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बलरामपुर में आदिवासी की आत्महत्या से मचा हड़कंप… 

पहाड़ी कोरवा की जमीन विवाद से शुरू हुआ मामला, अब आत्महत्या तक पहुंचा, जिला प्रशासन पर बढ़ा दबाव

राष्ट्रपति इन्हें नहीं मानते अपना “दत्तक पुत्र” इसीलिए विलुप्ति के कगार पर कोरवा जनजाति के लोग कभी सिस्टम की भेट चढ़ रहे है तो कभी भूमाफियाओं की प्रताड़ना के शिकार होकर मौत को गले लगा रहे हैं ! न कोई संरक्षण, न कोई प्रभावी नीति “कोरवा जनजाति के प्रति यह उपेक्षा केवल सरकारी उदासीनता नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक चेतना की भी एक करुण विफलता है। राष्ट्रपति द्वारा दत्तक पुत्र का दर्जा मिलने के बावजूद, जब ये समुदाय आज भी बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं, तो यह प्रतीकात्मकता खोखली प्रतीत होती है।

कभी सरकारी सिस्टम की बेरुख़ी…
तो कभी ज़मीन के दलालों की दरिंदगी इन्हें निगल रही है।

कभी सरकारी योजनाओं की अनदेखी, तो कभी भूमाफियाओं के शोषण का शिकार होकर ये लोग धीरे-धीरे समाज के हाशिये से गुमनामी की अंधेरी खाई में गिरते जा रहे हैं। यह केवल एक जनजाति का विलुप्त होना नहीं है, बल्कि हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत, विविधता और इंसानियत का भी क्षरण है। कोरवा जैसे समुदायों की सुरक्षा केवल संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं, नैतिक कर्तव्य भी है। हमें यह पूछना होगा—जब वे दम तोड़ते हैं, क्या हमारी संवेदनाएं भी मरती हैं?”

बलरामपुर hct : रामानुजगंज जिले में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग इन दिनों न्याय की मांग को लेकर उबाल पर हैं। वजह हैं विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू सेठ, जिन पर पहाड़ी कोरवा समुदाय की भूमि हड़पने और अब एक युवक को आत्महत्या तक मजबूर करने का आरोप है। 22 अप्रैल 2025 को पहाड़ी कोरवा समाज के एक युवक की आत्महत्या ने इस विवाद को एक नया और बेहद संवेदनशील मोड़ दे दिया है।

धोखाधड़ी, धमकी और अब आत्महत्या

जनवरी 2025 में जिला दंडाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई एक शिकायत में आरोप था कि मग्गू सेठ ने समुदाय की भूमि को फर्जी चेक और नकली दस्तावेजों के ज़रिए रजिस्ट्री करा लिया। आरोपों में स्थानीय पटवारी समेत दो अन्य लोगों की भूमिका भी बताई गई। चेक डिटेल : ₹14 लाख का चेक (संख्या 768085, दिनांक 18.11.24)। 22 अप्रैल को आत्महत्या करने वाले युवक के परिजनों का आरोप है कि वह लगातार धमकियों और मानसिक प्रताड़ना से परेशान था।

15 सालों से चल रही आपराधिक श्रृंखला
मग्गू सेठ पर दर्ज हैं दर्जनों केस…

📌 थाना राजपुर में दर्ज अपराध…

  1. अपराध क्रमांक 48/09, दिनांक 18/03/2009: धारा 147, 148, 149, 294, 506, 323 (मारपीट, गाली-गलौज, धमकी, और बलवा)।
  2. अपराध क्रमांक 133/15, दिनांक 23/08/2015: धारा 365, 342, 294, 506, 323, 31 (अपहरण, बंधक बनाना, गाली-गलौज, धमकी, और मारपीट)।
  3. अपराध क्रमांक 40/16, दिनांक 18/03/2016: धारा 294, 506, 323 (गाली-गलौज, धमकी, और मारपीट)।
  4. अपराध क्रमांक 120/16, दिनांक 22/08/2016: धारा 294, 506, 323, 147, 149, 325 (गाली-गलौज, धमकी, मारपीट, और बलवा)।
  5. अपराध क्रमांक 07/17, दिनांक 24/01/2017: धारा 294, 506, 323, 451, 477, 34, 3-1(एक्स)/(एक्ससी) एक्ससीए (गाली-गलौज, धमकी, मारपीट, घर में घुसना, संपत्ति नुकसान, और अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न)।
    थाना राजपुर में 5 प्रकरणों के साथ एक प्रतिबंधात्मक कार्यवाही (107/16) भी दर्ज है, जो सामाजिक शांति भंग करने की आशंका के तहत की गई थी।

