राज्य सूचना आयोग ने राजकुमार मिश्रा की द्वितीय अपील पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को दिया आदेश।

अफसर अली

आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा को प्रदेश के उच्च व निम्न न्यायिक अधिकारियों के विरुद्ध लंबित विभागीय जांच की जानकारी 30 दिनों के भीतर देने का आदेश

चिरमिरी। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वितीय अपील पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल को प्रदेश के उच्च और निम्न न्यायिक सेवा के अधिकारियों के विरुद्ध लंबित विभागीय जांच की जानकारी 30 दिनों के भीतर प्रदान करने का निर्देश दिया।
राजकुमार मिश्रा,
आरटीआई कार्यकर्ता
ज्ञात हो कि चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने दिनांक 23 जून 2017 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के जन सूचना अधिकारी से दिनांक 30 जून 2017 की स्थिति में प्रदेश में किन-किन निम्न व उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच चल रही है केवल नाम पदनाम व विभागीय जांच आरंभ होने की स्थिति की जानकारी अपने ई-मेल आईडी पर प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के जन सूचना अधिकारी के द्वारा यह जवाब दिया गया कि आपके द्वारा चाही गई जानकारी न्यायिक अधिकारियों से संबंधित गोपनीय जानकारी है साथ ही आपने जिस रूप में जानकारी की मांग की है उस रूप में जानकारी रजिस्ट्री के निरीक्षण एवं जांच शाखा में उपलब्ध नहीं है। उक्त जानकारी प्रदान किए जाने हेतु दस्तावेजों में शोध कर निष्कर्ष निकालने की आवश्यकता होगी। इस आधार पर जानकारी देने से इंकार कर दिया गया। आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा जानकारी प्राप्त नहीं होने पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रथम अपीलीय अधिकारी रजिस्टार जनरल को प्रथम अपील प्रस्तुत किया गया। प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा भी जन सूचना अधिकारी के निर्णय से सहमत होते हुए आरटीआई कार्यकर्ता का प्रथम अपील निरस्त कर दिया गया।
इससे व्यथित होकर 4 अक्टूबर 2017 को आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने दूसरा अपील छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में प्रस्तुत किया। जिसमें आरटीआई कार्यकर्ता ने लिखा कि उसके द्वारा कोई गोपनीय जानकारी नहीं चाहिए गई है, केवल संबंधित न्यायाधीश के नाम, पद नाम व विभागीय जांच आरंभ होने की स्थिति की जानकारी चाही गई है। आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने अपील में लिखा कि प्रदेश के आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अधिकारियों की इस तरह की जानकारी विधानसभा में माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा प्रस्तुत की जा चुकी है, इस कारण न्यायिक सेवा के अधिकारियों के संबंध में भी उक्त जानकारी दिलवाई जाए तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) तथा 20(2) के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही किया जाए।
सूचना आयोग ने अपने आदेश में यह उल्लेख किया कि जन सूचना अधिकारी ने अपने पत्र में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की किस धारा के आधार पर जानकारी देना वर्जित है का उल्लेख नहीं किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत उपलब्ध जानकारी आवेदक को तभी प्रदान नहीं की जावेगी जबकि वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 9 एवं 11 से बाधित हो। जानकारी के मात्र गोपनीय होने के आधार पर प्रदान करने से इनकार नहीं किया जा सकता। जन सूचना अधिकारी का यह कथन कि चाही गई जानकारी उस रूप में उपलब्ध नहीं है जिस रूप में अपीलकर्ता द्वारा जानकारी चाही गई है। जहां तक किसी शासकीय संस्था की विभागीय जांच से संबंधित जानकारी की उपलब्धता का प्रश्न है, प्रत्येक शासकीय संस्था में विभागीय जांच के संबंध में संकलित जानकारी रहती है। जिसको नियमित रूप से आदतन भी किया जाता है। अपीलकर्ता ने केवल संबंधित अधिकारी का नाम पदनाम वह विभागीय जांच आरंभ होने की तिथि की बिल्कुल छोटी सी सरल जानकारी चाहा है। यह अवश्य संभव है कि संकलित जानकारी में इससे कहीं अधिक कालम हो, परंतु इसमें अपीलकर्ता के द्वारा चाही गई जानकारी तो अवश्य सम्मिलित होगी। अतः प्रार्थी को उसके द्वारा चाही गई जानकारी प्रदाय की जानी चाहिए तथा संकलित जानकारी में अपीलकर्ता के द्वारा चाही गई जानकारी से अधिक जानकारी है तो अतिरिक्त जानकारी को विलोपित कर जानकारी प्रदान की जा सकती है। सूचना आयोग ने इसी निर्देश के साथ अपने आदेश दिनांक 7 जनवरी 2019 से 30 दिन के भीतर अपीलकर्ता को रजिस्टर्ड डाक से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए रजिस्टार जनरल माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के लोक प्राधिकारी को निर्देश दिया।
*साभार : aajkadinnews.com 

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *