छुरा (गरियाबंद)। छुरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कोसमी के आश्रित ग्राम बम्हनी में इन दिनों आदिवासी विकास विभाग द्वारा करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से आदिवासी कन्या आश्रम का निर्माण करवाया जा रहा है। जिसमें सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों समेत ठेकेदार के द्वारा काफी लापरवाही बरती जा रही है, जिससे की उक्त निर्माणाधीन भवन के गुणवत्ता पर पर शंका उत्पन्न हो रही है।
विदित हो कि आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा उक्त सुदूर वनांचल क्षेत्र में अध्ययनरत आदिवासी छात्राओं को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उक्त स्थान पर करोड़ो रूपये की लागत से आदिवासी कन्या आश्रम का निर्माण कराया जा रहा है, जानकारी के अनुसार जिसका सम्पूर्ण निर्माण कार्य रायपुर में निवासरत एक पेटी ठेकेदार के द्वारा किया जा रहा है, कार्य स्थल पर लगे सूचना फलक के अनुसार उक्त कार्य मेसर्स अब्दुल रहीम मेमन को आबंटित हुआ है, किन्तु कार्य स्थल पर कार्यरत स्थानीय मजदूर बताते है कि यह कार्य मेसर्स अब्दुल रहीम के द्वारा नही बल्कि उसके द्वारा मनोनीत रायपुर के कोई पेटी ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि कुछ बड़े ठेकेदार मुफ्त में पैसे कमाने के चक्कर में अपने लाइसेंस के माध्यम से आबंटित कार्य को किसी भी गैर लाइसेंसी ठेकेदार को दस से पंद्रह फीसदी कमीशन काट कर दे देते हैं, जिसके बाद उक्त ठेकेदार को निर्माण कार्य से किसी भी प्रकार का कोई सरोकार नही होता है, वही दूसरी ओर जब पेटी ठेकेदार इस प्रकार के कार्यो के क्रियान्वित करते है तब न तो उनके द्वारा निर्माण की गुणवत्ता का कोई ध्यान रखा जाता है और ना ही नियमानुसार कार्य किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप गुणवत्ताहीन इमारतों का निर्माण मिली भगत से हो जाता है, इन तथाकथित ठेकेदारों की जेब तो भर जाती है, किन्तु इस प्रकार की कमीशन खोरी से निर्माणाधीन भवनों की गुणवत्ता पर निश्चित रुप से फर्क पडता है।
एक ओर जहां उक्त निर्माण में ठेकेदारों की लापरवाही के चलते निर्माण के गुणवत्ता पर सवाल उठते है तो दूसरी ओर उक्त ठेकेदार के द्वारा गरियाबंद जिले के बाहर से करीब आठ से दस लोगो को लाकर काम लिया जा रहा है, निर्माण कार्य शुरू होने के दो से तीन माह बाद भी बाहरी लोगो से सम्बंधित दस्तावेज ना तो क्षेत्र के थाने में जमा कराए गए हैं और नही ही पंचायत में जमा कराए गए है। जिसके चलते अगर उक्त स्थल पर कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो वहाँ पर कार्यरत बाहरी मजदूरो की पहचान मुश्किल हो जायेगी।
“उक्त निर्माण स्थल पर कार्यरत बाहर से लाये गए मजदूरों से सम्बंधित कोई भी दस्तावेज हमारे पंचायत में जमा नही कराया गया है।”