Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

Chhattisgarh

मेरे अनुमति के बिना पेट्रोल न दिया जाए : दंडाधिकारी का तुगलकी फरमान !

लगता है इन दिनों देश और प्रदेश में तुगलकी फरमान की बाढ़ सी आई हुई है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को छोड़ दें; तो जनता के नौकर भी फरमान जारी करने में एक-दूसरे को मात देने में लगे हुए हैं ! छत्तीसगढ़ प्रदेश में जिला महासमुंद अंतर्गत एक ऐसा ही मामला सोशल मीडिया के माध्यम से उजागर हुआ है। केंद्र सरकार ने दैनिक उपभोग की सूची में पेट्रोल को भी शामिल किया है और पेट्रोल पम्प को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है।

हासमुंद जिला के तहत पिथौरा जनपद में पदस्थ अनुविभागीय दंडाधिकारी के द्वारा दिनांक 25 / 03 / 2020 को एक पत्र जारी करते हुए; अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पिथौरा, थाना प्रभारी पिथौरा/सांकरा/ तेंदूकोना, खाद्य निरीक्षक पिथौरा, मुख्य नगर पालिका अधिकारी; नगर पंचायत और समस्त पेट्रोल पम्प व्यवसायी पिथौरा को बिना उनकी अनुमति के बगैर किसी भी दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों को पेट्रोल नहीं दिए जाने से सम्बंधित सरकारी फरमान जारी कर दिया।

आश्चर्य यह कि माननीय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिथौरा के द्वारा जारी यह आदेश पत्र छ०ग० शासन, सामान्य प्रशासन विभाग, महानदी भवन नया रायपुर, अटल नगर एवं कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी, महासमुंद छ०ग० के आदेशानुसार वर्तमान में कोरोना वायरस (COVID-19) के संभावित संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर प्रदेश में लागु धारा 144 के तहत आदेशित / निर्देशित किया गया है। जारी “पत्र क्रमांक / 436 / वा / 2020” में यह टंकित है कि “निर्देशों का जानबूझकर अवहेलना किए जाने पर कानून सम्मत धारा 133, 188, 144 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित की जा सकती है। जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।”

जब इस बात की जानकारी हाईवे क्राइम टाईम को हुई तो सबसे पहले हमारे द्वारा माननीय अनुविभागीय दंडाधिकारी, पिथौरा के पत्र में अंकित धारा के सम्बन्ध में विधि ज्ञाता से संपर्क साधा और यह जाना कि धारा 133, 144, 188 के तहत सजा के क्या प्रावधान है और किस अधिनियम अथवा नियम से सम्बन्धित है ? इस सम्बन्ध में यह ज्ञात हुआ है कि उक्त धारा में से धारा 133 और 144 दंड प्रक्रिया से सम्बंधित है, जो कि प्रक्रिया विधि है एवं धारा 188 भादवि में उल्लेखित दंडनीय धारा है।

महासमुंद जिले के पेट्रोल पम्पों के सम्बन्ध में आदेश जारी किए जाने के पूर्व आदेश का ठीक तरह से शायद अनुविभागीय दंडाधिकारी के द्वारा सूक्ष्मतापूर्वक अध्ययन नहीं किया गया है जिसमे उल्लेखित धाराओं का सिर्फ जिक्र किया गया है किन्तु उक्त धाराए किस संहिता के तहत है अपने आदेश में उल्लेख नहीं किया गया है और यह जानने की कोशिश नहीं की गई है कि पेट्रोल आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आता है जिसे प्राथमिकता के तौर पर उपलब्ध कराना केंद्र और राज्य सरकार का प्राथमिक लक्ष्य है। एक ओर देश वैश्विक महामारी (कोरोना वायरस) के प्रकोप से पीड़ित होकर जीव जंतु से लेकर मानव समुदाय के समक्ष एक विकराल स्थिति पर खड़ा कर दिया है।

आधुनिकता के इस दौर में संचार के त्वरित साधनो को गति प्रदान करने वाले मशीनों / कलपुर्जों (वाहनों) को संचालित करने में पेट्रोल और डीजल की वर्तमान परिवेश में नितांत आवश्यकता है; ऐसी स्थिति में जारी उक्त फरमान जनसामान्य के समझ से परे है। उक्त महामारी से निपटने जहाँ सारा देश प्रयत्नशील है आवश्यक सुविधाओं से जुड़े लोग व आम जनता के लिए समय बेसमय पर पेट्रोल कितना महत्वपूर्ण है शायद उक्त अधिकारी को यह आदेश जारी किए जाने के समय उक्त स्थिति को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए था।

तत्संबंध में हमारे स्थानीय प्रतिनिधि द्वारा भी इस कथन की पुष्टि हेतु स्थानीय पेट्रोल पम्प में जाकर पेट्रोल की मांग की गई किन्तु उक्त आदेश के फलस्वरूप पेट्रोल पम्प में उपस्थित सेल्समेन द्वारा पेट्रोल देने से मना किया गया जिस पर हाईवे क्राइम टाईम द्वारा अधिकारी से बात किए जाने पर जानकारी दी कि उक्त आदेश को त्वरित शिथिल किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page