राजिम कुंभ मेला में स्टॉल निर्माण के नाम पर “व्यापक” घोटाला।
महाघोटाले का गढ़ बना जनसंपर्क विभाग 2000 वर्गफीट के स्टॉल के लिए 4.5 करोड़ का भुगतान

एक तरफ साय सरकार “मोदी की गारंटी, विष्णु का सुशासन” प्रचारित करते हुए प्रदेश भाजपा की सरकार को 15 महीने हो जाने की चुहलबाजी में “सुशासन तिहार” का शंखनाद करते हुए, सरकार की नीति को भ्रष्टाचार के मामले में “जीरो टॉलरेंस” का ढोल पीट रहे हैं, वहीँ उनके ही विभाग संचालनालय जनसम्पर्क एवं छत्तीसगढ़ संवाद में जमकर घपले घोटालों की पोल खुल रही है।
माननीय के कथनी “भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर, किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भ्रष्टाचार का आरोपी चाहे कितना भी रसूखदार क्यों न हो, उसे अपने कृत्यों की सजा मिलकर रहेगी। और करनी में “क्षितिज” का अंतर महसूस होता है; चूँकि इतिहास गवाह है, “कोई भी राजा खुद को सजा नहीं देता”
रायपुर hct : राजिम कुंभ मेला, जो आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख राजनीतिक धार्मिक आयोजन, हाल ही में भ्रष्टाचार के गंभीर मामला आरटीआई के माध्यम से सुर्खियों में आया है। विशेष रूप से, स्टॉल निर्माण में एक निजी फर्म, “मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेस” द्वारा कथित तौर पर 4.5 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है।
छोटा स्टॉल, बड़ा घपला
मामला दरअसल ऐसा है कि 2024 के राजिम कुंभ मेले में स्टॉल निर्माण का ठेका मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेस को दिया गया। कलेक्टर कार्यालय, गरियाबंद ने इसके लिए 2000 वर्गफीट जगह आवंटित की थी। लेकिन बिल में जो सामने आया, वह चौंकाने वाला था। 2000 वर्गफीट के एक स्टॉल की, जिसके लिए ठेकेदार फर्म “मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेस” ने शासन से 4 करोड़ 36 लाख रुपये हड़प लिए। छोटे से स्टॉल में 36,000 वर्गफीट पेंटिंग, 25 जनरेटर, 10 एसी और 25 किलोमीटर केबल जैसी चौंकाने वाली खर्चा जोड़कर बिल बनाया गया है। खबर है कि अधिकारियों से मिलीभगत के इस सुनियोजित खेल के जवाब की तलाश में शासन ने जांच शुरू कर दी है।
- 36,000 वर्गफीट का पुट्टी-पेंटिंग कार्य – स्टॉल में पूरा मेला रंग दिया क्या?
- 19,000 वर्गफीट का राम मंदिर मॉडल – मॉडल था या मंदिर खड़ा कर दिया?
- 5,000 स्पॉट लाइट और 25 जनरेटर – स्टॉल था या स्टेडियम?
- 25 किलोमीटर केबल और 32 टेंट – किराये पर 20.48 लाख रुपये का दावा।
- एक अप्रत्याशित पहलू यह है कि फरवरी के महीने में 24 घंटे स्टाल को ठंडा रखने के लिए 2 टन क्षमता के 10 वातानुकूलक…! कुल मिलाकर, इस छोटे से स्टॉल के लिए 4.36 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।
महाघोटाले का गढ़ बना जनसंपर्क विभाग
इस घोटाले की जड़ें संचालनालय जनसंपर्क एवं छत्तीसगढ़ संवाद विभाग तक पहुँचती हैं,जिसने प्रदर्शनी और स्टॉल निर्माण की जिम्मेदारी ली थी। इसकी कमेटी में शामिल थे : मुख्य कार्यकारी अधिकारी (संवाद) मयंक श्रीवास्तव, अपर संचालक जे.एल. दरियो और उमेश मिश्रा, संयुक्त संचालक (क्षेत्रीय प्रचार) पवन गुप्ता, और संयुक्त संचालक (वित्त) सुश्री मनीषा नाग।
आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपनी पसंदीदा फर्म “मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेस, रायपुर” को ठेका दिलवाया। कमीशनखोरी के चक्कर में न तो कार्य स्थल का क्षेत्र जाँचा गया, न ही बिल के मापदंडों पर नजर डाली गई, और मोटी रकम का भुगतान कर दिया गया। यह सवाल उठता है – क्या यह सिर्फ लालच था, या सिस्टम का हिस्सा?
