और “पुनीत” के प्रताप से बन गए मुन्ना भाई एमबीबीएस !
रायपुर (hct)। राजनीति में भले ही रमन सिंह को डॉक्टरेट की उपाधि मिल जाए; मगर डॉक्टरी के पेशा में हैं तो झोला छाप डॉक्टर ही। लेकिन असल मे उनका दामाद “पुनीत गुप्ता” जो डॉक्टर हैं, दरअसल इनकी फितरत ही चार सौ बीसी (420) की ही रही है।
समाचार पत्र नई दुनिया में प्रकाशित “डॉक्टर तो बन जाएंगे मुन्नाभाई, लेकिन नहीं कर सकेंगे प्रैक्टिस” की खबर के हवाले से प्रदेश के 3 शासकीय मेडिकल कालेजों में 41 मुन्नाभाई पढ़ाई कर रहे थे, उन्होंने परीक्षा भी दी और उन्हें डिग्री भी प्रदान किया गया; लेकिन बाध्यता यह थी कि वे न तो प्रेक्टिस कर सकते थे और न ही उनका मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमआईसी) में पंजीयन होगा। यह मामला सन 2007-08 का था, तब इसी “पुनीत गुप्ता” के पिताश्री और डॉ. रमन सिंह के समधी डॉ. जी.बी. गुप्ता विभाग प्रमुख थे।
“ये हैं रायपुर मेडिकल कॉलेज के 41 मुन्ना भाई-बहन”
किरण कीर्ति तिर्की, अभिषेक, *अनुराग यादव (वर्तमान में चंदूलाल चंद्रकार मेमोरियल हॉस्पिटल में पदस्थ), भूपेंद्र कुमार चंद्राकर, सुबोध सिंह, रश्मि प्रधान, ओमेश चौधरी, प्रशांत ठाकुर, ताम्रध्वज, *कावेरी डांडे (पास हो चुकी है), प्रकाश कुर्रे, कुंदन कुमार कंगन, रोहित कुमार (सभी 2008 बैच) श्वेता सोनवानी, धर्मेंद्र कुमार, संजय कुमार खांडे (2009 बैच)।
उक्ताशय को लेकर चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) के द्वारा एमसीआई छत्तीसगढ़ को पत्र लिखे जाने का उल्लेख हुआ है लेकिन…? अगर लिखा भी गया होगा तो उस पत्र का क्या हुआ होगा इससे आप सभी अवगत होंगे।
5 बैच में पकड़े गए थे 41 मुन्ना भाई…!
प्रदेश के तीन शासकीय मेडिकल कॉलेज में 41 मुन्ना भाई डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे, इनमें 2007, 08, 09, 10 और 2011 बैच के छात्र शामिल हैं; जिन्होंने छत्तीसगढ़ पीएमटी परीक्षा खुद पास नहीं की बल्कि व्यापमं की आँखों में धूल झोंककर इनकी जगह इनसे मिलते-जुलते चेहरे वाले लोगों ने परीक्षा दी मगर पढ़ाई वे खुद कर रहे हैं/थे। इनमें से कई तो प्रेक्टिस भी कर रहे हैं और कईयों ने तो एमडी की डिग्री भी हासिल कर लिया है।
साल 2010 में जब इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ तो सीआइडी को जांच का जिम्मा सौंपा गया और एक के बाद एक धरपकड़ शुरू हुई। कुछ जेल गए, लेकिन जेल में होने के बाद भी उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल गई। सीआइडी से मिली जानकारी के मुताबिक सभी को अग्रिम जमानत मिल चुकी, सभी के चालान कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं और मामला न्यायालय में लंबित है।
सूत्र बताते हैं कि ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश में भी हुआ था जहां इस मामले को तत्काल खत्म कर दिया गया मगर यह अविश्वसनीय छत्तीसगढ़ है जहां सब सम्भव है…