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क्या वाकई भाजपा और कांग्रेस नेताओं का संबंध “दाऊद इब्राहिम” से है ? किताब के पन्नों से…, आओ इसका पता लगाएं। (पहली किश्त)

हेडलाईन देखकर चौंक गए न ?

पहले प्रतिनिधि जनता के बीच से चुनकर आते थे; इसलिए वे जनप्रतिनिधि कहलाते थे, अब दौर के साथ यह दायरा बदल गया है और वर्तमान परिवेश में नेता; अपराध की काल कोठरी से आते हैं। गौर करने वाली बात है कि वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा में दिग्गजों का जो जमावड़ा है; वह कितने पाक साफ हैं ?
एक ओर देखा जाए तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अजय बिष्ट, प्रज्ञा ठाकुर, प्रतापचन्द्र षडंगी जैसे कितने दूध के धुले हैं, देश की जनता से छिपी नहीं है। वहीं छत्तीसगढ़ के एक सांसद रमेश बैस के बारे में दिल्ली की एक पत्रिका *”बिल्ड इंडिया“, जनवरी 2009 के अंक में प्रकाशित एक खबर कि, “रमेश बैस का सम्बन्ध भारत के मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम से है”,जानकर आपके पैरो तले जमीं खिसक जाएगी।
प्रतीकात्मक छायाचित्र
हांलाकि छत्तीसगढ़ में जब इस पत्रिका का वितरण होना था, इसकी बहुत सी प्रतियां तात्कालीन सत्ता दल के ठेकेदारों ने जमींदोज करवा दिया था, फिर भी वक्त की नजाकत को देखते हुए कुछ लोगों ने इसे सम्हाल कर रखा हुआ है। इस पत्रिका (बिल्ड इंडिया) में प्रकाशित लेख से इस बात का उजागर होता है कि तब के समय में पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री {स्वतंत्र प्रभार} रमेश बैस के साथ उन दिनों फुग्गा भाई नाम के व्यक्ति को साथ देखा जा रहा था।

कौन है यह फुग्गा भाई ?

फुग्गा भाई का सम्बन्ध अब्दुल रहीम धांधू (पूर्व पार्षद, मौदहापारा) से है। जिसके बेटे यासीन का सम्बन्ध फुग्गा भाई के लड़के फारुख से हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फुग्गा भाई का असली नाम शफीक भाई है। इसकी कहानी की शुरुआत होती है; दिनांक 26/60/1995 से। मौदहापारा पुलिस ने पूर्व पार्षद अब्दुल रहीम धांधू के घर से दाऊद इब्राहिम गिरोह के एक अपराधी इस्माइल उर्फ़ सैय्यद ज़हूर को संदिग्ध हालातों के चलते मुखबिर की सूचना पर पकड़ा था जिस पर अपराध क्रमांक 142/127/1995 धारा 41 (2)/109 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस ने जब जहूर से कड़ी पूछताछ की तब उसने अपने आपको मुंबई का निवासी होना बताया और पूर्व में किए गए धारा 302 एवं 326 की तहत जेल की हवा भी खा चूका था।
चौकाने वाली बात यह कि जहूर का नाम मुंबई बम कांड 1992 के संदेहियों की लिस्ट में था। मौदहापारा पुलिस के रिकार्ड के अनुसार जहूर एक खतरनाक किस्म का अपराधी था, जिसके चलते पुलिस ने उसे माननीय न्यायलय से जमानत पर न छोड़ने की अपील की थी, मगर सांसद रमेश बैस के दबाव में आकर तात्कालीन अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी में पुलिस रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए उसे…
महज 3000 रूपए की रकम पर सारागांव की जमीन प० ह०न० 106, खसरा नंबर 465/2, 46613 रकबा 0.154, 0.027 पर दिनांक 27/06/1995 को जमानत दे दी गई। जमानत लेने वाला मोहम्मद युसूफ वल्द अब्दुल रहीम धांधू निवासी मौदहापारा था।
इस पत्रिका में उल्लेखित अनुसार, अब आपकी जानकारी में जो लाने/बताने जा रहे हैं उससे रूबरू होकर आप हैरान रह जाएंगे।
जानकारी के अनुसार जहूर उर्फ़ जहूरुद्दीन का सम्बन्ध दाऊद इब्राहिम गिरोह से था और रायपुर में उसका  आना-जाना, पूर्व पार्षद अब्दुल रहीम धांधू के यहाँ था तथा उसकी मेल-मुलाकात पूर्व और वर्तमान मंत्री मोहम्मद अकबर, अब्दुल सलीम, मजीद खान, शमीम, मो. अजीम भोन्दू, जब्बार हाजी, अन्नू , रिसम बाबू, शेख बाबू, रफीक बाबू, बूचा, मिश्री खान, भक्कू, लल्लू ठेलेवाले, मो. यासीन, गाजी, बब्बू… आदि आदि से होना जाहिर होता है। उक्त पत्रिका में लिखी बातों के अनुसार पूर्व व वर्तमान मंत्री मोहम्मद अकबर तब के समय 5 से 6 सौ करोड़ के संपत्ति के मालिक थे और अब्दुल रहीम धांधू भी करोड़ों के मालिक हैं।

क्रमशः

*(इस लेख की सामग्री “बिल्ड इण्डिया” नामक पत्रिका, जनवरी 2009 के अंक में प्रकाशित लेख के आधार पर साभार ली गई है। जिसकी प्रमाणिकता के दावे वेबसाइट हाईवे क्राइम टाईम नहीं करता।)

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