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Chhattisgarh

सरकारी सेवा भूमि (कोटवार) की जमीन में “लाल सोने” की खेती !

विनोद नेताम
(संवाददाता)

बालोद। ग्रामीण भारत के छोटे-छोटे गांवों में ग्राम कोटवार की भूमिका महत्वपुर्ण है। सरकार; कोटवारो के सेवा भाव के बदले उन्हे ग्रामीण परिवेश के अनुसार 3200 रुपये महिना के साथ सरकारी सेवा भूमि का लाभ दिया है। कोटवारों की भूमिका पर वैसे नजर डालें तो गांव के महत्त्वपूर्ण ओहदे पर विराजमान नजर आते हैं लेकिन कभी कभार तहसील कार्यालयों की साफ सफाई के दौरान इनके बैंगनी वर्दी में भी दाग लग जाता है। वैसे बैंगनी वर्दी के आड़ में गुरुर तहसील के बोरीदकला पंचायत के कोटवार परमानंद मेश्राम ने शासन से प्राप्त सेवाभूमि पर भूमि सुधार के नाम पर पूर्व सरपंच नरेंद्र सिन्हा के साथ मिलकर अवैध कारोबार करते हुए काली कमाई का सिक्का अपनी तिजोरी में भर रहे हैं, जिसे देखते हुए भी शासन-प्रशासन से जुड़े लोगों ने अपनी नजर को नरेंद्र सिन्हा और परमानंद मेश्राम के ईंट भट्ठे पर कभी नहीं ठहराई है। जबकि सरकारी सेवा भूमि की संचालन का अधिकार जिला के कलेक्टर महोदय के पास रहती है।

अब नरेंद्र सिन्हा पूर्व सरपंच ने शायद पर्यावरण से संबंधित कुछ ना कुछ उपकार किये रहे होंगे जिसके चलते उनकी अवैध व्यापार दिन दुगनी और रात चौगुनी तरक्की में अग्रसर है। जिला में लगभग कई ईंट भट्ठा संचालक है जो इस तरह की खुशनसीब के इंतजार में चकवा पक्षी की तरह ऊपर की ओर देख रहे हैं, इस इंतजार में की शरद की माह में कृपा रुपी अमृत का एक बून्द नसीब से मिल जाये।

जिला में संचालित ज्यादातर ईट भट्ठा भूमि सुधार के नाम पर ईंट भट्टा ठेकेदारों के हांथो बंधक है जहाँ तक सरकार लाखों रुपए खर्च कर भूमि सुधार हेतु अनेक योजनाएं बनाई हुई है तथा भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रशासन हर संभव किसानों की मदद के लिए तत्पर है; लेकिन ईंट भट्टा ठेकेदारों के प्रलोभन और पैसे की चाह के चलते ईंट भट्टा ठेकेदारों की चांदी हो रही है।

ज्ञात हो की इससे पहले जिला के कई किसानों ने ईट्ट भट्टा ठेकेदारों के द्वारा भूमि सुधार के नाम पर पुरे खेत को बर्बाद कर देने की बात भी सामने आई है। लेकिन कंधे के आलस के गांठ से ग्रसित संबंधित विभाग के अधिकारियों ने किसान की बातों को अनसुना कर दिया ! जिससे चलते उसकी मनोबल को आघात पहुंचा है जिसके कारण किसान परिवार अपनी पुरखों की जमीन पर खुशहाली से लहलहाती फसलों की जगह ईंट भट्टा ठेकेदार की अवैध काली कमाई नजर आ रही है, लेकिन बोरीदकला के कोटवार और पूर्व सरपंच नरेंद्र सिन्हा ने अपनी फायदा के लिए सरकारी सेवा भुमी की जमीन पर गैर सरकारी फसल उगा कर अपनी रोटी सेंक रहे हैं।

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