर हंगामा किया।
एनएसयूआई (NSUI) के विरोध के बीच बल्देवभाई शर्मा बिना ज्वॉइनिंग के ही लौट गए। अवगत होवे कि बीते 2 मार्च को पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर राज्यपाल ने बल्देवभाई शर्मा के नाम पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद से ही चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था कि कांग्रेस शासित राज्य सरकार में संघ पृष्ठभूमि के प्रो. शर्मा की नियुक्ति के पीछे क्या मंशा है…?
सूत्रों के मुताबिक कुलपति चयन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई चल रही है। जस्टिस किशोर भादुड़ी की कोर्ट में प्रदेश सरकार ने बताया कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति चयन के लिए जारी विज्ञापन को नियुक्ति से पहले पिछले साल 9 अप्रैल 2019 को रद्द कर दिया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील हेमंत गुप्ता ने कहा कि इस आधार पूरी चयन प्रक्रिया खटाई में पड़ गई है और इसमें राजभवन से हुई नियुक्ति भी शामिल है। ऐसे में नए कुलपति की नियुक्ति पर तलवार लटक रही है। इसी बीच एनएसयूआई के प्रदर्शन व हंगामे के बाद प्रो. शर्मा यूनिवर्सिटी परिसर से लौट गए हैं, और उनके कार्यभार को लेकर संशय बना हुआ है। राज्यपाल अनुसुईया उइके 5 मार्च को दिल्ली जा रही हैं। संकेत हैं कि वह यूजीसी के अफसरों से इस पर नियमों को लेकर जानकारी लेंगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुलपति चयन पर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि “राजभवन के अधिकार में जो है, वो उन्होंने किया, पर अब जो हमारे अधिकार में है, वो हम करेंगे।”
बता दें कि कुलपति के लिए सरकार द्वारा सुझाये गए नामों में बलदेव भाई का नाम शामिल नहीं था। इस चयन को लेकर सरकार द्वारा कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।