📌 चौकी बरियों – दर्ज प्रकरण (2016–2021) :

  1. अपराध क्रमांक 07/120, दिनांक 28/08/2016: धारा 294, 506 (बी), 323, 147, 148, 149 (गाली-गलौज, धमकी, मारपीट, और बलवा)।
  2. अपराध क्रमांक 32/18, दिनांक 20/02/2018: धारा 294, 506, 323, 34 (गाली-गलौज, धमकी, और मारपीट)।
  3. अपराध क्रमांक 34/21, दिनांक 17/06/2020: धारा 287, 304 (।।), 34 (लापरवाही से मृत्यु, और हत्या से संबंधित अपराध)।
  4. अपराध क्रमांक 85/21, दिनांक 30/04/2021: धारा 294, 506, 323, 341, 342, 34 (गाली-गलौज, धमकी, मारपीट, गलत तरीके से रोकना, और बंधक बनाना)।

कुल 4 मामले

आपराधिक पैटर्न और स्थानीय प्रभाव विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू सेठ के खिलाफ दर्ज अपराधों में एक स्पष्ट पैटर्न देखा जा सकता है। 2009 से 2021 तक उनके खिलाफ हिंसा, धमकी, अपहरण, और अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न जैसे अपराध दर्ज हैं। 2020 में चौकी बरियों में दर्ज अपराध (धारा 287, 304 (।।)) संभवतः क्रेशर हत्याकांड से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि क्रेशर व्यवसाय में लापरवाही से मृत्यु की घटनाएँ आम हैं। 2017 में थाना राजपुर में दर्ज अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न का मामला 2024 की पहाड़ी कोरवा समुदाय की शिकायत से मेल खाता है, जो उनके कमजोर समुदायों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

उन्हें शक है कि:

  • संपत्तियां अपराध से अर्जित की गई हैं
  • फर्जी नामों से खरीदी गई ज़मीनें बेनामी हो सकती हैं
  • आय से अधिक संपत्ति का सवाल खड़ा है

संभावित कार्रवाइयाँ :

✔️ संपत्ति जब्ती (ED द्वारा)
✔️ आयकर छापे
✔️ PMLA केस दर्ज
✔️ बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई

आदिवासी समाज और नागरिक समूहों का एलान – “अब चुप नहीं बैठेंगे” कोरवा समुदाय के लोग अब सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। उनकी मांगें हैं :

  • मग्गू सेठ की तत्काल गिरफ्तारी
  • सभी पुराने मामलों की पुनः जांच
  • रजिस्ट्री रद्द और दोषियों पर FIR
  • प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा – “यह एक व्यक्ति की नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी की कहानी है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अपराधियों को खुला न्यौता होगा।”

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

हालांकि जिला पुलिस अधीक्षक ने नवंबर 2024 की शिकायत पर जांच शुरू होने की पुष्टि की थी, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। आत्महत्या के बाद भी प्रशासनिक मौन लोगों के बीच न्यायिक उदासीनता की भावना को और गहरा कर रहा है।

क्या मग्गू सेठ को मिलेगी सज़ा या फिर कानून रहेगा बेबस?

बलरामपुर में अब सिर्फ एक मुकदमा नहीं चल रहा, यह एक आदिवासी समुदाय के अस्तित्व, गरिमा और न्याय की लड़ाई बन चुकी है। क्या यह लड़ाई सिस्टम को झकझोर पाएगी? या फिर मग्गू सेठ एक बार फिर कानून के शिकंजे से बच निकलेंगे? आप क्या सोचते हैं? क्या समय आ गया है कि ऐसे मामलों में ED और CBI की एंट्री हो? नीचे कमेंट में अपनी राय बताएं।

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