
बालोद। ग्राम कजराबांधा में 2 वर्ष के मासूम की सोखता में डूबने से हुई मौत की घटना से पूरे प्रदेश का ध्यान ऐसे हादसों की ओर गया और उम्मीद जताई गई कि भविष्य में फिर कभी ऐसे हादसे सामने नहीं आएंगे। किन्तु विड़म्बना ही है कि; जिला मुख्यालय बालोद में निर्माण के बाद खुला पड़ा सोखता मानो जैसे किसी की मौत का इंतजार कर रहा हो। सवाल यह भी हैं कि आखिर हाल ही में हुए ऐसे दर्दनाक हादसों के बावजूद क्या सोखता के गड्ढे इसी प्रकार खुले छोड़े जाते रहेंगे और कब तब मासूम जानें इनमें फंसकर इस तरह दम तोड़ती रहेंगी। हालांकि ऐसी घटना से सबक सीखने की बातें दोहराई जाती हैं लेकिन पता चलता है कि न तो आमजनों ने और न ही प्रशासन ने ऐसी हृदय विदारक घटना से कोई सबक सीखा है।
गुंडरदेही के कजराबांधा की तरह किसी अनहोनी की आशंकाओं को देखते हुए जिला योजना समिति के सदस्य और पार्षद नितेश वर्मा ने कहा है कि, जिला प्रशासन को ऐसे निर्माण कर खुले छोड़े गए जानलेवा गड्ढो को संज्ञान में लेकर तत्काल बंद कराना चाहिए या सुरक्षा के पुख्ता उपाय के लिए लापरवाह जिम्मेदारों को निर्देशित करना चाहिए ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।