प्रतीकात्मक भ्रष्टाचारी रावण की लंका लोक निर्माण विभाग छत्तीसगढ़
आय से अधिक संपत्ति से लेकर करोड़ों के भुगतान विवाद तक, शिकायतों और अभिलेखों का ढेर; मगर कार्रवाई ठंडे बस्ते में”

वर्ष 2025 का 02 अक्टूबर इस बार विशेष दर्ज होगा।
आम तौर पर यह दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार दशहरा भी इसी दिन पड़ रहा है। यानी अहिंसा के प्रतीक और दुराचार पर विजय का पर्व, दोनों का संगम एक ही तारीख को हो रहा है। परंपरा के अनुसार हर वर्ष प्रतीकात्मक रूप से रावण दहन किया जाता है, किंतु समाज में भ्रष्टाचार का यह प्रतीक रावण बार–बार नए रूप में सामने आता है। इस बार छत्तीसगढ़ का लोक निर्माण विभाग (PWD) उसी प्रतीकात्मक बहस का केंद्र बना है।
।। Disclaimer ।।
यह रिपोर्ट उपलब्ध सार्वजनिक दस्तावेज़ों, न्यायालयीन अभिलेखों एवं प्राप्त शिकायतों पर आधारित है। प्रकरण विचाराधीन है, अंतिम निर्णय माननीय न्यायालय पर निर्भर।
रायपुर hct : छत्तीसगढ़ प्रदेश का पीडब्ल्यूडी विभाग इन दिनों बेहद चर्चा में है। 5 बरस सत्ता से विमुख रहने के पश्चात कोई और विकल्प नहीं होने के कारण एक बार फिर प्रदेश की जनता ने भाजपा पर विश्वास मत झोंक दिया और विष्णु देव साय के नेतृत्व में भाजपा सरकार मारे चिंहुक के “सुशासन” का ढोल पीट रही है।
दरअसल इस ढोल के पीछे का पोल जैसा कि चर्चा में रहा है कि भाजपा को जीत के मुकाम में पहुंचाने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि अरुण साव जी हैं जिन्हें इसी वजह से उपमुख्यमंत्री के पद से उपकृत किया गया है, पीडब्ल्यूडी विभाग का भी प्रभार इन्हीं के कन्धों पर है। सूत्रों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव को शायद गुमराह कर कुछ शातिर अधिकारियों को विभाग में प्रमुख जिम्मेदारी दी गई, जिन पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप दर्ज हैं।
संरक्षण प्राप्त होने की चर्चा
विभागीय गलियारे में चर्चा-ए-आम है कि विभागीय मंत्री महोदय का, विभाग के एक ऐसे अधिकारी विजय कुमार भतपहरी पर जिसे एसीबी और ईओडब्ल्यू के कर्णधारों ने “आय से अधिक संपत्ति” के मामले में अपराध प्रकरण क्रमांक 56/2011 के अंतर्गत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) ई, 13(2) के तहत उनके परिजनों की संपत्ति का 73 पृष्ठों का ब्यौरा न्यायालय में प्रस्तुत किया है; जो अभी भी न्यायालयीन प्रक्रिया में है, सीधा-सीधा ना सहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वरदहस्त तो प्राप्त नहीं ?
