विधायकों की तरह पत्रकारों को भी मिलेगा विशेषाधिकार ?
छत्तीसगढ़ सरकार लागू करने जा रही पत्रकार सुरक्षा कानून (कब)?
पत्रकार परिषद का गठन कर पत्रकारिता की अस्मिता की करेंगे रक्षा (कैसे) ?
पत्रकारिता और पत्रकारों की चिता सजाने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ पत्रकार रुचिर गर्ग।
जब-जब सरकार पर विपत्ति दिखाई देने लगता है तब-तब उसे प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी जाति और पत्रकारों के द्वारा लम्बे समय से मांग की जा रही पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग सरकार के लिए जिन्न साबित हो चुकी है। दिनांक 11 अगस्त 2019 को सेजबहार स्थित पत्रकार विश्राम गृह में वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज और कमल शुक्ला की अगुवाई में सरकार के द्वारा पारित विज्ञापन नीति के विरोध में एक चर्चा रखी गई थी, जिसमें दिनेश सोनी, सम्पादक : हाईवे क्राइम टाइम (रायपुर), भरत योगी imnb नीतिन सिन्हा, सम्पादक : खबर सार (रायगढ़), मनोज पाण्डे, सम्पादक : बुलंद छत्तीसगढ़ (रायपुर), मोहन साहू : आवाम दूत, रमेश पाण्डे : दबंग दुनिया, सुधीर तम्बोली स्वतंत्र पत्रकार (रायपुर), नाहिदा कुरैशी, राजेश पुराणिक, प्रकाश ठाकुर, डी.पी. गोस्वामी, पूरन सिंह ठाकुर, संदीप परगनिहा, शुभम शर्मा आदि शामिल होकर पुरजोर विरोध किया।
उपरोक्ताशय की भनक लगते ही सरकार के अरुचिकर मंडल के महानुभव ने पत्रकारों को फिर लॉलीपॉप थम्हाने के लिए एक नया शिगूफा छोड़ दिया है। जानिए क्या है उनका नया सब्जबाग…
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के लिए खुशखबरी आने वाली है ! अब पत्रकारों की गिरफ्तारी सीधी नहीं होगी। बिना पत्रकार परिषद के अनुमति के पत्रकार की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जा सकती है। सबकुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो जाएगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूत करने ऐसा पहल करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा, जहाँ पत्रकारों को झूठे मुकदमे में फंसाने वाली कार्यवाही पर विराम लगेगी। इसके लागू हो जाने के बाद विधायकों की तरह पत्रकारों को भी विशेषाधिकार मिलेगा और पत्रकारों पर बढ़ रहे अत्याचार से सुरक्षा मिलेगी।
विधायकों की तरह सुरक्षा कवच
किसी ना किसी तरीके से पत्रकारों को झूठे केस में फंसाने और पुलिस बिना जांच के पत्रकारों को गिरफ्तार कर रही है। शिकायत लगातार बढ़ रही है। पत्रकारों का शोषण हो रहा है, जिस भय के कारण छत्तीसगढ़ के पत्रकार स्वतंत्रता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब पत्रकारों को ठीक वैसा ही कानूनी सुरक्षा कवच मिलने जा रहा है जैसा कि विधायकों को दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून का जो ड्राफ्ट जस्टिस आफताब आलम के सानिध्य में तैयार किया जा रहा है, इसमें पत्रकारों को सीधे पकड़कर जेल भेजना आसान नही होगा। किसी पत्रकार के खिलाफ तभी कानूनी कार्रवाई होगी, जब पत्रकार परिषद इसके लिए अनुमति प्रदान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बना रहे कानून
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहे आफताब आलम की देखरेख में पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून छत्तीसगढ़ में लागू होने जा रहा है। कानून का मसौदा तैयार करने के लिए राज्य सरकार की उच्चस्तरीय समिति में जस्टिस आफताब आलम के साथ दो कानून विशेषज्ञ और एक वरिष्ठ पत्रकार को भी शामिल किया गया है। जिसके तहत राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग के आला अधिकारियों से भी बारी-बारी से मीटिंग की जा रही है।
तैयार हो रहे ड्राफ्ट में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि वकीलों के बार काउंसिल की तरह ही पत्रकार परिषद का भी गठन किया जाए जिसमें पत्रकारों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ कुछ कानूनी सलाहकारों को भी परिषद का सदस्य बनाया जाए।
महासमुन्द में हुआ था महाधरना
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बनने के साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग और तेज हो गई । कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी यह शामिल है। गत दिनों 23 जुलाई 2019 को महासमुन्द में प्रदेशभर के पत्रकार एकजुट होकर महाधरना दिए थे। प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इसके दूसरे दिन ही राज्य सरकार ने नई अधिमान्यता नीति लागू करने का ऐलान किया। जिसे पत्रकार सुरक्षा की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। इस बीच अब एक बार फिर अच्छे संदेश मिल रहा है।