Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

Chhattisgarh

पुन्नी मेला में पारंपरिक खेल खेलने स्कूली बच्चे व महिलाएं पहुंची।

*किरीट ठक्कर।
राजिम (गरियाबंद)। छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति अत्यंत आकर्षक है। पारम्परिक छत्तीसगढ़ी लोक खेल इसकी विशिष्ट विधाओं में से एक है। जब इसमें प्रौढ़ और बुजुर्ग भी खेलते हैं तो उनमें बचपना लौट आता है। इसी परंपरा को बनाए रखने इस वर्ष माघी पुन्नी मेले में इसे भी स्थान दिया गया।
राज्य सरकार के पर्यटन व संस्कृति विभाग द्वारा अभिनव प्रयास के रूप में इन खेलों को प्रमुख आकर्षण के रूप में आयोजित किया जा रहा है। मंत्री ताम्रध्वज साहू के इस पहल को हर किसी से सराहना मिल रही है।

लौट आया बचपन

पुन्नी मेला में गोटा, बिल्लस, सोलगोटिया, पच्चीसा, नौगोटिया खेलने छत्तीसगढ़ के दूर-दराज मेला पहुंचे महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
खेल खेलने के दौरान महिलाओं ने चर्चा करते हुए बताया कि राजिम में आध्यात्मिक, धार्मिक के साथ साथ मनोरंजन के लिए पारंपरिक खेलों का आयोजन की काफी सराहनीय है। यह खेल खेलकर हमें ऐसा लगा जैसे हमारा बचपना लौट आया हो।
छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक खेल एसोसिएशन के अध्यक्ष व संस्थापक चंद्रशेखर चकोर ने बताया कि 19 फरवरी से 25 फरवरी तक आयोजित होने वाले पारंपरिक खेलों में किसी भी वर्ग एवं क्षेत्र के प्रतिभागी हिस्सा ले सकेंगे जिसके लिए दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक समय निर्धारित की गई है।
26 से होगी खेलों की स्पर्धाएं
विलुप्त हो रही छत्तीसगढ़ की खेल विधा को जारी रखने राजिम माघी पुन्नी मेले में 26 फरवरी से पारंपरिक खेलों का आयोजन स्पर्धा के रूप में होगा। जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। 26 – 27 व 28 फरवरी को प्रदेश स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता होगा। इसी तरह 1 मार्च को खो-खो व लोक खेल प्रदर्शन, 2 मार्च को खो-खो के साथ गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता व 3 मार्च को गिल्ली डंडा प्रतियोगिता एवं लोक खेल प्रदर्शन का आयोजन होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page