खनन माफिया ओमू साहू को विधायक के वरदहस्त होने का है गुमान !
पंचायतों की सांठगांठ के चलते पंचायत के रजिस्टर में प्रस्ताव बनाकर बिना खनिज विभाग की अनुमति के धड़ल्ले से मुरूम निकाला जा रहा है।

गुरुर (बालोद) hct : ब्लाक में मुरम खनन का अवैध कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। अवैध मुरुम को निजी निर्माण कार्यों में खपाया जा रहा है। कहीं छोटे-छोटे किसानों को पैसे का लालच देकर उनकी जमीन को समतल करने के बहाने मुरूम निकाल रहे हैं। तो कहीं वन भूमि के साथ ग्रामीण क्षेत्रों भी मुरूम की अवैध खुदाई के केंद्र बन गए हैं। जिसकी ना कोई परमिशन है ना कोई रायल्टी दी जा रही है।
गुरुर क्षेत्र के अंदरुनी इलाको में इन दिनों रात के अंधेरे और दिन के उजालो में अवैध मुरुम उत्खनन का कारोबार बेरोकटोक निरन्तर जारी है। सुनसान जगहों पर बिना किसी विभागीय अनुमति के अपना जेसीबी मशीन और हाईवा लेकर जमीन को बेतहाशा खुदाई कर मुरुम की चोरी कर ले जाने की आये दिन खबर मिलती रहती है। संबंधित विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता के परिणाम स्वरूप खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
मामला गुरुर क्षेत्र ग्राम मुड़गहन का है, जहां पर “ओमु साहू” के द्वारा बिना लीज बिना रॉयल्टी मुरुम का अवैध खोदाई किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि खनन माफियाओं द्वारा बेतरतीब ढंग से खोदकर मुरुम निकाला जा रहा है। क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां सुबह चार बजे से मुरूम खनन शुरू हो जाता है जो देर रात तक चलते रहता है।
इसके पहले भी लगभग 85 लाख की लागत से जोगिया तालाब की सौंदर्यीकरण के निर्माण कार्य में अवैध मुरूम की अनगिनत खेप खपाया जा चुका है जिसमे टेंडर ठेकेदार के पास मुरूम परिवहन का किसी भी तरह का कोई रॉयल्टी पर्ची नहीं थी और ना हीं उत्खनन कर परिवहन करने वाले के पास कोई वैध दस्तावेज है। जिसके सम्बन्ध में भी समाचार प्रकाशन कर कुम्भकर्णी निन्द्रा में लीन प्रशासनिक आतंकियों को जगाने का प्रयास किया गया था।
पंचायतों की सांठगांठ से दिया जाता है अंजाम
जेसीबी और हाइवा से मुरम का अवैध उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है। पंचायतों की सांठगांठ के चलते पंचायत के रजिस्टर में प्रस्ताव बनाकर बिना खनिज विभाग की अनुमति के धड़ल्ले से मुरूम निकाला जा रहा है। खनन में पंचायत प्रतिनिधि और खनन माफियाओं की संलिप्तता देखी जा रही। बड़े पैमाने पर अवैध खनन का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। इस अवैध उत्खनन को लेकर खनिज विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय हाथ में हाथ धरे, आंख मूंदकर बैठे हुए हैं।
दबी जुबान से खबर देने वालों का कहना है कि मुरुम की अवैध खननकर्ता “ओमु साहू” को विधायक का वरदहस्त है और जिस हाइवा का परिवहन में उपयोग किया जा रहा हैं वह भी विधायक के द्वारा ख़रीदा हुआ मगर नाम किसी और का है, संभवतः इसी के चलते खनिज विभाग के जिम्मेदारों की कार्रवाई करने के नाम पर पेंट गीली हो जाती है।
लीज के लिए गुजरना होता है कई प्रक्रियाओं से
अगर कोई प्रक्रिया के तहत मुरूम खदान संचालन की अनुमति लेने के लिए तैयार भी हो जाता है, तो उसे कई तरह के खानापूर्ति करनी पड़ेगी। सबसे बड़ी बाधा पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्राप्त करने की हो सकती है। विभाग से अनुमति प्राप्त करने के लिए कागजी खाना पूर्ति करने के साथ आवेदक को राजधानी की दौड़ भी लगानी पड़ती है। बताया जाता है कि इन सब चक्कर में फंसने के लिए कोई तैयार नहीं है। खासकर उस स्थिति में जब लोगों को अवैध रुप से मुरूम आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है।
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