“तू चमार है तेरे को सबसे आखरी में खाना देंगे !”

दम टूट गया है ? मर गयी हमारी शिक्षा व्यवस्था ?
या
“संविधान दम तोड़ चुका है इस लोकतांत्रिक, तथाकथित विश्वगुरु भारत देश में ?”

क्या इस तस्वीर का जिम्मेदार सीधे तौर पर जिले का जिलाधीश नहीं ?

तस्वीर, छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र-तेलंगाना (बीजापुर-भोपालपट्टनम) नेशनल हाईवे की है।
युकेश चंद्राकर, पत्रकार।
हाईवे पर नंगे पांव इन पांच बच्चों के साथ एक बच्चा और भी है जिसके पैर बैलगाड़ी पर बैठे बच्चे के पैरों के ठीक पीछे से झांकते हुए दिखाई दे रहे हैं।
पांच पांडवों के पीछे एक कर्ण ! खैर, मसला पढ़ ही लीजिये कि जातिगत भेदभाव भारत को कैसे खोखला करता है..
मैं छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर से न्यूज़ कलेक्ट कर बीजापुर लौट रहा था। छत्तीसगढ़ में नक्सल आतंक नाम से बदनाम बस्तर के बीजापुर-भोपालट्टनम के बीच मद्देड थानाक्षेत्र के संगमपल्ली पंचायत केंद्र के नज़दीक सीआरपीएफ कैम्प के ठीक सामने ये बच्चे बैलगाड़ी खींचते हुए नज़र आ गए।
मैंने बच्चों को रुकने कहा तो उन्होंने गाड़ी किनारे कर ली और रुक गए। बातचीत आगे बढ़ी तो पता चला कि, सामने जो तीन बच्चे लकड़ियों से भरी गाडी खींच रहे हैं उनमें दो बच्चे जो लाल टीशर्ट पहने हुए हैं वे महाराष्ट्र के हैं, एक बच्चा जो ग्रीन-चेक शर्ट में है उसकी जाति चमार है। मैंने बच्चों से उनकी पढाई के बारे में बात शुरू की तब ग्रीन-चेक शर्ट पहने बच्चे ने अपनी बात रखते हुए बताया कि उसकी जाति चमार होने के कारण सरकारी स्कूल के हॉस्टल में भी उसे हॉस्टल स्टाफ द्वारा जातिगत टिप्पणी करते हुए कहा जाता था कि, “तू चमार है, तेरे को सबसे आखरी में खाना देंगे !” या फिर यह भी हो जाता था कि उसे बाक़ी बच्चों के साथ बैठकर खाने नहीं दिया जाता ! नतीजतन, उसने हॉस्टल छोड़ घर से पढ़ाई शुरू कर दी।
       आज सभी सरकारी हॉस्टल्स में जश्न मनाया जा रहा है और ये बच्चे जंगल जाकर घर के चूल्हे में आग के लिये, अपने से 5 गुना वजनी लकड़ियां उठाकर नेशनल हाईवे पर नंगे पांव चलने को मजबूर !
लोकसभा चुनावी शंखनाद कोई भी करें लेकिन, बस्तर की भी एक सीट है (समझ जाईये, क्या कहना चाहती है ये तस्वीर)।
@smriti_irani
@Bhupesh_baghel

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