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तय है कांग्रेस की सरकार…, दिग्गजों का दिल्ली में जमावड़ा।

छत्तीसगढ़ में चुनाव के बाद शनै: शनै: धुंध की परतें छंटने लगी है। जनमत है कि 15 बछर भाजपा सरकार के विदाई की बेला आ चुकी है और इसका अनुमान स्वयं भाजपा के दिग्गजों को भी हो चुका है। एक तरफ चला-चली की बेला ने दिग्गजों को मायूस कर रखा है तो वहीं दूसरी तरफ वनवास समाप्ति के बाद राजतिलक की जश्न का माहौल बन चुका है।

गरीब बादशाहों ने पाँच बरस के लिए अपने शहजादों का चयन कर उनके किस्मत का ताला लगा चुके हैं। इशारा है; “बदलाव का,” संकेत को समझ चुके युवा भारत के नेतृत्वकर्ता ने आगे की रणनीति को अंजाम देने कांग्रेसी दिग्गजों को चाय पीने दिल्ली बुलाया है।

         मंथन होगा इस पर कि सरकार बनेगी तो मुखिया किसे बनाया जावे ? प्रदेश कांग्रेस में लंबे संघर्ष और अंतर्कलह किसी से छिपी नहीं है, विवाद तो होगा परन्तु कुछ एक को अपमान (स्वरूप) का घूंट भी पीकर आत्मसंतुष्ट होना पड़ेगा। आपको बता दें कि कांग्रेस की सरकार बनती है (जो परिलक्षित है) तो मुखिया के दौड़ में तीन संभावित नाम है, राजघराने से चर्चित और बुजुर्ग नेता मगर कॉरपोरेट जगत के हितैषी बाबा टी एस सिंहदेव जिनकी उम्मीद तो है मगर आंशिक, दूसरा सामन्तों के महंत चरण दास जिन्होंने एक साधु के द्वारा देखे गए सपने के झांसे आकर सोने की लालच में सोनिया, राहुल और शिंदे का सोना हराम कर बदनाम हो गए और फिर चरनागत होते हुए पोछा लगाने पर भी उतारू हो गए थे ! अन्ततः एक संघर्षशील और रमन सिंह के लिए हर कदम पर विरोध प्रगट कर हर विकट स्थिति में कांग्रेस की बागडोर सम्हाले जीत की कगार तक पहुंचाने वाले सारथी भूपेश बघेल मगर राह उनकी भी आसान नहीं फिर भी अंतिम विकल्प वे ही नजर आते हैं। मगर देखा जाय तो रूठने-मनाने की परम्परा के चलते कोई चौकाने वाला चेहरा भी एकदम से अवतरित हो सकता है।
       फिलहाल इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव, प्रदेश प्रभारी; पुनिया सहित तमाम बड़े नेताओं के शामिल होने की खबर है मगर आश्चर्य यह कि प्रदेश में सबसे हॉट सीट खरसिया विधानसभा के युवा कांग्रेस प्रत्याशी उमेश पटेल को जिसने कहर झेलकर भी अपनी जीत सुनिश्चित कर लिया है, जिसके लिए समूची भाजपा ने अपनी ताकत झोंक रखी थी और उसी सीट पर देश के राजनीतिक पण्डो की भी निगाह लगी थी, को न्योता नहीं दिया जाना समझ से परे है…!

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