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ठगी की रकम के लिए बैंक खाते किराए पर देती थी ग्वालियर की गैंग

टेलीग्राम के जरिए देशभर के लोगों से ठगी करने वाले ठगों को ग्वालियर की गैंग किराए पर बैंक खाते उपलब्ध करवाती थी। पुलिस ने छह आरोपितों को पकड़ा है। जिसमें खाता खुलवाने वाले एजेंट और खाते से रकम निकालकर ठगों तक पहुंचाने वाले लोग भी शामिल हैं। क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम विंग अभी इस गैंग से पूछताछ कर रही है।

HIGHLIGHTS

  1. फेडरल बैंक का डिप्टी मैनेजर भी शामिल, छह आरोपित गिरफ्तार
  2. टेलीग्राम के जरिए देशभर के लोगों से ठगी करता था गिरोह
  3. क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम विंग अभी इस गैंग से पूछताछ कर रही है

ग्वालियर। टेलीग्राम के जरिए देशभर के लोगों से ठगी करने वाले ठगों को ग्वालियर की गैंग किराए पर बैंक खाते उपलब्ध करवाती थी। इस गैंग में फेडरल बैंक का डिप्टी मैनेजर भी शामिल है, जो बिना औपचारिकताओं के ही इस गैंग द्वारा लाए गए लोगों के बैंक खाते खोल देता था। पुलिस ने छह आरोपितों को पकड़ा है। जिसमें खाता खुलवाने वाले एजेंट और खाते से रकम निकालकर ठगों तक पहुंचाने वाले लोग भी शामिल हैं।

क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम विंग अभी इस गैंग से पूछताछ कर रही है। इस गैंग का कनेक्शन उप्र, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में बैठकर ठगी करने वालों से निकल रहा है। ग्वालियर के ही कुछ और लोग भी पकड़े जा सकते हैं। पुलिस पूछताछ के लिए इन्हें रिमांड पर लेगी। इस गैंग का खुलासा भी ग्वालियर की ठगी की वारदात की पड़ताल से ही हुआ है।

सिटी सेंटर इलाके में रहने वाले बलविंदर सिंह ढिल्लन के साथ टेलीग्राम एप के जरिये पार्ट टाइम नौकरी का झांसा देकर साढ़े नौ लाख रुपये की ठगी हुई थी। इस मामले में एफआइआर होने के बाद पड़ताल की तो सामने आया कि ठगी की रकम ग्वालियर के ही फेडरल बैंक के खाते में गई है। इसी पर टीम ने काम किया और इस गैंग तक पहुंच गई।

जरूरतमंद लोगों को ढूंढते थे

यह लोग जरूरतमंद लोगों को ढूंढते थे। जिन्हें रुपये की जरूरत होती थी। फिर उन्हें हर महीने पांच से दस हजार रुपये महीने का लालच देते थे। खाता होता था तो एटीएम, पासबुक ले लेते थे। खाता न होने पर फेडरल बैंक में खाता खुलवाते थे। पुलिस की पड़ताल की हर जानकारी बैंक से आरोपितों तक पहुंची: इस मामले में पुलिस कई दिनों से पड़ताल कर रही थी। पुलिस को जब पता लगा कि फेडरल बैंक के खाते में रकम गई है तो टीम बैंक पहुंची। यहां से फुटेज, खाते की जानकारी मांगी गई। यह सूचना बैंक से ही आरोपितों तक पहुंच गई। जिसके चलते यह आरोपित पुलिस को चकमा दे रहे थे। करीब एक सप्ताह की घेराबंदी के बाद आरोपित पकड़े गए।

यह आरोपित पकड़े

नाम और क्या भूमिका

  • ऋतिक सनोटिया पुत्र राकेश सनोटिया निवासी 101 सनत होम्स अपार्टमेंट, सिटी सेंटर- फेडरल बैंक का मैनेजर। यह खाते खोलता था।
  • सोहिल पुत्र कल्लू खान निवासी सागरताल रोड- इसके नाम से बैंक खाता था। जिसे किराये पर दिया गया।
  • प्रयल अष्ठाना पुत्र स्व. प्रदीप कुमार अष्ठाना निवासी हजीरा- यह ऋतिक का मुख्य गुर्गा है। यही सभी को खाता खुलवाने ले जाता था।
  • आकाश कोली पुत्र शिवप्रसाद कोली निवासी किशनपुरी, मुरार- यह पैसे निकालता और ठगों तक पहुंचाता था।
  • इमरान खान पुत्र हम्मू खान निवासी सागरताल रोड- यह एजेंट है।
  • वीर सिंह उर्फ धर्मेंद्र पुत्र स्व. भूप सिंह कौरव निवासी सीबी पैलेस के सामने, शिंदे की छावनी- एजेंट है।

ठगों को खाते उपलब्ध कराने वाली गैंग पकड़ी गई है। इस मामले के बाद यह सामने आया है कि ठगी के मामलों में बैंक और टेलीकाम कंपनियों के कर्मचारियों की भूमिका भी मिल रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि इस तरह के मामलों में अगर बैंक कर्मचारी, टेलीकाम कर्मचारी की भूमिका सामने आती है तो उसे भी आरोपित बनाया जाए।

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