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दिसंबर की खूनी और काली रातें कितनी भी लम्बी क्यों न हो सबेरा होकर रहता है।

वक्त की पुकार

सबेरा होकर रहेगाजनजागरण अभियान जिन्दाबाद।

जनजागरण अभियान मे दिनांक 12 जून से 26 जून तक जैसी सफलता मिली है, वह एक शुभ लक्षण है। “शहीद स्मारक समिति” की बैठक “शहीद भवन” उरकुरा रायपुर (छग) मे हुई, जिसमे गुडगांव, लखनऊ ,प्रतापगढ़, सुल्तानपुर आदि स्थानों से आए प्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय सदस्यों ने भाग लिया और “शहीद स्मारक भवन” रायपुर के कु-प्रबन्ध पर चिंता प्रकट की।

प्रगतिशील और उत्साही साथियों मोतीलाल त्रिपाठी, कमलनारायण शर्मा, रामअधार तिवारी, रणबीर शास्त्री व अन्य ने मिलकर जिस उद्देश्य एवम् लक्ष्य के लिए “शहीद स्मारक भवन” की एतिहासिक इमारत बनवाई थी, वह उस उद्देश्य पर खरी नही उतरी। “शहीद स्मारक भवन” का प्रबंध तत्काल जिलाधीश की अध्यक्षता मे निर्मित “ट्रस्ट” द्वारा कराया जाना चाहिए। स्वार्थी और प्रतिक्रियावादी लोगों ने उसे लूट कर अड्डा बना दिया है। जमाने ने करवट ली है और “विप्लवी” नेतृत्व की तलाश मे हैं। समूचे स्वाधीन भारत मे पूंजीवादी अराजकता चरम पर है।

“झारखण्ड” मे बेगुनाह बच्चे को भीड़ ने पीट-पीटकर शहीद कर दिया। इसी प्रकार देश के कोने-कोने से हिंसा और अराजकता के समाचार लगातार मिल रहे हैं। भारत समेत पूरे विश्व मे पूंजीवाद अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर अपनी उपयोगिता समाप्त कर चुका है, अब केवल पूंजीवादी व्यवस्था, पूंजीवादी राज और पूंजीवाद को दफनाने की जितनी आवश्यकता आज महसूस की जा रही है उतनी पहले कभी नही की गई। देश मे पूंजीवाद के विनाशकारी परिणाम अब तेजी से सामने आ रहे हैंं। जन आंदोलन को सही दिशा देने की जिम्मेदारी “पूंजीवाद विरोधी इन्कलाबी मोर्चा” ने सम्भाली है। “आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है।”

राष्ट्रीय स्तर पर एक “वैज्ञानिक समाजवादी पार्टी” की गठन की आवश्यकता है। सत्ता परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, दुनिया की कोई ताकत इस परिवर्तन को रोक नही सकती। 26 जून1975 ई को अचानक आपातकाल घोषित किये जाने के लिए इन्दिरा उतनी दोषी नही जितना उनके सलाहकार पी.एन. हक्सर, गुलामनबी आजाद जैसे अन्य सलाहकार थे, सभी ने अपना स्वार्थ साधा और इन्दिरा को गुमराह किया। जनता ने इन्दिरा के गुनाहों को माफ कर फिर से उन्हें गद्दी पर बैठाया किन्तु कुदरत ने माफ नही किया, इन्दिरा समेत उनके दोनो पुत्र षडयंत्र से मारे गए, कहीं ऐसा तो नही कि मोदी भी उसी षड्यंत्र के शिकार होने जा रहे हैं ? देशवासियो के लिए सामूहिक रुप से चिन्तन-मनन का सही समय है।

अधिवक्ता अवधनारायण त्रिपाठी।

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