धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ क्षेत्र में मवेशी बाज़ार के नाम पर पशुओं की तस्करी धड़ल्ले से जारी है, क्षेत्रभर में तस्कर बेख़ौफ़ होकर मवेशी की तस्करी कर रहे हैं, इन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है।धड़ल्ले से जंगल एवं मुख्यमार्ग में दबंगाई के साथ पशुओं को रस्सी से बांधकर हाँकते हुए बाजार ले जाते आसानी से देखा सकता है मानो इन्हें क्रूरता का अधिकार मिल गया हो, स्थानीय प्रशासन का जरा भी भय नहीं, और हो भी कैसे स्थानीय प्रशासन तो हाँथ पर हाँथ धरे पशुओं पर हो रहे क्रूर अत्याचार को देख रही हैं।
धरमजयगढ़ क्षेत्र में आमापाली और चरखापारा दो मवेशी बाज़ार हैं जो मवेशी तस्करी का केंद्र बना हुआ है। शनिवार को आमापाली और सोमवार को चरखापारा दो साप्ताहिक मवेशी बाज़ार हैं जहाँ हर सप्ताह भारी संख्या में मवेशियों की खरीद फरोख्त की जाती है, बाजार से मवेशी विक्री कर अन्य राज्य भेजा जा रहा हैं बड़ी अजीब बात है किसी भी कीमत में बूढ़े बैलों को किसान क्रय नहीं करेगा और हर सप्ताह किसान बैल क्यों लेगा फिर भी नाम किसान का ऐसे में पेंच साफ़ है भारी संख्या में मवेशीयों की खरीदी कौन कर रहा है ?
क्षेत्र में पशु क्रूरता की सारी हदें पार हो गई है मवेशी कोचिया पशु क्रूरता अधिनियम की धज्जिया उड़ा रहे हैं ,मवेशियों को हांककर लाते समय बूढ़े बैल, गाय, और बछड़े साफ़ नजर आते हैं पशुओं के पैरों में नाल लगवाकर सैकड़ों किलोमीटर हाँक कर बाजार ला रहे है, पशुओं को हाँककर लाते समय चारा की कोई व्यवस्था नहीं होती , मवेशियों का डॉक्टरी मुलाहिजा का कोई अता पता नहीं होता और तो और सभी मवेशी कोचियाओ के लाईसेन्स की निर्धारित समय अवधि समाप्त हो चुकी है फिर भी अवैध तरीके से पशुओं को जंगल रास्ते मारते पिटते लाया जा रहा है। बड़ी विडम्बना की बात है इस ओर न तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान जा रहा है और न ही स्थानीय प्रशासन की साथ ही क्षेत्र के गौ रक्षक संस्था के पदाधिकारी भी चुप्पी साधे है कोई भी इस मामले पर जांच कराने की जहमत नहीं उठा रहे हैं लिहाजा मवेशी खरीद फरोख्त करने वाले तस्कर मन भर के गोरख धंधा को अंजाम दे रहे है।