एसीबी और ईओडब्ल्यू की टेढ़ी नजर …
बात यही खत्म हो जाती तो ठीक था; किंतु एसीबी और ईओडब्ल्यू के कर्णधारों की टेढ़ी नजर इस कथित भ्रष्ट आचरण वाले अधिकारी पर लगी हुई थी, और मौका मिलते ही एक बार फिर विजय कुमार भतपहरी और सात अन्य विभागीय अधिकारियों पर अपराधिक षडयंत्र कर शासन को क्षति पहुंचाए जाने का आरोप लगाकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1)D एवं 13 (2) तथा 420, 120(B) भा.दं.सं. के तहत अपराध क्रमांक – 45/2015 के अंतर्गत 62 पृष्ठों का लेखा-जोखा बनाकर मामला माननीय न्यायालय में पेश किया गया। मगर…
अन्वेषणकर्ताओं की मेहरबानी
एक छत्तीसगढ़ी कहावत – “बो दे गहूं, रेंग दे कहूं” के तर्ज पर एसीबी और ईओडब्ल्यू के महानुभवों ने आरोपियों के खिलाफ ना तो पुख़्ता सबूत पेश कर पाए और ना ही गवाही के दौरान न्यायालय में उपस्थित हुए…(?) जिसके चलते माननीय न्यायालय ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में 1. विजय कुमार भतपहरी, 2. श्री अरूण कुमार चक्रवर्ती, 3. श्री एस के शर्मा, 4. श्री अशोक कुमार श्रीवास, 5. श्री आशीष कुमार भट्टाचार्य, 6. श्री अश्वनी कुमार वर्मा एवं विनोद कुमार जैन (ठेकेदार) और विनय कुमार जैन (ठेकेदार) के विरूद्ध दर्ज अपराध क्रमांक – 45/2015 अंतर्गत धारा 13(1)D, 13(2) एवं भा.दं.सं. की धारा 420, 120 (B) खात्मा क्रमांक 07/2020 स्वीकार कर प्रकरण को खारिज करते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया…
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस = थोथा चना बाजे घना
भ्रष्टाचार के मामलों में नामजद जिस अधिकारी को कांग्रेस सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हटा दिया था सत्ता वापसी के साथ ही उनको “विष्णु भोग” बटने लगा ! इसी क्रम में उप मुख्यमंत्री अरुण साव जी ने शायद अनजाने में भ्रष्टाचार संबंधी गंभीर मामलों में नामजद रहे अधिकारी विजय कुमार भतपहरी को विभाग में फिर से जिम्मेदारी मिली और उसे लोक निर्माण विभाग में प्रमुख अभियंता के पद पर सुशोभित कर दिया ! जबकि विजय कुमार भतपहरी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामले में अभी भी वाद चल रहा है।
भ्रष्टाचार की फेहरिस्त
यहाँ यह बात बताना आवश्यक हैं कि एसीबी और ईओडब्ल्यू के द्वारा दर्ज अपराध की श्रेणी में विजय कुमार भतपहरी के भ्रष्टाचार की फेहरिस्त सिर्फ इतनी नहीं जितना उपरोक्त साक्ष्य के आधार पर लिखा गया है बल्कि, भोरमदेव मार्ग निर्माण में शासन को 37 लाख रुपये की क्षति पहुंचाने पर अपराध क्रमांक 27/2011 पंजीबद्ध किया गया। इसी तरह मानपुर, संबलपुर मार्ग के निर्माण में 5 करोड़ रुपये का नियम विरुद्ध भुगतान करने के आरोप में प्रकरण क्रमांक 28/2011 भी दर्ज हुआ। और ..
शिकायतों का अम्बार
तमाम प्रकरणों को नस्तीबद्ध करते हुए इसकी शिकायत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर केन्द्रीय मंत्री अमित शाह सहित केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राज्यपाल रमन डेका, केन्द्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री अरुण साव, उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी,
विधानसभाध्यक्ष डॉ रमन सिंह, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, राज्य प्रभारी (छ.ग.) नितीन नवीन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, प्रवर्तन निदेशालय रायपुर, माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय बिलासपुर, संचालक : केन्द्रीय सर्तकता आयोग, सहित पुलिस महानिदेशक रायपुर, मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन के अलावा संगठन मंत्री पवन साय, संघ प्रमुख मोहन भागवत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सुरेश सोनी को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई करने और विभाग से बर्खास्तगी की मांग रखी गई है।
असंतोष के घुमड़ते बादल
उक्त तमाम महानुभवों से शिकायत के बाद भी आज दिनांक तक किसी भी प्रकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने से ठेकेदारों और सम्बंधितों में असंतोष बढ़ते जा रहा है जो किसी भी दिन आंदोलन में तब्दील हो सकता है जिससे शासन–प्रशासन को प्रत्यक्ष ना सहीं अप्रत्यक्ष नुकसान उठाना पड़ सकता है।