कमीशनखोरी का यह सिलसिला संचालनालय जनसम्पर्क एवं छत्तीसगढ़ संवाद की स्थापना से निरंतर चले आ रहा है। मुख्यकार्यकारी अधिकारी सी. के खेतान से लेकर गणेशशंकर मिश्रा और राजेश सुकुमार टोप्पो से लेकर दीपांशु काबरा तक सभी अपनी चहेती अनुगृहीत फर्मो को उपकृत करते आए हैं। फिर भ्रष्टाचार इस हमाम में “रवि मित्तल” का बिना नहाए धोए निकल जाना गंवारा नहीं लगता।
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आरटीआई से खुली पोल
इस घोटाले का पर्दाफाश आरटीआई कार्यकर्ता आशीष देव सोनी ने किया।उनके दस्तावेजों ने साबित किया कि ठेकेदार और अधिकारियों ने मिलकर शासन को अंधेरे में रखा। बिल में लाइट की ऐसी संख्या दिखाई गई, जिससे पूरा राजिम नगर जगमगा सकता था। 2000 वर्गफीट के स्टॉल का गेट 12,000 वर्गफीट का बताया गया, और साउंड सिस्टम पर 30.80 लाख रुपये खर्च दिखाए गए। यह देखकर लगता है कि जाँच नाम की चीज ही नहीं थी।
महाघोटाले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय प्रेषित
राजिम कुम्भ मेले में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भी की गई है, जिस पर माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शिकायत को पंजीयन कर छत्तीसगढ़ शासन को मामले में कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। उक्त परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के डायरेक्टर विवेक आचार्य को मामले की जांच करने अधिकृत किया गया है।
शासन की कार्यवाही : “कद्दू कटेगा तो सब में बंटेगा” ?
मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने तुरंत संज्ञान में तो ले लिया और एक जांच टीम गठित कर दिया है। गठित टीम न सिर्फ इस घोटाले की परतें खोलेगी, बल्कि यह भी पता लगाएगी कि क्या यह अकेला मामला है या पुरानी सरकारों से चली आ रही साजिश। कांग्रेस शासन में भी राजिम कुंभ (तब पुन्नी मेला) में ऐसी ही अनियमितताएँ सामने आई थीं, जब बिना जाँच के ठेकेदारों को मोटी रकम थमा दी गई थी। लेकिन साजिश बेपर्दा होने पर क्या दोषियों पर सचिव महोदय की कार्यवाही की तलवार लहराएगी या कद्दू कटेगा तो सब में बंटेगा वाला किस्सा साबित होगा ?
भ्रष्टाचार की लपटें प्रयागराज महाकुंभ तक
राजिम कुम्भ में हुए भ्रष्टाचार की लपटों से प्रयागराज महाकुम्भ भी अछूता नहीं, क्योंकि विष्णु के सुशासन की झलक तो प्रयागराज में भी अपना परचम लहरा रहा था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर प्रयागराज महाकुंभ में छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों के लिए छत्तीसगढ़ पवेलियन तैयार किया गया था जिसका भी ठेका इसी भ्रष्ट फर्म व्यापक इंटरप्राइजेस को दिया गया था। जिसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है, उसका भी खुलासा हम अतिशीघ्र करने वाले हैं।
