फागुनदाह से बागतराई : छह किलोमीटर की दूरी, पंद्रह किलोमीटर की मजबूरी ?
खेती की ज़मीन देने वाले ग्रामीण अब आक्रोशित। मनरेगा से बनी कच्ची सड़क पक्की बनने से पहले ही भुला दी गई, शासन-प्रशासन की चुप्पी अब आंदोलन को जन्म दे रही है

बालोद जिले के बागतराई गांव में विकास की उम्मीदें अब टूटने लगी हैं। धमतरी से कुछ किलोमीटर दूर बसे इस गांव को फागुनदाह से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण वर्षों से अधूरा पड़ा है। ग्राम विकास समिति और ग्रामीणों की कई बार मांगें उठाने के बावजूद शासन-प्रशासन की अनदेखी ने गांव के विकास को बाधित किया है। अब ग्रामीण लगातार बढ़ते आक्रोश के साथ बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।
शहर के करीब मगर विकास से कोसो दूर
गुरुर (बालोद) hct : जिले के किनारे बसा बागतराई गाँव अक्सर धमतरी शहर के विस्तार में शामिल होता है, लेकिन यहां के मूलभूत विकास कार्यों में बड़ी बाधा फागुनदाह से बागतराई तक सड़क निर्माण का अभाव है। सड़क मार्ग न होने से फागुनदाह और आसपास के कई गांवों जैसे उसरवारा, दर्रा, दियाबाती, नर्मदा, सर्बदा, खोरदो, खुंदनी, अकलवारा का भी विकास रुका हुआ है।
फागुनदाह से बागतराई को जोड़ने वाली सड़क की लंबाई महज़ छह किलोमीटर है, ये छह किलोमीटर नहीं, व्यवस्था की रीढ़ में फंसा काँटा हैं जिसे निकालने की हिम्मत किसी में नहीं।
सड़क जो शुरू तो हुई, पर कभी पूरी नहीं हुई
ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए अपनी खेती की जमीन का अंश भी दान किया है। मनरेगा के माध्यम से मिट्टी डालकर कच्चा रास्ता बनाया गया, लेकिन वह भी अधूरा ही रह गया। ग्राम विकास समिति ने कलेक्ट्रेट में कई बार ज्ञापन दिए और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस विषय में अवगत कराया, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सड़क निर्माण शुरू तो हुई, लेकिन कभी पूरी नहीं हुई। ग्रामीणों की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से बढ़ा गुस्सा
स्थानीय लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। बदलाव आता रहा, कलेक्टर और इंजीनियर बदल गए, लेकिन सड़क अधूरी ही रही। फेसबुक पर राजनीतिक वादों की झड़ी लगती है, पर सड़क की हालत जस की तस है। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा, “नेता भाषणों में खूब सड़क बनाते हैं, जमीन पर कुछ नहीं।”
खेती, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रभावित
सड़क न होने से बच्चों को स्कूल जाना और मरीजों को अस्पताल पहुंचना मुश्किल हो गया है। फागुनदाह और आसपास के गांवों के किसान अपनी उपज बाजार तक पहुंचाने में असमर्थ हैं, जिससे वे आर्थिक नुकसान में हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं। ग्रामीणों का जीवन पटरी से उतरता जा रहा है, क्योंकि वे शहर से कनेक्टिविटी टूटने के कारण सामाजिक और आर्थिक रूप से पीछे छूट रहे हैं।
ग्रामीणों की हड़ताल की चेतावनी
गांव वालों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो वे सड़क निर्माण के लिए चक्का जाम और धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि जब शासन प्रशासन उनकी समस्याओं को अनदेखा करता है, तो आवाज बुलंद करना जरूरी हो जाता है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, “हमारा गुस्सा अब सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं रहेगा। यदि लंबे इंतजार के बाद भी सड़क नहीं बनी तो आंदोलन होगा।”





