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Chhattisgarh

रायपुर सेन्ट्रल जेल में “फाइव स्टार होटल” का सुख, गृह मंत्री की काबिलियत पर उठे सवाल

रायपुर सेंट्रल जेल में बंदियों की मौज और "व्यवस्था की मौत" मोबाइल, सेल्फी, जिम और जानें तक बिक रही हैं, मगर गृह मंत्री के पास देखने का समय नहीं।

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ की सबसे सुरक्षित कही जाने वाली रायपुर सेंट्रल जेल आज अपनी सुरक्षा नहीं, बल्कि सुविधाओं के लिए सुर्खियों में है। जेल के भीतर सब कुछ वैसा बताया जा रहा है, जैसा किसी फाइव स्टार होटल में होता है — मोबाइल, मसाज, महफिल और मेन्यू तक। कुछ दिन पहले वरिष्ठ पत्रकार मुकेश एस. सिंह ने सोशल मीडिया मंच X पर एक वीडियो साझा किया था, जो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया।

बैरक नंबर 15 का वीडियो और ‘राजा बैझड़’ की जिम सेल्फी

वायरल फुटेज में बैरक नंबर 15 का दृश्य है। उसमें विचाराधीन बंदी राशिद अली उर्फ राजा बैझड़ कसरत करता दिखाई देता है। बताया जाता है कि इसी मोबाइल से उसने अपने साथियों के साथ सेल्फी भी ली थी, जिसे बाद में सोशल मीडिया पर साझा किया गया। मीडिया सूत्रों के मुताबिक, यह सेल्फी और वीडियो दोनों 5 अक्टूबर के हैं। यह वही बैरक है, जहाँ पहले भी मोबाइल बरामदगी के मामले सामने आ चुके हैं।

आदतन अपराधी और जेल में दबदबा बनाए रखने की चाहत

दरअसल, मो. राशिद अली उर्फ राजा बैझड़ कोई सामान्य बंदी नहीं है। उसके खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस, मारपीट और जान से मारने की धमकी जैसे कई गंभीर अपराध दर्ज हैं। जेल में रहते हुए भी उसका प्रभाव बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, वह लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय रहता है और अपनी छवि “बॉडीबिल्डर डॉन” की तरह गढ़ने में जुटा है। सवाल यह है कि ऐसा मोबाइल उसके पास पहुँचता कैसे है?

व्यवस्था के भीतर ‘व्यवस्था’

यह पहला मौका नहीं जब रायपुर सेंट्रल जेल चर्चा में आई हो। इससे पहले भी यहाँ मोबाइल बरामदगी, नशे का सामान मिलने और बंदियों द्वारा जेल स्टाफ को धमकाने जैसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जानकारों का कहना है कि जेल के भीतर कुछ कुख्यात बंदी नियमित रूप से मोबाइल फोन, महंगे सिगरेट और घर का बना खाना इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ को तो ‘स्पेशल सेल’ का दर्जा प्राप्त है, जहाँ बिना इजाज़त कोई पुलिसकर्मी भी नहीं पहुँच सकता।

‘सब कुछ पैसे से संभव’ – अंदरूनी सूत्रों का खुलासा

बताया जाता है कि कई बंदी हर शाम मुलाकात के बहाने मेहमानों से मिलते हैं। तय समय से ज़्यादा मुलाकातें भी “विशेष अनुमति” से संभव हो जाती हैं। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया – “यहाँ सब कुछ पैसे से संभव है। जिसके पास पैसा है, उसके लिए जेल किसी होटल से कम नहीं।”
मामला सामने आते ही जेल अधीक्षक और दो सिपाहियों को लापरवाही और मिलीभगत के आरोप में निलंबित किया गया, लेकिन कार्रवाई को सिर्फ दिखावे की कवायद माना जा रहा है।

सुरक्षा और मौतों की चिंता

छत्तीसगढ़ की जेलों में बंदियों की संदेहास्पद मौतें लगातार सामने आ रही हैं। पिछले डेढ़ साल में करीब 150 बंदियों की न्यायिक हिरासत में मौत हुई। इनमें दुर्ग केंद्रीय जेल का मामला शामिल है, जहाँ 1 जुलाई 2025 को एक विचाराधीन कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। जनवरी 2025 में रायपुर सेंट्रल जेल में एक अफ्रीकन कैदी की मौत हुई, जबकि हाल ही में एक बंदी की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे मेकाहारा अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ उसकी मौत हो गई।

VIP बंदियों की अलग दुनिया

रायपुर सेंट्रल जेल में ED, CBI और ACB–EOW जैसी जाँच एजेंसियों के VIP आरोपी भी बंद हैं — जिनमें महादेव ऐप सट्टा घोटाले के आरोपी, 32,000 करोड़ के शराब घोटाले के प्रमुख आरोपी कवासी लखमा, अनवर ढेबर, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य उर्फ बिट्टू शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन VIP बंदियों को गैरकानूनी रूप से मिल रही सुख-सुविधाओं ने जेल के भीतर वर्ग संघर्ष का माहौल बना दिया है। संवेदनशीलता को ताक पर रखना अब न केवल निंदनीय, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की खोखली हकीकत भी उजागर कर रहा है

प्रदेश में ‘गृह मंत्री’ हैं या मौनी बाबा ?

प्रदेश के गृह मंत्री की ओर से इस पूरे प्रकरण पर अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। वे समय-समय पर “कानून-व्यवस्था मजबूत” होने की दुहाई देते हैं, लेकिन सेंट्रल जेल की यह हकीकत उन्हीं की ‘मजबूती’ का आईना बन गई है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री तक इस विषय पर रिपोर्ट पहुंच चुकी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिक जांच की घोषणा हुई है।

प्रदेश की मूर्धन्य जनता इस सोंच में है कि जब जेल के भीतर ही कानून का मखौल उड़ाया जा रहा है, तो बाहर न्याय की उम्मीद किससे की जाए? गृह मंत्री की चुप्पी अब उनके विभाग की निष्क्रियता की गवाही बन चुकी है।

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