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Chhattisgarh

भू माफिया को खदेड़ कर आदिवासियों ने अपने जमीन पर किया कब्जा।

ठाकुरदेव की पूजा-अर्चना कर कब्जामुक्त जमीन पर हल चलाकर की धान बोआई।

गुरुर (बालोद) hct : छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुरुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम कर्रेझर में आदिवासी समुदाय ने भू-माफिया के चंगुल से अपनी जमीन को मुक्त करा लिया। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर ग्रामीणों ने परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ ठाकुरदेव की पूजा-अर्चना कर इस जमीन पर हल चलाकर धान की बोआई की।

डेढ़ दशक से थी भू माफियाओं के कब्जे में जमीन 

यह जमीन पिछले 16-17 वर्षों से भू-माफिया के कब्जे में थी। कर्रेझर के ग्रामीणों ने बताया कि कन्हैया लाल साहू ने धमतरी निवासी गरीब आदिवासी महिला परमिला सोरी के नाम से यह जमीन खरीदी थी। भू-माफिया ने ग्रामीणों को झूठा आश्वासन दिया था कि इस जमीन पर कृषि उद्यानिकी महाविद्यालय स्थापित किया जाएगा, जहां आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी। लेकिन वर्षों बाद भी न तो कोई महाविद्यालय बना और न ही ग्रामीणों के हित में कोई कार्य हुआ।

जमीन वापसी की मांग को लेकर आन्दोलनरत थे समुदाय 

हाल ही में ग्रामीणों को पता चला कि इस जमीन को गुप्त रूप से किसी गैर-आदिवासी को बेचने की तैयारी चल रही है। इस जानकारी के बाद ग्रामीणों ने तत्क inconveniece बालोद कलेक्टर को लिखित शिकायत दी और भू-माफिया के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की। साथ ही, उन्होंने अपनी जमीन वापस लेने की मांग को और मजबूत करने के लिए पिछले माह 26 मार्च को राजाराव वीर मेला स्थल पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। प्रशासन के आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी।

ठाकुरदेव की पूजा-अर्चना कर की धान की बोआई

अक्षय तृतीया के दिन कर्रेझर के सभी ग्रामीण, महिला-पुरुष एकजुट होकर इस जमीन पर पहुंचे। आदिवासी परंपराओं के अनुसार, ठाकुरदेव से धान की दोना लेकर पूजा की गई और जमीन पर धान की बोआई कर भू-माफिया के कब्जे को समाप्त करने का संकल्प लिया। ग्रामीणों का कहना है, “हमें हमारी जमीन वापस चाहिए। भू-माफिया ने हमें महाविद्यालय का झूठा सपना दिखाकर छल किया। अब हम अपनी जमीन पर अपने हक के लिए लड़ेंगे।”
यह घटना न केवल आदिवासी समुदाय की एकजुटता और उनके हक की लड़ाई का प्रतीक है, बल्कि भू-माफिया के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी देती है। ग्रामीणों की इस जीत को पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है।
अमीत मंडावी संवाददाता
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