पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या…
"सीधे मौत की सज़ा देते हो, वजह क्या है? मुझे बताओ तो सही, मेरा गुनाह क्या है?"

पत्रकारों की हत्या और प्रताड़ित करने की फेहरिस्त काफी लम्बी है। बस्तर में जहाँ साई रेड्डी, नेमीचंद जैन और मुकेश चंद्राकर को मौत के घाट उतारा गया; वहीँ बिलासपुर में पत्रकार सुशील पाठक की हत्या और वर्तमान गरियाबंद जिला के छुरा ब्लॉक से उमेश राजपूत की हत्या अविस्मरणीय है। इन तमाम पत्रकारों की मौत अलावा भी कई ऐसे पत्रकार हैं जिनकी हत्या अतीत के पन्नों में समाहित हो चुकी है। इन हत्याओं के अलावा भी कई ऐसे हैं जिनमे से पत्रकार प्रभात सिंह, संतोष यादव, सोमारू नाग, मंगल कुंजाम को जेल में रखा गया तो लिंगा कोडोपी को जेल में दी गई यातना की दास्तां दिल दहला देने वाली है। बस्तर के ही वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला पर भी सरेराह कांग्रेसियों द्वारा किए गए हमले को भुलाया नहीं जा सकता।
रायपुर hct : मुकेश चंद्राकर 01 जनवरी की शाम को टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए घर से बाहर निकला था। कुछ समय बाद उनका फोन स्विच ऑफ हो गया और रात तक घर वापस नहीं लौटा। मृतक के भाई युकेश चंद्राकर ने आसपास के घरों और शहर के विभिन्न स्थानों पर उनकी तलाश की, इस मामले को लेकर भाई युकेश ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपील किया रहा।
नक्सलियों के चंगुल में फंसने का भी कयास
युकेश ने कहा- भाई का जिस किसी को भी कोई भी सुराग मिले, वो जहां भी मिले या दिखे तो इसकी जानकारी उन तक दें। इसके बाद युकेश ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। यह भी कयास लगाया जा रहा था कि मुकेश कहीं नक्सलियों के चंगुल में तो नहीं फंस गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने तुरंत जांच टीम गठित कर खोजबीन शुरू की।
पुलिस ने कहा था ‘क्लू मिला है।’
शिकायत के बाद पुलिस लगातार मुकेश के फोन को ट्रेस कर रही थी। पुलिस को जांच के दौरान कुछ अहम सुराग मिले थे, मगर फोन बंद होने की वजह से अंतिम लोकेशन घर के आस-पास का ही दिखा रहा था। इसके बाद जीमेल लोकेशन में मुकेश का अंतिम लोकेशन घर से दो किलोमीटर दूर और बीजापुर थाना से पांच किलोमीटर दूर चट्टानपारा इलाके में होना पाया गया। यहाँ पर बीजापुर के चर्चित ठेकेदार सुरेश और रितेश चंद्राकर का बैडमिंटन कोर्ट है। शक के आधार पर पुलिस और कुछ स्थानीय पत्रकार मौके पर पहुंचे।
सेप्टिक टैंक में मिली लाश
पत्रकारों की टीम जब पुलिस के साथ घटना स्थल चट्टानपारा पहुंची तब पुलिस का रवैया नागवार था। वह पत्रकारों को गुमराह करते हुए शुरुआत में तो सेप्टिक टैंक को नहीं तोडने के लिए एक बानगी राजी नहीं हुए, और वहां बने कुछ कमरों को जिसमे ताले लटक रहे थे खोलकर यह बताने का प्रयास किया कि यहाँ कहीं भी मुकेश नहीं है नाहक ही वक्त जाया करवा रहे हो।
मगर पत्रकारों ने कुछ पुष्ट जानकारी और सेप्टिक टैंक के आसपास तात्कालिन नवनिर्माण को लेकर जिद पर अड़ गए तब भी नानुकुर करते हुए गैस रिसाव का बहाना बनाते हुए जवाबदारी से पीछे हटने तहसीलदार की उपस्थिति को आड़े खड़ा कर दिया मगर पत्रकारों की जिद के आगे पुलिस को झुकना पड़ा और जैसे – तैसे टैंक को तोड़ने के लिए जेसीबी बुलवाया गया। अंततः सेप्टिक टैंक टूटने के बाद उसकी लाश टैंक से ही बरामद हुआ।
“सीधे मौत की सज़ा देते हो, वजह क्या है?
मुझे बताओ तो सही, मेरा गुनाह क्या है?”
