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कजराबांधा की घटना चिंता का विषय, नगरपालिका ने नही लिया सबक।

*हेमंत साहू
बालोद। ग्राम कजराबांधा में 2 वर्ष के मासूम की सोखता में डूबने से हुई मौत की घटना से पूरे प्रदेश का ध्यान ऐसे हादसों की ओर गया और उम्मीद जताई गई कि भविष्य में फिर कभी ऐसे हादसे सामने नहीं आएंगे। किन्तु विड़म्बना ही है कि; जिला मुख्यालय बालोद में निर्माण के बाद खुला पड़ा सोखता मानो जैसे किसी की मौत का इंतजार कर रहा हो। सवाल यह भी हैं कि आखिर हाल ही में हुए ऐसे दर्दनाक हादसों के बावजूद क्या सोखता के गड्ढे इसी प्रकार खुले छोड़े जाते रहेंगे और कब तब मासूम जानें इनमें फंसकर इस तरह दम तोड़ती रहेंगी। हालांकि ऐसी घटना से सबक सीखने की बातें दोहराई जाती हैं लेकिन पता चलता है कि न तो आमजनों ने और न ही प्रशासन ने ऐसी हृदय विदारक घटना से कोई सबक सीखा है।
गुंडरदेही के कजराबांधा की तरह किसी अनहोनी की आशंकाओं को देखते हुए जिला योजना समिति के सदस्य और पार्षद नितेश वर्मा ने कहा है कि, जिला प्रशासन को ऐसे निर्माण कर खुले छोड़े गए जानलेवा गड्ढो को संज्ञान में लेकर तत्काल बंद कराना चाहिए या सुरक्षा के पुख्ता उपाय के लिए लापरवाह जिम्मेदारों को निर्देशित करना चाहिए ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।
कजराबांधा की घटना चिंता का विषय, नगर पालिका ने नही लिया सबक
कजराबांधा का दर्दनाक हादसा चिंता का विषय तो बन ही रहा हैं, साथ ही यह भी साबित करता हैं कि हाल ही में हुवे ऐसे हादसे से बेपरवाह नगर पालिका ने कोई सबक नही लिया है। शायद इसीलिए लापरवाही के चलते निर्माण के बाद सोखता खुला छोड़ दिया गया है।
लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी, पहले छोड़ा था खुला टैंक
सदस्य और पार्षद नितेश वर्मा ने बताया कि, नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी लापरवाह है। कुछ साल पहले स्टेडियम के गेट के बगल में स्कूल के सामने ऐसे ही टैंक को खुला छोड़ दिया गया था और अब कजराबांधा के घटना के बाद भी सोखता को खुला छोड़ा गया है।
भरेगा बारिश का पानी तो घट सकती है दुर्घटना
तालाब पार में सड़क के किनारे खुले सोखते में बारिश का पानी भरने के बाद किसी अप्रिय घटना से इंकार नही किया जा सकता, जो किसी परिवार को जिंदगी भर का असहनीय दर्द दे सकती है।
जानलेवा सोखते के आस-पास है घर और मंदिर
दशेला तालाब के इस जानलेवा सोखते के आस-पास घर के अलावा मंदिर भी है। संजय नगर का यह दशेला तालाब बस्ती से लगा हुआ है। तालाब पार में ही मंदिर और पुष्पवाटिका होने के कारण छोटे-छोटे बच्चों का आना जाना लगा रहता है।

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