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सहकारी समितियों के पुनर्गठन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, लोकतंत्र की जीत : मुरलीधर सिन्हा।

किरीट ठक्कर
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा जुलाई माह में प्रदेश की 1333 सहकारी समितियों के पुनर्गठन के आदेश जारी कर दिए गए थे। बिलासपुर हाई कोर्ट द्वारा राज्य शासन के इस आदेश के विरूद्ध लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी है।
आदिमजाति सेवा सहकारी समिति गरियाबंद के संचालक मुरलीधर सिन्हा ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। मुरलीधर सिन्हा ने बताया की जिले की अन्य सहकारी समितियों की ओर से भी हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई है।
बिलासपुर हाई कोर्ट में मुरलीधर सिन्हा तथा अन्य सहकारी समिति सदस्य।
मुरलीधर सिन्हा।
सिन्हा के अनुसार छत्तीसगढ़ सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 16 ग के तहत राज्य शासन को पुनर्गठन का अधिकार है किंतु निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल जब तक पूर्ण नही हो जाता, उनकी बरखस्तगी का अधिकार नही है।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ शासन के आदेशानुसार गरियाबंद जिले की 38 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के पुनर्गठन के लिए प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं। समितियों के कार्य संचालन की जवाबदारी भी इन्ही प्राधिकृत अधिकारियों को दी गई है।
बिलासपुर हाई कोर्ट की डबल बैंच चीफ जस्टिस पी रामचंद्र और जस्टिस पी पी साहू की बैंच ने शासन के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पुनर्गठन आदेश स्थगित कर दिया है।याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने अपनी दलील में कहा कि पुनर्गठन के नाम पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को नही हटाया जा सकता। प्रदेश सरकार के इस निर्णय के पीछे राजनीतिक कारण है।

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