गुरूर : पेंडरवानी के शासकीय राशन दुकान में मिट्टी तेल की कालाबाजारी
सरकारी केरोसिन (मिट्टी तेल) गरीबों तक सस्ती दर में पहुंचने के बजाय, महंगी दर पर बेचा जा रहा है।

HIGHLIGHT :
- स्थान : ग्राम पंचायत पेंडरवानी, विकासखंड गुरूर, जिला बालोद
- आरोप : शासकीय उचित मूल्य की दुकान में मिट्टी तेल की कालाबाज़ारी, तय दर से अधिक वसूली
- जिम्मेदार : पंचायत सचिव (दुकान संचालक) – बयान तक दर्ज नहीं
- जांच : खाद्य निरीक्षक ने गड़बड़ी सही पाई, रिपोर्ट एसडीओ को भेजी
- परिणाम : कार्रवाई और आपराधिक प्रकरण – अब तक शून्य
मिट्टी तेल पर ‘नया टैक्स’ : गरीबों की जेब पर डाका!
गुरूर (बालोद) hct : ग्राम पंचायत पेंडरवानी की शासकीय उचित मूल्य की दुकान में सरकारी केरोसिन (मिट्टी तेल) गरीबों तक सस्ती दर में पहुंचने के बजाय, महंगी दर पर बेचा जा रहा है।
सचिव के जिम्मे चल रही इस दुकान में रोजाना वितरण करने वाला डोमेश साहू नामक सेल्समेन, उपभोक्ताओं से शासन द्वारा तय मूल्य से अधिक वसूली करता है।
गांव के अश्वनी यादव ने इस कालाबाज़ारी की ऑनलाइन शिकायत खाद्य विभाग, जिला बालोद को की। प्रशासन ने जांच तो शुरू की, लेकिन न्याय की ‘टंकी’ आज तक खाली है।
जांच में गड़बड़ी साबित, लेकिन ‘मुख्य खिलाड़ी’ बचा हुआ!
खाद्य निरीक्षक मौके पर पहुंचे, पंचनामा बना, शिकायतकर्ताओं और ग्रामीणों के बयान दर्ज हुए।
लेकिन पंचायत सचिव; जो दुकान का असली संचालक है, उसका बयान ही दर्ज नहीं किया गया।
गांव में सवाल गूंज रहा है: क्या यह जांच सच्चाई उजागर करने के लिए थी या सचिव को बचाने का नया नाटक?
गड़बड़ी मान ली, मगर कार्रवाई गायब !
खाद्य निरीक्षक ने खुद पत्रकारों से माना कि शिकायत में लगे आरोप सही पाए गए और रिपोर्ट अनुविभागीय अधिकारी गुरूर को सौंप दी गई। फिर भी न तो सचिव या सेल्समेन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ, न ही मिट्टी तेल की कालाबाज़ारी रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया।
प्रशासन की चुप्पी; किसके लिए…?
अब सवाल यह नहीं कि जांच हुई या रिपोर्ट बनी।
सवाल यह है कि प्रशासन किसके दबाव में चुप है – जनता के हित के लिए या सचिव की हिफाज़त के लिए..? ग्रामीण कहते हैं – “मिट्टी तेल जलाने के लिए होता है, जनता की जेब जलाने के लिए नहीं।”

