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नफरत की आड़ में देश के साथ गद्दारी…!

सनातनी पहचान के पीछे छिपी सांप्रदायिक साजिश का पर्दाफाश।

रायपुर hct desk : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अकैपुर रेलवे स्टेशन पर हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई, जो न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि समाज में गहरे बैठे पूर्वाग्रहों और नफरत की राजनीति पर सवाल उठाती है। दो युवकों, चंदन मलाकार (30) और प्रज्ञाजीत मंडल (45), को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिन्होंने स्टेशन के पास एक शौचालय की दीवार पर पाकिस्तानी झंडा चिपकाया और “हिंदुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद” जैसे भड़काऊ नारे लिखे। यह घटना महज एक आपराधिक कृत्य नहीं, बल्कि एक सुनियोजित सांप्रदायिक साजिश का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य इलाके में तनाव और हिंसा भड़काना था।

“सनातनी एकता मंच” का काला सच

पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी “सनातन एकता मंच” नामक संगठन से जुड़े हैं, जो कथित तौर पर हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर सक्रिय है। यह संगठन अक्सर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। हैरानी की बात यह है कि ये दोनों युवक, जो खुद को “सनातनी” कहते हैं, देश के खिलाफ इतना बड़ा कदम उठाने से नहीं हिचके। इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले संगठन वास्तव में देशभक्ति का मुखौटा पहनकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं?

नफरत की जड़ें एक गहरी साजिश

पुलिस के अनुसार, इस हरकत का मकसद इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था। उत्तर 24 परगना जैसे संवेदनशील क्षेत्र, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक साथ रहते हैं, में ऐसी घटनाएं आसानी से हिंसा का रूप ले सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसे “माहौल बिगाड़ने की साजिश” करार देते हुए दक्षिणपंथी संगठनों पर निशाना साधा है। टीएमसी का कहना है कि कुछ संगठन जानबूझकर ऐसी हरकतें कर रहे हैं ताकि बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा भड़के और राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।

इस घटना को गहराई से देखें तो यह स्पष्ट होता है कि यह कोई आवेश में की गई हरकत नहीं थी। पाकिस्तानी झंडा और भड़काऊ नारे लिखना एक सोची-समझी रणनीति थी, जिसका लक्ष्य मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और हिंदू समुदाय में डर व गुस्सा पैदा करना था। यह नफरत की वह राजनीति है, जो धर्म के नाम पर देश को कमजोर करने का काम करती है।

एकता की चुनौती

यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है। जब धर्म और देशभक्ति के नाम पर नफरत फैलाई जाती है, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान देश की एकता को होता है। सनातन एकता मंच जैसे संगठन, जो कथित तौर पर हिंदू हितों की बात करते हैं, ऐसी हरकतों से उसी धर्म की बदनामी कर रहे हैं, जिसके वे स्वयंभू रक्षक होने का दावा करते हैं। साथ ही, यह घटना उन लोगों के लिए भी सबक है जो बिना सोचे-समझे सांप्रदायिक नफरत के शिकार हो जाते हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस घटना ने उनके बीच अविश्वास पैदा किया है। एक स्थानीय दुकानदार, जो अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहता, ने बताया, “हम सालों से हिंदू-मुस्लिम एक साथ रहते आए हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं हमें एक-दूसरे पर शक करने को मजबूर करती हैं।” यह बयान समाज में बढ़ती खाई को दर्शाता है, जिसे ऐसी साजिशें और गहरी करने का काम करती हैं।

पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की चुनौतियां

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को बोंगांव इलाके से गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस साजिश में और लोग शामिल थे और क्या यह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा है।

हालांकि, यह घटना केवल पुलिस कार्रवाई से हल होने वाली समस्या नहीं है। समाज को यह समझना होगा कि नफरत और हिंसा की राजनीति किसी के हित में नहीं है। सरकार, सामाजिक संगठनों और नागरिकों को मिलकर ऐसे तत्वों के खिलाफ जागरूकता फैलानी होगी, जो धर्म और देश के नाम पर समाज को बांटने का काम करते हैं।

नफरत का जवाब प्रेम से

ज्यादातर मीडिया इस खबर को सनसनीखेज बनाकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस घटना को हमें एक गहरे सामाजिक संदेश के रूप में देखना चाहिए। यह हमें याद दिलाता है कि नफरत की आग में जलकर हम अपने ही देश को कमजोर करते हैं। सच्ची देशभक्ति नफरत फैलाने में नहीं, बल्कि एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने में है।
जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, “नफरत को नफरत से नहीं, प्रेम से जीता जा सकता है।” इस घटना के बाद हमें उन ताकतों को मजबूत करना होगा जो समाज को जोड़ती हैं, न कि तोड़ती हैं। स्थानीय समुदायों को एकजुट होकर ऐसी साजिशों का जवाब देना होगा, ताकि नफरत फैलाने वालों को कोई जगह न मिले।
यह घटना न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि समाज के लिए एक आईना है। यह हमें दिखाता है कि कैसे धर्म और देशभक्ति के नाम पर कुछ लोग देश को ही नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। सनातन एकता मंच जैसे संगठनों की आड़ में छिपे ऐसे तत्वों को बेनकाब करना जरूरी है। साथ ही, हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं समाज में और नफरत न बोए। सच्चा सनातनी वही है, जो अपने देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है, न कि उसे तोड़ने की साजिश रचता है।

स्रोत : यह जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों और सोशल मीडिया पोस्ट से संकलित की गई है, जिनमें ‘आज तक’ और ‘एक्स’ पर उपलब्ध पोस्ट शामिल हैं।

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