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Chhattisgarh

कल्लूरी विवाद,भूपेश बघेल जी अपना यह कदम शीघ्र वापस ले : स्वामी अग्निवेश।

रायपुर (hct)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा बस्तर में पदस्थ रहे पुलिस अधिकारी आईजी एसआरपी कल्लूरी को ईओडब्ल्यू और एसीबी का मुखिया बनाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हालांकि भूपेश बघेल ने इस विषय पर दो टूक यह कहकर विवाद को टालने का प्रयास जरूर किया कि ईओडब्ल्यू और एसीबी के हेड डीजीपी डीएम अवस्थी हैं। उनके मातहत कल्लूरी की नियुक्ति की गई है।
अवगत हो कि भूपेश बघेल ने विपक्ष में रहते हुए कल्लूरी पर कई सवाल उठाए थे…
उन्होंने कहा था कि, कल्लूरी की वजह से देश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। उनकी नियुक्ति ईओडब्ल्यू और एसीबी में जब की गई तो कई लोगों को आश्चर्य हुआ। देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस नियुक्ति को लेकर भूपेश बघेल पर हमला किया गया।
        बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला ने तो उनकी नियुक्ति को लेकर 22 जनवरी को आमरण अनशन पर ही बैठ गए थे, जिसे लेकर देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं मानवाधिकार संस्थाओं ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
      जिसके चलते सरकार के प्रमुख सलाहकार मंडल ने स्थिति को भांपते हुए मैराथन वार्ता के जरिए मान-मनौव्वल कर सरकार की छवि छीछालेदर होने से बचा लिया।
अब इसी विवाद में एक और कड़ी जुड़ गया है। देश के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि – “छत्तीसगढ़ की सरकार में मुख्यमंत्री बनने के साथ आदरणीय भूपेंद्र बघेल जी ने जो शानदार तरीके से महत्वपूर्ण कदम उठाए उसके लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई।
लेकिन साथ ही उन्होंने एसआरपी कल्लूरी जैसे एक बदनाम और अपराधी किस्म के पुलिस अफसर को फिर से प्रतिष्ठा देकर जो नियुक्ति की है उससे मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत दुख हुआ क्योंकि बस्तर सुकमा से आगे डोलना पार में मेरे ऊपर जानलेवा हमला कराने के पीछे सबसे बड़ा हाथ एसआरपी कल्लूरी का था और जब मैंने इसकी शिकायत की तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह जी से की तो उन्होंने उसी रात 26 जुलाई 2011 को उनका ट्रांसफर सरगुजा किया लेकिन बाद में दंतेवाड़ा के एसएसपी के बदले उन्हें पूरे बस्तर के पांचों जिलों का आईजी बना कर अत्याचार और अनाचार के लिए खुला छोड़ दिया। उनकी वजह से वहां दहशत का माहौल फिर खड़ा हो गया और जो जुडिशल इंक्वायरी जगदलपुर में हाई कोर्ट के जज द्वारा हो रही थी वह बुरी तरह से प्रभावित हुई। मैंने अपने बयान में दर्ज कराया कि जब तक कल्लूरी यहां पर आईजी रहेगा तब तक आदिवासियों के लिए दूरदराज से आकर यहां अपनी बात रखने का उचित अवसर नहीं मिल पाएगा। जज महोदय ने कहा कि इस नियुक्ति या उनको बदलने में मैं कुछ नहीं कर सकता। सरकार का फैसला है। तभी मैंने कहा था कि यह पूरी की पूरी जांच की प्रक्रिया अधूरी रह जाएगी निष्प्रभावी होगी क्योंकि मेरे ऊपर हमले का सारा का सारा अपराध कल्लूरी ने किया था और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में इस बात को उठाया था। दुर्भाग्य था कि यह कल्लूरी उस समय डॉ रमन सिंह के नाक का बाल बना हुआ था और उसके बारे में उन्होंने कुछ भी सुनना पसंद नहीं किया। यदि कल्लूरी को वहां से हटा दिया जाता तो आज भारतीय जनता पार्टी की जो हालत पूरे बस्तर में बनी आदिवासियों में शायद इतनी बुरी ना बनती। लेकिन मुझे आश्चर्य हो रहा है और दुख हो रहा है कि भूपेश बघेल जी ने अचानक यह कैसे निर्णय ले लिया क्योंकि वह स्वयं पहले कल्लूरी के खिलाफ बहुत तीखे बयान दे चुके हैं आज तो मौका था कि उसके ऊपर सख़्ती से जांच करवाते और उसकी जगह जेल में होती। बजाए उसके उन्हाेंने उसे प्रतिष्ठित पद पर बैठा दिया। यह काम और कोई व्यक्ति भी कर सकता था।
मैं अभी भी उम्मीद करता हूं भूपेश बघेल जी अपना यह कदम शीघ्र वापस लेंगे और छत्तीसगढ़ के वातावरण को फिर से एक बार बिगड़ने से बचाएंगे। जरूरत पड़ी तो मैं दिल्ली में श्री राहुल गांधी जी से भी मिलकर यह मुद्दा उठाऊंगा। कांग्रेस पार्टी की छवि अच्छी बनी रहे और आगे के लिए इस का मार्ग प्रशस्त होता रहे यह मेरी हार्दिक इच्छा है।”

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