कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ा रहा प्राध्यापक!

जगदलपुरसाल भर से ज्यादा समय हो चुका है सत्ता परिवर्तन हुए लेकिन प्रशासन की पकड़ अभी तक नौकरशाहो में नहीं के बराबर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री का बचपना अभी गया नहीं है और उन्हें भौंरा चलाने से फुर्सत नहीं ! विकास थम सा गया है और अधिकारी अपनी  मनमर्जी कर रहे हैं। कहीं कोई किसी की सुन नहीं रहा! और सौम्य सरकार  कम्बल ओढ़े घी खा रहे हैं।

शिक्षा मंत्री “नंद का लाल” उमेश पटेल के विभाग में तो शिक्षा का हाल; बेहाल ही नज़र आता है छात्र-छात्राएं जहां नशे के आगोश में है वहीं शिक्षकों की तो बात ही निराली है। कहीं कोई शिक्षक-शिक्षिकाएं खुले आसमान के नीचे रंगरेलियां मनाते हुए कैमरे में कैद हो जाते हैं तो कहीं दारू के नशे में मदहोश !

इन्हीं घटनाक्रम से जुड़ी एक खबर यह भी आ रही है कि जगदलपुर के शासकीय हाई स्कूल कैवरा मुंडा में पदस्थ व्याख्यता सुशील बाजपेई से है, जो संलग्नीकरण की समाप्ति के बाद भी अपने पद पर बने हुए हैं।
सुशील बाजपेयी

इनका मूल शाला शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जगदलपुर है। जो कि आज दिनांक तक कलेक्टर के संलग्नीकरण के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अपने पद पर बने हुए हैं!

कलेक्टर का वह आदेश सूची जिसमें 24वें क्रम में व्याख्यता सुशील बाजपेयी का नाम अंकित है।

जानकारी के मुताबिक यह जेडी जगदलपुर शिक्षा विभाग के फर्जी आदेश से आज भी अपने पद पर फेविकोल के मजबूत जोड़ से चिपके हुए हैं और कलेक्टर के संलग्नीकरण के आदेश एकदम फेसबुकिया अंदाज में ठेंगा दिखाए जा रहे हैं।

पत्र का वह मजमून जिसके आधार पर सुशील बाजपेयी अपने पद पर बने हुए हैं।

ऐसा नहीं है कि कलेक्टर साहब का ध्यान इस ओर नहीं हो। हो सकता है कि मामले में सांठगांठ का भी अंदेशा है और यह भी हो सकता है कि इस कृत्य के लिए वृहद लेन-देन हो गई हो। क्योंकि ये जो “टर” लगे अधिकारी होते हैं; सिर्फ “टर्राना” ही जानते हैं, कुछ करना-धरना होता भी है तो करने के बाद धर लेते हैं और फिर टर्राने लगते हैं। अब देखना यह है कि इस समाचार का इस टर्राने वाले अधिकारी कलेक्टर साहब पर कितना असर डालती है। क्योंकि उनके आदेश के बावजूद व्याख्याता महोदय का अपने पद पर बने रहना जांच का विषय है।

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