Chhattisgarh
पुलिस भर्ती परीक्षा में झोलझाल। 2269 पद के लिए 61 हजार प्रतिभागी इस परीक्षा में शामिल। अब आंदोलनरत…
रायपुर (hct)। छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में आरक्षक भर्ती हेतु 2269 पद के लिए परीक्षा आयोजित की गयी थी जिस हेतु 61 हजार प्रतिभागियों ने आवेदन किया था, मार्च 2019 में इस परीक्षा का रिजल्ट आना था उस समय प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू थी। जिसका रिजल्ट अभी तक जारी नहीं किया गया है। इस मामले को लेकर आवेदकों ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गयी थी। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस विभाग को 60 दिन के भीतर रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था,लेकिन 60 दिन बीत जाने के बाद भी विभाग द्वारा रिजल्ट जारी नहीं किया गया है। बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा परिणाम जारी नहीं किए जाने से प्रतिभागी जवान आक्रोशित हैं।
इसी मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में आवेदकों ने बिलासपुर के नेहरू चौक में पहुंच कर भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और राजधानी रायपुर में बेमियादी आंदोलन करने की घोषणा करते हुए अपनी मांग को लेकर प्रदेश भर से आये आवेदकों ने राजधानी के इदगाह भाटा मैदान में धरना प्रदर्शन किया। गुस्साए आवेदकों ने प्रदर्शन करते हुये सरकार को चेतावनी भी दी हैं कि यदि आरक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम जल्द जारी नहीं किया गया तो वो आने वाले समय में राजधानी में उग्र आंदोलन करने के लिए बाघ्य होंगे।
अवगत होवें कि तनाव के चलते तीन जवान अभ्यर्थियों ने आत्महत्या कर लिया था, परिणाम घोषित नहीं होने से बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंचे आक्रोशित परीक्षार्थी नंदलाल राठौर, ललित कुर्रे, प्रकाश तिवारी ने संयुक्त रूप से हाईवे क्राइम टाइम से रूबरू होते हुए जानकारी दिया कि; परीक्षा परिणाम जारी नहीं होने के कारण तनाव में आकर 3 परीक्षार्थियों ने आत्महत्या कर लिया बावजूद इसके प्रशासन के कानों में जूं भी नहीं रेंगा और अभी तक परिणाम घोषित नहीं किया गया है।
इसके पीछे का कारण जानने के लिए “हाईवे क्राइम टाइम” की टीम ने जब जानकारी जुटाई तो गुप्त सूत्रों से चौकाने वाली रहस्यों से यह खुलासा हुआ कि पूर्ववर्ती सरकार ने इस परीक्षा हेतु एक चयन समिति गठित किया था, जिस गठित टीम ने वृहद् लेन-देन की गई थी। नतीजा आने को ही था कि, आचार संहिता रूपी नाग इस पर कुंडली मारकर बैठ गया और सत्ता परिवर्तन हो गया। अब नाम उजागर न करने की शर्त पर यह जानकारी मिली है कि; भूपेश बघेल की सरकार ने पूर्व गठित “चयन समिति” के अस्तित्व में होने के बाद भी उसके निर्णय को तवज्जो न देते हुए एक और चयन समिति का गठन कर दिया है जिसके चलते मामला अधर में लटका हुआ है।
पता चला है कि उक्ताशय में पुनः लेनदेन होने के बाद इसका परिणाम घोषित हो सकता है।