ग्राम पंचायत भवन पर रसूखदार का कब्ज़ा! शिकायत के बाद भी “सिस्टम” अब तक खामोश !
बालोद जिले के चिटौद पंचायत में सरकारी संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा — पंचायत प्रतिनिधियों ने थाने में दर्ज कराई शिकायत, लेकिन रसूख की “छतरी” अब तक कायम

बालोद जिले के गुरुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिटौद में एक पुराना पंचायत भवन इन दिनों विवादों के केंद्र में है। जहां सरकार नए पंचायत भवन का निर्माण करवा रही है, वहीं पुराने भवन पर एक परिवार ने “स्वयं सहायता समूह” के नाम पर कब्ज़ा कर रखा है। यह वही भूमि है जो सरकारी संपत्ति मानी जाती है, और जिस पर ग्राम पंचायत का अधिकार होता है। लेकिन यहाँ मामला सिर्फ कब्ज़े का नहीं — बल्कि उस मानसिकता का भी है, जो सरकारी संपत्तियों को भी “पैतृक संपत्ति” समझ बैठी है।
जब विकास की जगह दिखी दबंगई की दीवार
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत चिटौद में नया पंचायत भवन निर्माणाधीन है। इस बीच पुराने भवन पर एक स्थानीय युवक मोहनिश सिन्हा पिता केशव सिन्हा ने कथित तौर पर कब्ज़ा कर लिया है। यही नहीं, आरोप है कि जब पंचायत प्रतिनिधियों ने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने जातिसूचक गालियाँ दीं और जान से मारने की धमकी तक दी। अब मामला बालोद अजाक थाना और पुरूर थाना दोनों जगह पहुँच चुका है, जहाँ पंचायत सदस्यों ने लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
पंचायत प्रतिनिधि बोले — सरकारी भवन पर निजी कब्ज़ा अस्वीकार्य
शिकायत में आदिवासी पंच सदस्यों ने साफ कहा है कि यह भवन पहले रेडी टू फूड योजना के संचालन के लिए तारा स्वयं सहायता समूह को अस्थायी रूप से दिया गया था। लेकिन योजना बंद हुए तीन साल बीत चुके हैं, फिर भी भवन लौटाया नहीं गया। ग्रामवासियों का कहना है कि यह भवन ग्राम विकास के कार्यों में फिर से उपयोग में लाया जा सकता था, पर अब वह “व्यक्तिगत हकदारी” का प्रतीक बनकर खड़ा है।
प्रशासन की चुप्पी और जनता का सवाल
मामले ने गांव में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। पंचायत प्रतिनिधियों की शिकायत के बाद भी पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई का इंतज़ार जारी है। सवाल यही उठ रहा है कि क्या सरकारी भवन पर कब्ज़ा करने वालों की पहुँच इतनी लंबी है कि कार्रवाई की फाइलें भी उनके सामने नतमस्तक हो जाएं…

