“वीडियो कांड से मौत तक” मिर्रीटोला की एक महिला और “तीन मौन अपराधी”
गांव की पंच तिलांजली साहू की आत्महत्या के बाद समाज, साहू समुदाय और सरकारी तंत्र की खामोशी पर उठते सवाल।

“मिर्रीटोला की गलियों में चुप्पी है, चिता की राख ठंडी हो रही है, लेकिन ‘प्रबुद्ध समाज’ अब भी अगली बैठक की तारीख तय करने में व्यस्त है। पुलिस, ‘जांच जारी’ का बोर्ड टांगे बैठी है, और सरकार को यह जानने की फुर्सत नहीं कि उसके ‘महिला सशक्तिकरण’ के नारे तिलांजली की चिता के धुएं में उड़ चुके हैं। गांव, समाज और सरकार—तीनों की निष्क्रियता का यह गठबंधन शायद अब एक नई पंचायत बुलाएगा… बस यह तय करने के लिए कि अगली आत्महत्या की गिनती कौन करेगा।”
पुरूर (बालोद) hct : जिले के पुरूर थाना क्षेत्र के ग्राम मिर्रीटोला में एक दर्दनाक घटना ने गांव की नींद उड़ा दी है। वार्ड प्रतिनिधि और अपने आचरण व सादगी के लिए जानी जाने वाली तिलांजली साहू ने कथित रूप से मिट्टी तेल डालकर आत्महत्या कर ली। घटना को तीन-चार दिन हो चुके हैं, लेकिन आज भी गांव की गलियों में सन्नाटा और कानाफूसियों का आलम है।
याद रहे, यही तिलांजली थीं जिन्हें उनके संस्कार और सक्रियता के कारण पांच वर्ष पूर्व पंच के रूप में चुना गया था। वही तिलांजली अब राख बन चुकी हैं और मिर्रीटोला का ‘प्रबुद्ध’ समाज बस फुसफुसाहटों तक सीमित है।
पुलिस की जांच जारी है, लेकिन गांव में लोग एक पुराने जख्म की ओर इशारा कर रहे हैं—वर्षों पूर्व का वह ‘वीडियो कांड’, जिसने साहू परिवार को हिलाकर रख दिया था। उस समय गांव के गणमान्य नागरिकों ने मामला ‘सुलझा’ दिया था, और आज भी वही पति उसी महिला के साथ खेतों में काम करता है, जिसके कारण उस विवाद की नींव पड़ी थी।
तो सवाल उठता है—
- क्या कोई आत्मसम्मानी महिला ऐसे हालात में बिना टूटे जी सकती है?
- क्या गांव का ‘सभ्य समाज’ चुप रहकर ऐसे हालात को बढ़ावा नहीं दे रहा?
- और क्या साहू समाज की खामोशी और सरकारी तंत्र की सुस्ती मिलकर इस घटना को भी पुराने विवाद की तरह फाइलों में नहीं दबा देंगे?
फिलहाल पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन गांव की गलियों में सिर्फ यही सवाल गूंज रहा है :– “क्या मिर्रीटोला की औरतें अपने हक की लड़ाई लड़ेंगी, या ‘प्रबुद्ध’ फिर राख पर राख डालते रहेंगे?”

