स्वास्थ्य मंत्री को “जाना था दवाखाना पहुँच गए मयखाना”
स्वास्थ्य मंत्री के 'शराबी' निरीक्षण ने X.com को बनाया मीम का अड्डा!"

रायपुर hct : जब प्रदेश के अस्पतालों में फंगस लगी दवाओं की बदबू से मरीज कराह रहे हों, तब स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने एक ऐसा ‘स्वास्थ्यवर्धक‘ कदम उठाया कि X.com पर ट्रोल्स की बाढ़ सी आ गई! जी हां, मंत्री जी अपने प्रभार वाले जिले के दौरे पर निकले तो सीधे शराब की दुकान पर जा धमके। मकसद? “चेक करना था कि शराब सही ब्रांड की है या नहीं!” अब भला कौन कह सकता है कि मंत्री जी को जनता की सेहत की चिंता नहीं? आखिर, शराब तो स्वास्थ्यवर्धक अमृत है, दवाइयाँ तो बस बहाना हैं!
X.com पर ट्रोल्स का तांडव
मंत्री जी ने अपने इस ‘ऐतिहासिक’ निरीक्षण का बखान X पर भी किया, लेकिन ये पोस्ट उनके लिए उल्टा पड़ गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मौके का फायदा उठाते हुए रीट्वीट किया, “स्वास्थ्य मंत्री को दवाओं से ज़्यादा दारू की शुद्धता की फिक्र! ये है छत्तीसगढ़ की नई स्वास्थ्य नीति!” इसके बाद तो X.com पर मीम्स, तंज और चुटकुलों की ऐसी बरसात हुई कि मंत्री जी ट्रोल्स के ‘ब्रांड एंबेसडर’ बन गए।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री bhupesh baghel जी x.com में अपने वाल पर लिखते है – “शिकायतें दवा की हैं, दवा में कमीशन की हैं पर स्वास्थ्य मंत्री दारू दुकान का औचक निरीक्षण कर रहे हैं!!! सुशासन तिहार चकाचक चल रहा है।”
वहीँ incchhattisgarh के अधिकारिक x.com पर पोस्ट भी लोगों को आकर्षित कर रहा है
निरीक्षण या नाटक?
मंत्री जी पूरे दल-बल के साथ शराब दुकान पर टपके, मानो कोई सुपरहीरो खराब ब्रांड की बोतलों से जनता को बचाने आया हो। सूत्रों की मानें, तो किसी कार्यकर्ता की शिकायत पर ये ‘ऑपरेशन शुद्ध दारू’ शुरू हुआ। लेकिन X.com के ट्रोल्स ने इसे ‘ऑपरेशन ड्रामेबाज़’ का नाम दे दिया। फेसबुक पर वरिष्ठ पत्रकार Devendra Gupta ने लिखा है – “अस्पतालों में बंट रही फंगस युक्त खराब दवाइयों से ज्यादा चिंता इन्हें शराब की है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को शराब दुकान पहुंचकर जांच करने की फुर्सत है परंतु प्रदेश के कई अस्पतालों में मरीजों को दी जा रही खराब व अमानक दवाइयों को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं है।”भले खराब दवाई खाकर आदमी मर जाए पर दारू मिलावटी नहीं होना चाहिए, दारू पीने वाला जिंदा रहना चाहिए। क्योंकि उसका जिंदा रहना छत्तीसगढ़ राज्य, सरकार,मंत्री और नेताओं के हित में है!
- एक वायरल मीम में शराब की बोतल को स्टेथोस्कोप पहनाकर लिखा गया, “छत्तीसगढ़ का नया नारा: एक पेग रोज़, मरीज को खोज़!”
दवा भूलो, दारू संभालो!
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग पर अरबों के भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। अस्पतालों में खराब और अमानक दवाइयों की शिकायतें आम हैं। लेकिन मंत्री जी को इन सबसे ज़्यादा चिंता शराब की शुद्धता की है। X.com पर एक यूजर ने चुटकी ली, “मंत्री जी का लॉजिक: मरीज मर जाए तो कोई बात नहीं, लेकिन दारू मिलावटी हो तो सरकार की बदनामी होगी!” एक अन्य ने लिखा, “मंत्री जी, दारू की बोतल पर Rx लिखकर अस्पताल भेज दीजिए, शायद मरीज ठीक हो जाएँ!”
समर्थकों का बचाव, ट्रोल्स का कटाक्ष
मंत्री के समर्थकों ने बचाव में कहा कि शिकायत मिलने पर तुरंत एक्शन लिया गया, जो उनकी कर्तव्यनिष्ठा दर्शाता है। लेकिन ट्रोल्स ने इसे भी नहीं बख्शा। एक यूजर ने लिखा, “हाँ, कर्तव्यनिष्ठा तो बनती है! आखिर, शराब की दुकानें बंद हुईं तो सरकार का खजाना कैसे भरेगा?” एक अन्य ने तंज कसा, “मंत्री जी ने शराब चेक की, अब बस दारू को आयुष्मान भारत में शामिल करना बाकी है!”
क्या है असली मुद्दा?
जब प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को फंगस लगी दवाइयाँ दी जा रही हों, तब स्वास्थ्य मंत्री का शराब दुकान में ‘निरीक्षण’ करना लोगों को अटपटा लग रहा है। X.com पर बहस छिड़ी है कि क्या ये सिर्फ़ दिखावा था या वाकई में शराब की शुद्धता इतनी बड़ी प्राथमिकता है? एक ट्रोल ने तो हद कर दी, “मंत्री जी, अगली बार दारू की बोतल के साथ एक दवा का सैंपल भी चेक कर लीजिए, शायद सेहत का कुछ भला हो!”
X.com का मूड
X.com पर हैशटैग्स #SharabVsDawa और #ShyamBihariJaiswal ट्रेंड कर रहे हैं। यूजर्स मीम्स, वीडियो और तंज भरे पोस्ट के साथ मजे ले रहे हैं। एक वायरल पोस्ट में लिखा गया, “छत्तीसगढ़ का नया स्वास्थ्य मंत्र: दवा में फंगस, दारू में ट्विस्ट!” एक अन्य यूजर ने सुझाव दिया, “मंत्री जी, अगली बार शराब दुकान के साथ एक अस्पताल भी चेक कर लें, वरना ट्रोल्स आपको दारू मिनिस्टर ही घोषित कर देंगे!”
आपकी राय क्या?
तो क्या शराब की शुद्धता ही प्रदेश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या है? या ये बस एक और नाटक है, जिसे X.com के ट्रोल्स ने अपने अंदाज़ में उड़ा लिया? कमेंट में बताएँ, और अगर आप भी कोई तीखा तंज कसना चाहते हैं, तो X.com पर #SharabVsDawa के साथ शामिल हों! आखिर, जब दवा फेल हो, तब दारू तो काम आएगी ही, है ना?
