गरियाबंद में मानव दुर्व्यवहार विरोधी दिवस पर संकल्पबद्ध हुए बच्चे।
समर्पित संस्था ने दिलाई "न्याय तक पहुंच" की शपथ।

सुडौली स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बालक-बालिकाओं और शिक्षकों ने लिया संकल्प, बाल यौन शोषण, बाल विवाह और तस्करी के विरुद्ध मिला संदेश। जब बच्चों ने कहा – “अब और नहीं सहेंगे अन्याय”, तब सुडौली स्कूल की दीवारें भी गूंज उठीं शपथ के स्वरों से; गरियाबंद में ‘न्याय तक पहुंच’ अभियान ने दिलाई आवाज़ उन मासूमों को, जो अब तक चुप थे – अब वो चुप नहीं रहेंगे, क्योंकि अन्याय के खिलाफ अब स्कूल से ही उठेगी पहली आवाज़!
गरियाबंद hct : विश्व मानव दुर्व्यवहार विरोधी दिवस के अवसर पर, गरियाबंद जिले के शासकीय हाई स्कूल सुडौली में एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल देखने को मिली। समर्पित संस्था द्वारा संचालित “एक्सेस टू जस्टिस – न्याय तक पहुंच” परियोजना के अंतर्गत बच्चों, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय को बाल शोषण और तस्करी के विरुद्ध जागरूक किया गया।
“शोषण के खिलाफ उठी मासूम आवाज़”
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणादायक शपथ के साथ हुई, जिसमें बालक-बालिकाओं के साथ-साथ शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी सहभागिता निभाई। यह शपथ बाल यौन शोषण, श्रम हेतु बाल तस्करी और बाल विवाह जैसे अपराधों के विरोध में ली गई थी।
गौरतलब है कि “न्याय तक पहुंच” परियोजना का शुभारंभ गरियाबंद जिले में 1 जून 2025 से किया गया है। इस परियोजना के माध्यम से समाज के कमजोर और संवेदनशील वर्गों तक न्याय पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे संस्था के संचालक माननीय डॉ. संदीप शर्मा, जिन्होंने बताया कि – “हमारा लक्ष्य न केवल पीड़ितों को कानूनी सहायता दिलाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि कोई बच्चा बाल विवाह, यौन शोषण या जबरन श्रम का शिकार न बने। इसके लिए हम हर स्तर पर सामुदायिक जागरूकता फैला रहे हैं।”
इस अवसर पर जिला समन्वयक श्रीमती रमा जावलकर, कम्युनिटी सोशल वर्कर नंदिनी नंदकुमार और भंवर नागेश की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। उन्होंने छात्रों से संवाद कर उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया और यह भरोसा दिलाया कि समाज में बदलाव लाने की शुरुआत स्कूल से ही होती है।
इसके अलावा, छात्रों को आसान भाषा में बताया गया कि शोषण या तस्करी के किसी भी प्रयास को किस तरह पहचाना जाए और कहाँ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
कार्यक्रम की विशेषताएँ
- बच्चों और शिक्षकों को कानूनी अधिकारों की जानकारी दी गई।
- बाल विवाह मुक्त भारत के अभियान में स्थानीय सहभागिता को बल दिया गया।
- “शोषण का विरोध करें – न्याय तक पहुंच बनाएं” का संदेश जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प।
- “सुरक्षित बचपन – सशक्त समाज” की दिशा में एक और मजबूत कदम।
अंततः, यह कार्यक्रम न केवल एक आयोजन बनकर रह गया, बल्कि यह एक संदेश छोड़ गया — कि जब बच्चे जागरूक होंगे, तभी समाज सुरक्षित होगा।


Hi my loved one I wish to say that this post is amazing nice written and include approximately all vital infos Id like to peer more posts like this