
गुरुर (बालोद) hct : बालोद जिले में अवैध लाल ईट भट्टों का कारोबार बेरोकटोक फल-फूल रहा है। खनिज और राजस्व विभाग की कथित मिलीभगत के चलते इन भट्टों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे ईट भट्टा संचालकों के हौसले बुलंद हैं। गुरुर विकासखंड, जो भूजल स्तर के मामले में रेड जोन में है, वहां पानी की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके बावजूद, किसानों द्वारा लगाए गए कृषि पंपों का उपयोग खेती के बजाय अवैध ईट भट्टों के लिए पानी उपलब्ध कराने में किया जा रहा है।
बिजली विभाग द्वारा किसानों को 3 एचपी पंप के लिए 6000 यूनिट और 5 एचपी पंप के लिए 7000 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाती है। लेकिन, इस सुविधा का दुरुपयोग हो रहा है। कुछ किसान लालच में आकर अपने पंपों का पानी ईट भट्टों को बेच रहे हैं। बिजली विभाग भी ऐसे भट्टों को अस्थायी कनेक्शन प्रदान कर रहा है, जिससे स्थिति और गंभीर हो रही है। यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो भूजल स्तर और नीचे जाएगा, जिससे भविष्य में पेयजल संकट पैदा हो सकता है।
प्रभावित गांव और पर्यावरण को नुकसान
गुरुर क्षेत्र के ग्राम डोटोपार, सनौद, अरकार, कोसागोंदी, पेंडरवानी, पलारी, सांगली, बोहारडीह, कुलिया, भेजा मैदानी, बालोदगहन, बोरिदकला, भरदा और सोरर अवैध ईट भट्टों के गढ़ बन चुके हैं। इन भट्टों से न केवल भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, बल्कि मिट्टी का कटाव और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। भट्टों से निकलने वाला धुआं और राख हवा में फैलकर मानव स्वास्थ्य, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। बारीक कणों और राख से आंखों में जलन और बढ़ रही है श्वास संबंधी समस्याएं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट ने लाल ईट निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके, खनिज और राजस्व विभाग इन अवैध भट्टों पर कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं, जिससे अवैध कारोबार को और बढ़ावा मिल रहा है।
जनजागरूकता के प्रयास बेअसर
भूजल संरक्षण के लिए जिले में रैलियां और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस प्रभाव नहीं दिख रहा। अवैध ईट भट्टों और कृषि पंपों के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए तत्काल कठोर कार्रवाई की जरूरत है, अन्यथा पर्यावरण और भूजल संकट गहराता जाएगा।
आवश्यक कदम
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अवैध ईट भट्टों पर तत्काल कार्रवाई और उनके संचालन पर पूर्ण रोक।
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कृषि पंपों के दुरुपयोग की जांच और दोषी किसानों पर कार्रवाई।
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बिजली विभाग द्वारा अस्थायी कनेक्शन देने की प्रक्रिया पर अंकुश।
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भूजल संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियों का कड़ाई से पालन।
यदि प्रशासन समय रहते नहीं चेता, तो बालोद जिले में पर्यावरणीय और जल संकट की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
