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बारह रूपये के प्रीमियम पर, दो लाख रू की बीमा राशि व क्षतिपुर्ति देने का आदेश।

*किरीट ठक्कर।
गरियाबंद। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम द्वारा बीमा कंपनी के विरूद्ध एक आदेश पारित कर, परिवादी को 2 लाख रू की बीमा राशि मय ब्याज, साथ ही मानसिक क्षतिपुर्ति के रूप में 5 हजार रू व वाद व्यय के लिये 2 हजार रू देने का आदेश पारित किया गया है।
विदित हो कि प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना के तहत, भारत सरकार द्वारा दुर्घटना से मृत्यु हो जाने पर आश्रितो को जीवन यापन करने में असुविधाओं का सामना न करना पडे और परिवार के आश्रितो को बेहतर जीवन प्राप्त हो इस उद्देश्य से उक्त बीमा योजना देश में लागु की गई है।
भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह के जनहित उद्देश्यो की पुर्ति के लिये विभिन्न बैंको में बडे पैमाने पर जनधन खाते खुलवाये गये है। करोडो – करोड लोगो के जनधन खातो से, बैंको के माध्यम से उक्त बीमा योजना के तहत् बीमा की राशि काट ली जाती है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना व प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना के तह्त 330 रू और 12 रू की प्रीमियम राशि बडे पैमाने पर लोगो के बैंक खाते से काटी गई और ये राशि बीमा कंपनियों को प्रीमियम के रूप में अदा कर दी गई, विस्तृत विश्लेषण किया जाये तो ये राशि कई करोड या अरब रूपए की हो सकती है। किंतु बीमा कंपनियां अब इसके एवज में यदि किसी को बीमित राशि देना पडे तो हिला हवाला करती है। बैंक्स इस मामले में केवल एजेंट की भूमिका निभाने की बात करते है।
जिला अंतर्गत ग्राम सेम्हरढाप की एक महिला परिवादी नाम रेवती बाई के पति भानुप्रताप साहु की मृत्यु खेत में धान की फसल की रखवाली के दौरान आग से जलकर हो गई थी, मृतक भानुप्रताप साहु का खाता देना बैंक गरियाबंद में खुला था, प्रसुबीयो के तह्त उक्त खाते से प्रीमियम की राशि निर्धारित समयावधि में जमा की जा रही थी, भानुप्रताप साहु के खाते से बीमा की राशि 12 रू. बैंक द्वारा काटा जा रहा था और मृत्यु अवधि में बीमा जीवित रहा था। अपने पति की मृत्यु के पश्चात परिवादी महिला बैंक के सारे दस्तावेज व मृत्यु प्रमाण पत्र, शव परीक्षण प्रतिवेदन आदि लेकर देना बैंक प्रबंधक के पास पहुंची, जहां उसे बीमा क्लेम दिये जाने का आश्वासन दिया गया, किंतु बीमा कंपनी, युनाइटेड इंडिया इन्सोरेन्स कंपनी लिमिटेड कचहरी चौक रायपुर द्वारा क्लेम देने में हिला हवाला किया गया व मृतक की मृत्यु को ईपीलेप्सी बताकर परिवाद निरस्त करने की मांग की गई। बीमा कंपनी के अनुसार बीमित व्यक्ति की मृत्यु मिर्गी बीमारी के कारण आग में गिरकर जल जाने से हुई।
फोरम के निष्कर्ष के अनुसार बीमित व्यक्ति के शव परीक्षण प्रतिवेदन में जलने से मृत्यु होना उल्लेखित किया गया है, दुर्घटना मृत्यु से आश्रितो को बेहतर जीवन यापन प्राप्त हो यही बीमा का उद्देश्य हेै। किंतु बीमा कंपनी द्वारा बीमा राशि का भुगतान नही कर व्यवसायिक कदाचार कर सेवा में निम्नता की है।

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