मुकेश चंद्राकर ने उपरोक्त पंक्ति को 20 दिसंबर 2024 को अपने फेसबुक वाल में पोस्ट किया था। तब शायद उसने सोंचा भी नहीं रहा होगा कि उसके मौत की साजिश रची जा चुकी है। जी हाँ, सूत्रों के मुताबिक 29-30 दिसंबर को ही मुकेश के हत्या की साजिश रची जा चुकी थी।
भ्रष्टाचार उजागर होने की खबर से थे खफा
मृतक मुकेश ने एनडीटीवी के लिए सड़क के भ्रष्टाचार की खबर बनाई थी, सुरेश चंद्राकर उसी सड़क का ठेकेदार है। खबर चलते ही खफा हो गया था। कुछ साल पहले गंगालूर से मिरतुर तक 52 किमी सड़क निर्माण काम का टेंडर निकला था, तब सड़क की लागत 50 करोड़ रुपए थी। सुरेश ने टेंडर लिया, उसके बाद सड़क की लागत 120 करोड़ रुपए हो गई। सड़क की हालात काफी खराब थी, लेकिन लीपापोती कर सुरेश को करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा था। खबर लगने के बाद सरकार ने सड़क निर्माण में लापरवाही को लेकर जांच कमेटी बना दी, जिससे सुरेश को गड़बड़ी का खुलासा और भारी भरकम नुकसान का डर था।
साजिशन हत्या को दिया गया अंजाम
सूत्रों के मुताबिक 29-30 दिसंबर को ही मुकेश के हत्या की साजिश रची गई थी। सुरेश, रितेश और दिनेश चंद्राकर तीनों रिश्ते में मुकेश के चचेरे भाई हैं। इन तीनों में रितेश, मुकेश का सबसे करीबी दोस्त था। दोनों ने साथ पढ़ाई की थी और इनमें काफी प्रगाढ़ता भी थी। इसी का फायदा उठाकर सुरेश ने साजिश के तहत रितेश के द्वारा मुकेश को घर बुलाने के लिए कहा गया था। पहले 31 तारीख को मुकेश को बुलाया गया था, लेकिन किसी काम में फंसे होने के कारण मुकेश उस दिन आने से मना कर दिया था।
मुकेश की लाश बरामदगी के बाद पुलिस ने रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार किया। वहीं हत्या के मास्टरमाइंड ठेकेदार सुरेश चंद्राकर जो फरार था उसे भी हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिए जाने की खबर है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
हत्यारों ने डिनर पर बुलाया था
31 तारीख को जब मुकेश नहीं आया तो उसे बार-बार फोन कर 1 जनवरी की शाम चट्टानपारा स्थित सुरेश के बैडमिंटन कोर्ट परिसर में बुलाया गया। मुकेश आने के लिए रेडी हो गया। जिसके बाद मुकेश को खाना खाने बैठाया गया। खाना खिलाकर जमकर पीटा। *मुकेश की हत्या करने आरोपियों ने पहले पीछे से वार किया और जब वह गिर गया तो उस पर ताबड़तोड़ वार किए गए और बाद में उसके शव को सैप्टिक टैंक में डालकर बाहर से सीमेंट गारा लाकर बड़ी ही सफाई से प्लास्टर कर दिया गया।
पोस्ट मॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी हतप्रभ
*पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश के लीवर 4 टुकड़ों में मिले हैं। 5 पसलियां टूटीं, सिर पर 15 फ्रैक्चर हैं। हार्ट फटा हुआ और गर्दन टूटी हुई मिली है। उसकी एक कॉलर बोन भी बुरी तरह टूटी है। उसके शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं छूटा था, जहां आरोपियों ने चोट न पहुंचाई हो। उसकी बाईं कलाई पर चोट के निशान मिले हैं। संभवतः बचाव के दौरान उसे यह चोट लगी हो, लेकिन उसे बचाव का ज्यादा मौका नहीं मिला। उसकी मौत के बाद भी उस पर लोहे के रॉड से मारा जाता रहा। निर्दयता पूर्वक की गई हत्या के बारे में पीएम करने वाले डॉक्टरों ने भी कहा है कि उन्होंने अपने कॅरियर में इतनी बुरी स्थिति में कोई शव नहीं देखा है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया और प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने जारी की प्रेस नोट
प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के संपादकीय नेतृत्व के मानकों को बढ़ाने के उद्देश्य से गठित देश की एकमात्र संगठन “एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया” ने छत्तीसगढ़ के एक युवा स्वतंत्र पत्रकार श्री मुकेश चंद्राकर की संदिग्ध हत्या की खबरों पर वेदना प्रकट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दर्शाया है। संगठन ने मुकेश की हत्या को गंभीर विषय बताते हुए पत्र जारी कर कहा है कि “एडिटर्स गिल्ड,” छत्तीसगढ़ सरकार से मामले की शीघ्र जांच करने और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने की मांग किया है। वहीँ “प्रेस क्लब ऑफ इंडिया” ने भी प्रेस रिलीज जारी कर कड़ी कार्रवाई की मांग एक निश्चित समय पर करने की मांग की है।