उदंती टाइगर रिज़र्व में शिकारी गिरफ़्तार।
इंदागांव बफर रेंज में फंदा लगाते दो युवक पकड़े गए, न्यायालय ने जेल भेजा।

गरियाबंद hct : उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व में 10 दिसंबर की सुबह वन विभाग की टीम ने जिस तेजी से कार्रवाई की, उसने यह साफ कर दिया कि विभाग अब शिकारियों को किसी भी स्तर पर छूट देने के मूड में नहीं है। गरियाबंद जिले के इस संवेदनशील क्षेत्र में लंबे समय से छोटी-छोटी शिकार गतिविधियाँ जंगल की शांति को प्रभावित कर रही थीं। इसी बीच मिली एक गोपनीय सूचना ने टीम को इंदागांव (घुरवागुडी) बफर परिक्षेत्र के आरक्षित क्षेत्र क्रमांक 1225 तक पहुँचा दिया, जहाँ शिकार की तैयारी चल रही थी।
दो युवक फंदा लगाते मौके पर ही पकड़े गए
सूचना की पुष्टि के बाद वनसंरक्षक सतोविशा समाजदार, उप निदेशक वरुण जैन और सहायक संचालक गोपाल सिंह कश्यप के निर्देशन में टीम ने इलाके की चुपचाप घेराबंदी की। इसी दौरान दो युवक—वृन्दा सोरी (23) और हरभजन विश्वकर्मा (19)—को फंदा लगाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। दोनों आरोपी ग्राम फरसरा के निवासी हैं और मौके पर वे कुल 28 स्नेर-वायर फंदे जंगल में स्थापित कर रहे थे। बरामद फंदों की संख्या इस बात का संकेत देती है कि शिकार की यह प्रक्रिया कोई आकस्मिक कदम नहीं, बल्कि योजनाबद्ध गतिविधि थी।
जप्ती, प्रकरण पंजीयन और न्यायालय में पेशी
मौके से बरामद सभी फंदों को वन विभाग ने जप्त कर लिया और आरोपियों के विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 तथा वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 27, 29, 31 और 52 के तहत विधिवत अपराध प्रकरण दर्ज किया। प्रारंभिक पूछताछ के बाद दोनों को माननीय न्यायालय प्रथम श्रेणी, देवभोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय के आदेश के बाद दोनों मुलजिमों को उप-जेल गरियाबंद भेज दिया गया, जहाँ आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
ऑपरेशन में शामिल टीम की समन्वित भूमिका
इस कार्रवाई को सफल बनाने में वन परिक्षेत्र अधिकारी सुशील कुमार सागर की भूमिका केंद्रीय रही। उनके साथ वन्नहोत्रपाल, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी राकेश सिंह परिहार, उप-वनक्षेत्रपाल, परिसररक्षी कविन्द्र मिश्र, परिसररक्षी (पुरवागुडी) रामकृष्ण साहू, वनखाक, गेमगार्ड, एंटी-पोचिंग टीम के सदस्य देवीसिंग यादव और पुनीत राम ध्रुव लगातार क्षेत्र में निगरानी में जुटे थे। सुरक्षा श्रमिकों का सहयोग भी उल्लेखनीय रहा, जिन्होंने इलाके की घेराबंदी और तलाशी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिकार की ‘छोटी घटनाएँ’, लेकिन बड़े खतरे
उदंती-सीतानदी जैसे संरक्षित क्षेत्र में शिकार के किसी भी स्तर की गतिविधि को हल्के में लेना गलत है। क्षेत्र न केवल बाघों, बल्कि खरगोश, हिरण, जंगली सूअर और कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। ऐसे में फंदा लगाकर किया जाने वाला शिकार वन्यजीवों के अस्तित्व और पारिस्थितिकी के लिए बड़ा खतरा है। यही वजह है कि विभाग ऐसे मामलों में “जीरो-टॉलरेंस” नीति पर काम कर रहा है, ताकि भविष्य में कोई भी शिकारी इस क्षेत्र को आसान लक्ष्य न समझे।
आगे गश्ती बढ़ेगी और ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा
वन अधिकारियों के अनुसार, आगामी समय में क्षेत्र में गश्ती को और मजबूत किया जाएगा। साथ ही ग्रामीणों के बीच जागरूकता अभियान चलाकर यह समझाया जाएगा कि शिकार न सिर्फ कानूनन अपराध है, बल्कि जंगल की अगली पीढ़ियों के लिए भी जोखिम है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी को भी विभाग आवश्यक मानता है, क्योंकि बफर क्षेत्र में मानव गतिविधियाँ बढ़ने से निगरानी की चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है।






