Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

ChhattisgarhConcern

वरना फिर घसीटकर रेंगकर बोर्ड के पक्ष में लड़ना पड़ेगा क्या ?

रायपुर। यह नजारा राजधानी रायपुर में खमारडीह स्थित “हाउसिंग बोर्ड” की कॉलोनी है। चार भागों में विभाजित कॉलोनी का सबसे बड़ा परिसर, जिसमें 400 फ्लैट्स हैं। सबसे ऊपर के फ्लैट्स 6वीं मंजिल पर टंगे हुए हैं। कॉलोनी बहुत पुरानी नहीं है। वर्ष 2011-12 से लोगों ने यहां आकर रहना शुरु किया है। इस कॉलोनी के मेंटेनेन्स का जिम्मा ‘हाउसिंग बोर्ड‘ के पास ही है।
लेकिन कॉलोनी की तस्वीर को ही देखकर यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बोर्ड यह जिम्मेदारी कितनी मुस्तैदी से निभा रहा है। कॉलोनी की आधी लिफ्ट प्रायः खराब ही रहती है। बोर्ड के इंजीनियर मिश्रा, जो इस कॉलोनी को स्वस्थ्य रखने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, की दलील है कि इससे रहवासियों की कसरत बेहतर ढंग से हो रही है और उनकी पेट की चर्बी कम हो रही है। कुछ आये हुए लोग शाश्वत ढंग से चले भी जाये, तो यह जनसंख्या नियंत्रण में उनका विनम्र योगदान हो सकता है, सो नालियां भी बजबजा रही है। बोर्ड के पैसों का अपव्यय होने से रोक रहे हैं, सो अलग।
मार्च से जो जलसंकट शुरू हुआ है, वह अभी तक जारी है। वैसे कागजों में 24 घंटे जलापूर्ति चल रही है, ऐसा दिखाना उनकी मजबूरी है। सो हमने ही सोचा कि बेचारे मिश्रजी को पानी में घुलने से बचाया जाए! तस्वीर डाल दी है। पीने का पानी है, लेकिन किस स्रोत से आ रहा है, कितना शुद्ध है, पता नहीं।
टैंकर पर नंबर तक नहीं है। जिसको पानी पीना हो, कपड़े धोना हो या कुछ और धोना-पखारना हो, वह नीचे तक आये और 6वीं मंजिल तक चढ़ाकर ले जाये ! नहाने की जरूरत पड़ेगी नहीं, क्योंकि निकला हुआ नमकीन पसीना ही काफी होगा शरीर को शुद्ध करने के लिए. 500 फ्लैट्स के लिए 24 घंटे में एक या दो ही टैंकर आते हैं, इसलिए इस बात की कोई गारंटी नही कि आपको चुल्लू भर पानी भी मिल ही जाए! औकात है, तो बिसलरी के जार मंगाइये और मिश्रजी को दुआ देते हुए अपना गला तर कीजिये। वैसे ध्यान से तस्वीर देखेंगे, तो यह टैंकर भी बड़ी तेजी से रिस ही रहा है।
पिछले चार माह से कॉलोनी के वाटर पंप खराब है। बोर्ड के पास इसे सुधारने के लिए पैसे नहीं है, जबकि फ्लैट का हर रहवासी साल में 8000 रुपये मेंटेनेन्स फीस और जल शुल्क देने के लिए मजबूर है। इसका उपयोग वे निजी टैंकर मालिकों के जरिये गुणवत्ताहीन पानी सप्लाई करके कर रहे हैं। पानी में जितना खर्च हो रहा है, शायद उससे चौथाई में पंप और लिफ्ट सुधर जाते, नालियां ठीक हो जाती। लेकिन तब हाउसिंग बोर्ड और मिश्रजी को उनके समाज-कल्याण, प्रदेशोत्थान और मानव सेवा के लिए याद कौन करता, जो निरंतर 24 घंटे मकान नहीं, घर बनाने में और वहां के रहवासियों का घंटा बजाने में जुटे है!!
इस पोस्ट को मैं (संजय पराते) अपने अभिन्न मित्र Ruchir Garg रुचिर को भी टैग कर रहा हूं। इस समय वे मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हैं। उनसे यही आग्रह है कि उनकी सरकार के अधीनस्थ बोर्ड के इस सराहनीय काम को पूरे प्रदेश की मीडिया की नजरों में लाये और बोर्ड के लिए, मिश्रजी के लिए किसी पुरस्कार-विशेष की सिफारिश करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page