मंदिर हसौद टोलनाका का विरोध।

अनिल टंडन (सामाजिक कार्यकर्ता)

”मै भी हु मंदिर हसौद टोल के विरोध में”

हाईवे क्राइम टाइम

रायपुर। नेशनल हाइवे 53 में कुम्हारी से आरंग तक लगभग 45 किलोमीटर फोर लेन का निर्माण डी एस कंट्रक्शन के द्वारा किया गया है। जहाँ दोनों छोर के सीमा से 5 से 7 किलोमीटर में नियमानुसार टोल नाका का निर्माण किया गया था। जिसमे आरंग रसनी तथा रायपुरा चौक में टोल वसूली के लिए टोल नाका बनाया गया था जिसमे रसनी में टोल प्रारंभ है। तथा रायपुरा चोक में राजनीतिक तथा स्थानीय विरोध के चलते रायपुरा टोल आज तक बंद पड़ी है। जिसे पुनः आरंग ग्रामीण में नियम विरुद्ध पहले टोल से 14 किलोमीटर की दूरी में दूसरी टोल बनाकर आरंग की जनता को अतिरिक्त बोझ देने में लगी हुई है। विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्र में ही दो जगह टोल वसूली से आम जनता तथा व्यपारियो को महगाई का अतिरिक्त भार उठाना पडेगा। जो की आरंग क्षेत्रवासीयो को कतई मंजूर नही है।

डी एस कंट्रक्शन द्वारा जो फोर लेन का निर्माण किया गया है जिसमे सर्विस लेन अधूरी बिजली की व्यवस्था अपूर्ण रेडियम पट्टी नदारत यात्री प्रतीक्षालय सब नदारत है उसके बावजूद उसे टोल वसूली का अधिकार दिया जाना समझसे परे है। जहाँ अभी टोल प्लाजा का निर्माण किया जा रहा है वहाँ हमेशा जाम की स्थिति बना रहेगा। उपयुक्त स्थान नही होने के बाउजूद टोल नाका का निर्माण किया जा रहा है जिसके लिए लोग अवैध टोल नाका के विरुद्ध अब सड़क पर उतरने को विवश है।
क्योकि टोल टेक्स का भार 2 बार एक ही स्थान 12 किलोमीटर की दूरी में आरंग की जनता फुटकर व्यपारी व्यपारी को अतिरिक्त टेक्स देना पड़ेगा, जिसमे आरंग की समूचे जनता को यात्री भाड़ा से लेकर किसी भी सामान की खरीदी बिक्री के लिए लगभग 30 प्रतिशत की अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा। रायपुर की जनता को भी बिल्डिंग मटेरियल की सामग्री सहित बहुत सारी वस्तुवों के लिए उन्हें भी 30 से 35 प्रतिसत भाड़ा में बडौत्तरी से महगाई का सामना करना पड़ेगा।व्यपार में प्रतिस्पर्धा का दौर है हमारे व्यपारी भाइयो को भी काफी तकलीफ होगी। जिसको लेकर परमानंद जांगड़े पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने शासन प्रशासन को आरंग की जनता की समस्या को अवगत कराते हुए ज्ञापन सौपी है।तथा मंदिर हसौद से पदयात्रा के माध्यम से जनता की आवाज सरकार तक पहुचाने के लिये आम जनता तथा व्यपारी बन्धुवों सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक रूप में आंदोलन करने की बात कही है।

*साभार : मितान भूमि।

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