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नफरत और धर्म का बीज बो रहे बस्तर उद्यानकी महाविद्यालय प्रशासन..! पूरी खबर वीडियो के साथ.

बस्तर। आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में स्थित उद्यानकी महाविद्यालय कुम्हरावनड जगदलपुर के बच्चो को भगवा रंग चढ़ाने, और मंदिर बनाने की शिक्षा दी जा रही है। यही नही यहाँ के बच्चो को हाल में हुए खेल-कूद प्रतियोगिता के दौरान भगवा रंग का ट्रैक सूट पहन कर आने की हिदायत कुछ भगवाधारी प्रोफेसर लोगों के द्वारा दी गई थी।
भारत का संविधान की अनुच्छेद 28 जो कि मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है में प्रावधान है कि किसी भी सरकारी पोषित विद्यालय महाविद्यालय संस्थान में किसी धर्म विशेष की बढ़ोतरी हेतु उस संस्था के जिम्मेदार नहीं कर सकते हैं यदि करते हैं तो यह भारत के संविधान की धर्म निरपेक्षता के साथ ही मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

देखिये वीडियो में:-

नफरत और धर्म का बीज बो रहे बस्तर उद्यानकी महाविद्यालय प्रशासन। “भगवा रंग छा गया” मंदिर वही बनाएंगे जैसे भड़काऊ धर्म विशेष नारे लगवा कर चुनावी माहौल में बीजेपी के पक्ष में प्रचार कर रही है। जबकि पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में बस्तर संभाग के कमिश्नर धनञ्जय देवांगन व डिप्टी कमिश्नर के साथ ही संस्थान के डीन व प्रोफेसर भी मौजूद थे। फिर भी संविधान की धज्जियां उड़ता रहा। इस प्रकार की एक धर्म की सापेक्षता से यह संस्थान आने वाले दिनों में एग्रीकल्चर नहीं भगवाकलचर की ओर बढ़ेगा जिसका बीजारोपण कुछ भगवाधारी प्रोफेसर कर रहे हैं।

बस्तर में स्थित उद्यानकी महाविद्यालय में 25 से 27 अक्टूबर के बीच खेलकुद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिससे आयोजकों द्वारा धर्म विशेष का नारा लगाते पुर्र कार्यक्रम का हिन्दुकरण करने की कोशिश की गई।

महाविद्यालय के छात्रों ने शिकायत करते हुए कहा है कि उद्यानकी महाविद्यालय में हो रहे खेल-कूद प्रतियोगिता में आयोजको द्वारा भगवा रंग के ट्रेक सूट पहन कर छात्रों को शामिल किया गया था। जहा प्रतियोगिता के दौरान “जय श्री राम, मंदिर यहाँ बनाएंगे” घर -घर भगवा लहरायेंगे” जैसे नारे लग रहे थे। महाविद्यालय में हो रहे खेल-कूद प्रतिस्पर्धा के इस कार्यक्रम में खेल-कूद कम हिन्दू धर्म का राजनैतिक अखाड़ा ज्यादा बन चुका था।
जानकारी के अनुसार महाविद्यालय में बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही थी।

छात्रों ने अपने शिकायत पत्र में कहा है कि यह भारत की संविधान की आत्मा प्रस्तावना के साथ अनुच्छेद 28 की अवमानना के साथ ही आदर्श आचार सहिंता का उल्लंघन है । शासकीय शैक्षणिक संस्थानों में धर्म विशेष और पार्टी का प्रचार कर गैर सवैधानिक काम किया जा रहा था।

*तामेश्वर सिन्हा।

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