जीपी सिंह की बहाली का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने सेवा में वापसी के कैट के फैसले पर लगाई मुहर
आईपीएस (एडीजी) जीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई तब शुरू हुई जब वे पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में तैनात थे। पांच जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित कर दिया गया और तीन दिन बाद, आठ जुलाई को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया।
HIGHLIGHTS
- जीपी सिंह पर 2021 में दर्ज किए गए थे राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले।
- राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने जीपी सिंह को दी थी अनिवार्य सेवानिवृत्ति।
- जीपी सिंह ने सेवानिवृत्ति के खिलाफ कैट और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका।
रायपुर। आईपीएस (एडीजी) जीपी सिंह फिर से वर्दी में नजर आएंगे। कैट ने पहले ही उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले को गलत ठहराते हुए बहाल करने का आदेश दिया था। कैट के इस फैसले पर हाईकोर्ट की भी मुहर लग गई है। सिंह की बहाली के मामले की दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
मामले की सुनवाई न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और गिरीश कठपालिया की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने 30 अप्रैल 2024 को कैट की तरफ से जारी आदेश को सही ठहराया है। बता दें कि 1994 बैच के आइपीएस जीपी सिंह को छत्तीसगढ़ सरकार की अनुशंसा पर भारत सरकार ने फोर्सली रिटायर कर दिया था।
फैसले के खिलाफ जीपी सिंह ने ली कैट की शरण
इस फैसले के खिलाफ जीपी सिंह कैट की शरण ली। अप्रैल में दिए आदेश में कैट ने जीपी सिंह को चार हफ्ते के भीतर फिर से सर्विस ज्वाइन कराने का आदेश दिया, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं हो पाई तो जीपी सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
जीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई तब शुरू हुई जब वे पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में तैनात थे। पांच जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित कर दिया गया और तीन दिन बाद, आठ जुलाई को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया।
इसके जवाब में, जीपी सिंह ने नौ जुलाई 2021 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध का मामला बताया। इसी बीच, आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने उन्हें गुड़गांव से गिरफ्तार किया, जिसके बाद वे लंबे समय तक जेल में रहे। अंततः, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सिफारिश पर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी।