शदाणी दरबार की नवम ज्योत संत श्री डॉ युधिष्ठिर लाल शदाणी का 57वां अवतरण दिवस 13 दिसंबर को आयोजित।
रायपुर (hct)। भारतीय संस्कृति व संस्कारों के प्रति समर्पित 310 वर्ष पुराने इतिहास को अपनी सभ्यता से बयान करती राजधानी रायपुर में माना स्थित शदाणी दरबार जो अपने आप मे ही सम्पुर्ण हिन्दुतानियों के लिए एक आस्था का केंद्र है जहां हजारों की संख्या में शदाणी शिष्य के साथ और भी जाती के लोग इस पावन धरती को नमन करने आते है। दिनांक 13 दिसंबर को पूज्य शदाणी दरबार की नवम ज्योत संत श्री डॉ युधिष्ठिर लाल शदाणी का 57वां अवतरण दिवस है। इस विशेष दिन को धूम धाम से उत्सव के रूप में मनाने के लिए शदाणी सेवा मंडल द्वारा भव्य रूप से इस अवतरण दिवस को मनाने की तैयारियां की जा रही है, जिसमें विशेस रूप से शदाणी शिष्यों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन कीर्तन सहित भंडारे की व्यवस्था प्रमुख रूप से की गई है। साथ संत जी के जन्मोत्सव की दिन विशेष रूप से रायपुर रेल्वे स्टेशन, पंडरी कपड़ा मार्किट, पचपेड़ी नाका सहित प्रमुख स्थानों पर स्टॉल लगाकर प्रसादी वितरण किया जाएगा। इसी दिन रायपुर के साथ साथ सिंध पाकिस्तान में स्थित पूज्य शदाणी दरबार हयात पिताफी साहब में भी यह आयोजन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके साथ ही पूरे हिंदुस्तान में जहां जहां शदाणी शिष्य है वहाँ वहाँ यह आयोजन मानये जाने की व्यापक तैयारियां की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि अष्टम ज्योत संत श्री गोविंदराम साहिब जी के ब्रह्मलीन होने के बाद 5 मई 2003 को संत श्री डॉ. युधिष्ठिर लाल जी जी शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश के रूप में विराजमान हुए थे। संत जी के सरल सहज स्वभाव के कारण ही हिन्द-सिंध व हिंदुस्तान के अनेक शहरों में साई युधिष्ठिर लाल जी लोक प्रियता में काफी इजाफ़ा हुआ है। शदाणी दरबार की प्रतिष्ठा इतनी अत्याधिक है कि सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में कोई भी सामाजिक कार्य हो या कोई भी धार्मिक आयोजन का शुभारंभ हो उसके लिए संत श्री डॉ युधिष्ठिर लाल जी को ही विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। साई जी का अपने शिष्यों के प्रति इतना अधिक प्रेम है कि जिसे शब्दों में बयान करना संभव नही हो सकता। संत जी के आशीर्वाद से ही सम्पूर्ण हिन्दुतान में अनेकों धार्मिक कार्य किये जा रहे है। उल्लेखनीय है कि युधिष्ठिर लाल जी महाराज के नेतृत्व में पूरे भारत वर्ष से 57 तीर्थ यात्रियों का जत्था 24 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक पाकिस्तान की यात्रा पर था जो अपनी धार्मिक यात्रा आस्था व श्रद्धा के साथ अपनी यात्रा पूरी कर दिनांक 6 दिसम्बर को रायपुर वापस लौट आया।