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Chhattisgarh

पांच साल नौकरी के बाद छत्‍तीसगढ़ की इस महिला ने शुरू किया स्‍टार्टअप, अब महिलाओं को दे रही नौकरी

मन में अगर चाह हो तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है। मेहनत और लगन की कुछ ऐसी ही कहानी है सुरभि गुप्‍ता की। एक टेक्सटाइल कंपनी में पांच साल नौकरी करने के बाद खुद स्‍टार्टअप शुरू किया और अब महिला काे रोजगार दे रही हैं।

HIGHLIGHTS

  1. नौकरी छोड़ हस्तमेव हस्तकारी नाम से शुरू किया स्टार्टअप।
  2. परंपरा को बढ़ाते हुए सुरभि महिलाओं को बना रही स्वावलंबी।
  3. रायपुर की सुरभि अब हथकरघा बुनकरों को कर रही प्रोत्साहित।

रायपुर। राजधानी रायपुर के संतोषी नगर निवासी सुरभि गुप्ता छत्‍तीसगढ़ की पारंपरिक कला को आगे बढ़ाते हुए युवा लघु उद्यमी के रूप में खुद की पहचान बना रही हैं। 28 वर्षीय सुरभि गुप्‍ता हथकरघा में स्वरोजगार के अवसर तलाश कर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहीं हैं। उन्होंने टेक्सटाइल की पढ़ाई करने के बाद पांच साल नौकरी की। वर्ष 2021-22 में हस्तमेव हस्तकारी नाम से स्टार्टअप शुरू किया। इसमें वे हाथ से साड़ी, शूट, थैले, कपड़े तैयार करती हैं।

सुरभि ने बताया कि कपड़ों की डिजाइन वे स्वयं करती हैं। इसके बाद बुनकर महिलाएं कपड़ा तैयार करती हैं और समूह की महिला कपड़े पर कढ़ाई, पेंटिंग आदि का काम करती हैं। कोसा और काटन से कपड़े तैयार किए जाते हैं। पेंटिंग प्राकृतिक रंगों से होती है। गोंडी, हल्बी आदि शिल्पकारी की जाती है। इस काम से लगभग 50 महिलाएं लाभान्वित हो रहीं हैं। हर महीने महिलाएं आठ से 10 हजार रुपये कमा रहीं हैं। हैंडलूम को बढ़ावा देने के लिए सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है।

काम को बांटकर महिलाएं बढ़ रहीं साथ

सुरभि ने बताया कि पुणे से टेक्सटाइल में स्नातक करने के बाद तीन बड़े टेक्सटाइल कंपनी में डिजाइनर के रूप में काम किया। इसके बाद नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट प्रोग्राम से जुड़कर छत्तीसगढ़ हथकघा बोर्ड के साथ काम किया। इसके बाद प्राथमिक बुनकर सोसायटी, हाथौद (बालोद) और रायपुर के स्व-सहायता समूह को कपड़ा डिजाइनिंग, पेंटिंग, कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया।

परिवार की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत

नमिता हस्तकारी के कपड़ों पर बुनाई का काम करने वाली रायपुर निवासी नमिता शर्मा बताती हैं कि वह पहले से सिलाई कढ़ाई का काम जानती थीं। सुरभि से लगभग दो महीने प्रशिक्षण लेकर कला में पारंगत हो गईं। इसके बाद घर से ही काम कर 10 हजार रुपये मासिक कमा रही हैं। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

आर्डर पर बुनते हैं कपड़ा

पुष्पा बाई हाथौद, बालोद की बुनकर महिला पुष्पा बाई देवांगन बताती हैं कि वे 2011 से कपड़े बुनाई का काम कर रहीं हैं। बालोद हथकरघा उत्पाद बनाने के लिए प्रसिद्ध है। जरूरत के अनुसार सुरभि कपड़े की बुनाई करने का आर्डर देतीं हैं। इससे आठ से 10 हजार रुपये मासिक वेतन मिल जाता है। साथ ही परिवार प्राथमिक बुनकर सोसायटी के लिए भी गुणवत्ता और अच्छे दिखने वाले उत्पादों का निर्माण और आपूर्ति करते हैं।

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