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३६गढ़ में भाजपा की सरकार किसानों के साथ कर रहे है खिलवाड़ : जनसेवक कुलदीप साहू।

भाजपा सरकार की सुशासन से किसान हो रहे हलाकान।

गुरुर (बालोद) : छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार जब से सत्ता में आई है। तब से पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो चुका है। छत्तीसगढ़ राज्य में इन दिनों धान खरीदी केंद्रों में किसानों से धान खरीदी का सिलसिला जारी है।14 नवंबर से धान खरीदी का शुभारंभ कर दिया गया है। लेकिन किसानों की मुश्किलें अभी से बढ़ने लगी है। धान खरीदी मुश्किल से अभी एक सप्ताह ही हुआ है और अभी से खरीदी केंद्रों में बारदाने की कमी होने की काला बादल छाने लगे है।

अव्यवस्थाओ का आलम देखने को मिल रहा है। जिसके कारण किसानों को बेवजह ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान अपने फसल को बीमारी और मौसम की मार से जैसे तैसे बचा तो लेता है। उसके बाद सरकार का इस तरह से किसानों के साथ रवैया अपनाना बेहद ही शर्मनाक और दुखद है। भाजपा सरकार का किसान हितैषी का भरोसा और विश्वास सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रहा है।

डबल इंजन की सरकार  फिर भी…

केंद्र और राज्य में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। फिर भी किसानों को मिलने वाली सिस्टम पूरी तरह से चरमरा सी गई है। आज सभी समिति प्रबंधकों की चिंताओं की लकीरें माथे में उभरने लगी है। क्योंकि बारदाने की किल्लत से किसानों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों का इस बार टोकन कटवाने का सिस्टम पूरी तरह से ऑनलाईन कर दिया गया है और समय पर धान नहीं बिका तो फिर कई दिनों तक अपनी बारी का इंतजार करने के लिए भटकना पड़ेगा।

सरकार ने अभी नई आदेश जारी कर किसानों की जेब को खाली करवाने पर तुले हुए है। अब बारदाने की व्यवस्था स्वयं किसानों को करना होगा, 50% बारदाना समिति द्वारा दिया जायेगा। इस तरह से बीच मझधार में फसाकर किसानो को मजबूर करने वाले भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

किसानों द्वारा बारदाना खरीदी कर धान बेचने पर सरकार प्रति बोरी 25 रुपए देने की बात तो कह रहे है। लेकिन वहीं कुछ किसानों ने अपनी समस्या जाहिर करते हुए बताया कि दुकानों में बारदाने की कीमत 30 से 40 रूपये मे खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में नुकसान किसानों का ही हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण मीलरो से मिलने वाला बारदाना समिति को नहीं मिल पाना।

अनुबंध में सामंजस्य नहीं

मार्कफेड और मीलरो के बीच अनुबंध में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। पिछले बार प्रति क्विंटल कस्टम मिलिंग का दर 120रु.था,इस बार सीधा आधा मतलब 60रू. कर दिया गया है।जिससे भाजपा सरकार की रीति नीति से मिलर नाखुश चल रहे हैं। अगर सरकार किसान और समितियों को होने वाले नुकसान से समय पूर्व उचित व्यवस्था कर लिया तब तो ठीक है।

अगर समय रहते सरकार इस पर अमल या ठोस कदम नहीं उठाया तो इस बार बारदाने की किल्लत और परिवहन नहीं होने से शार्टेज की जो समस्या आएगी वह समिति प्रबंधकों के लिए गले का फांस बन सकती है और जोखिम भरे चुनौतियों के साथ काफी नुकसान होने की संभावना है, जिसका खामियाजा स्वयं समिति के सदस्यों को ही उठाना पड़ सकता है।

अमीत मंडावी
संवाददाता
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