कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में बांकी मोंगरा क्षेत्र के ग्रामीणों की भूख हड़ताल का पहले ही दिन समापन हो गया। बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ हुई चर्चा के बाद विभाग ने इस क्षेत्र के उपभोक्ताओं से की जा रही बिल वसूली और बिल न पटाने पर की जा रही लाइन कटौती पर रोक लगाने की घोषणा की तथा लिखित आश्वासन दिया कि क्षेत्र में बिजली समस्याओं के निराकरण के लिए गांव-गांव में कैम्प लगाए जाएंगे। अधिकारियों ने अनशनरत माकपा कार्यकर्ताओं को जूस पिलाकर उनकी भूख हड़ताल खत्म की।
आज पूर्व घोषणा के अनुसार माकपा के बैनर तले बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कोरबा स्थित बिजली विभाग के मुख्य कार्यालय पर क्रमिक भूख हड़ताल और धरना शुरू कर दिया। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, दिलहरण बिंझवार, जवाहर सिंह कंवर और शिवरतन सिंह कंवर भूख हड़ताल करने वाले पहले दिन के सत्याग्रही बने। माकपा राज्य सचिव संजय पराते भी इस आंदोलन में शामिल थे और उन्होंने इस हड़ताल-धरने के उदघाटन किया।
अपने संबोधन में उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली विभाग के अधिकारी बड़े उपभोक्ताओं पर बकाया हजारों करोड़ रुपयों की राशि तो वसूल नहीं रहे है और बिल वसूली के नाम पर गांव के गरीबों को तंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भयंकर बिजली कटौती जारी है, बिना मीटर लगाए और रीडिंग लिए हजारों रुपयों के अनाप-शनाप बिजली बिल भेजे गए हैं और जबरन वसूलने के लिए लोगों को परेशान किया जा रहा है। माकपा नेता ने कहा कि पिछले दिनों पुतला दहन, क्षेत्रीय कार्यालय के घेराव के बाद जो आश्वासन विभाग ने दिया था, उस पर आज तक अमल नहीं किया गया है। विभाग के इस रवैये के खिलाफ लोगों को राहत देने की मांग पर माकपा के यह अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा।
माकपा के इस आंदोलन को सीटू नेता एस एन बेनर्जी, जनकदास कुलदीप, जनवादी नौजवान सभा के नेता धर्मेंद्र मिश्रा, विकास श्रीवास्तव, हुसैन अली, अभिजीत गुप्ता, किसान सभा के परमेश्वर, देवकुंवर, तेरस बाई आदि ने भी संबोधित किया और आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
दोपहर-पश्चात अधिकारियों ने आंदोलन खत्म करने की पहलकदमी की और अनशन स्थल पर आकर माकपा नेताओं से चर्चा की और उनकी समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दिया, लेकिन पिछले आंदोलन के कड़वे अनुभवों के कारण मात्र आश्वासन पर ही टलने से आंदोलनकारियों ने इनकार कर दिया, जिसके बाद विभाग को लिखित समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा। इस समझौते के अनुसार, माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा जिन बिलों पर आपत्ति की जा रही है, उनमें सुधार किया जाएगा; लाइनें और ट्रांसफॉर्मर बदलकर विद्युत व्यवस्था में सुधार किया जाएगा और जब तक यह नहीं होता, बकाया बिजली बिलों की वसूली और लाइन काटने पर रोक लगाई जाएगी। अधिकारियों ने बिल वसूली के लिए अवैध तरीके से काटी गई लाईनों को जोड़ने का भी आश्वासन माकपा नेताओं को दिया है।
शायद यह प्रदेश में पहला आंदोलन है, जहां बिजली विभाग को किसी आंदोलन के दबाव में लिखित समझौता करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। माकपा ने चेतावनी दी है कि यदि इस समझौते पर अधिकारियों द्वारा अमल नहीं किया जाता, तो अबकी बार उग्र आंदोलन किया जाएगा और मुख्य कार्यालय की गेटबंदी की जाएगी।