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Chhattisgarh

संकुल भवनों के अभाव में मरम्मत के नाम पर झोलझाल का अंदेशा

समग्र शिक्षा में पारदर्शिता पर सवाल, गैर-मौजूद भवनों की मरम्मत के नाम पर अनियमितता

*छुरा (गरियाबंद) hct desk : विकासखंड छुरा में समग्र शिक्षा योजना के तहत संकुल केंद्रों की संख्या में वृद्धि तो हुई, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने सवाल खड़े कर दिए हैं। तीन साल पहले यहां 20 संकुल केंद्र थे, जिनके लिए भवन बनाए गए थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 35 हो गई है, यानी 15 नए संकुल केंद्र जोड़े गए।
हैरानी की बात यह है कि इन अतिरिक्त केंद्रों के लिए कोई नया कार्यालय भवन नहीं बनाया गया। फिर भी, मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिसने योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

मरम्मत का बजट, पर भवन कहां?

समग्र शिक्षा योजना के तहत प्रत्येक संकुल समन्वयक को सालाना 70-80 हजार रुपये विभिन्न कार्यों के लिए मिलते हैं। इसमें से करीब 20,000 रुपये संकुल भवन की मरम्मत और रखरखाव के लिए निर्धारित हैं। सवाल यह है कि जब 15 नए संकुल केंद्रों के लिए भवन ही नहीं हैं, तो यह राशि किस मद में खर्च हो रही है? सूत्रों के मुताबिक, यह अनियमितता पिछले दो-तीन साल से चली आ रही है। इस बारे में पूछे जाने पर जिम्मेदार अधिकारी स्पष्ट जवाब देने से कतराते हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर

समग्र शिक्षा योजना के तहत संकुल समन्वयकों को 4-5 किलोमीटर के दायरे में काम करने के साथ-साथ अपने स्कूल में दो कालखंड पढ़ाने का नियम है। लेकिन इस नियम की अनदेखी की शिकायतें आम हैं। कई स्कूलों में तो दो में से एकमात्र शिक्षक को समन्वयक बना दिया गया है, जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। समन्वयकों को मिलने वाली राशि के उपयोग पर भी स्थानीय लोग सवाल उठाते हैं।

राशि का ब्योरा और उसका उपयोग

  • मरम्मत मद (20,000 रुपये): भवन रखरखाव, रंग-रोगन, शौचालय मरम्मत और सफाई के लिए।
  • टीएलएम ग्रांट (5,000 रुपये): शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री के लिए।
  • मीटिंग-टीए मद (15,000 रुपये): बैठकों और मॉनिटरिंग यात्रा के लिए।
  • आकस्मिक व्यय (40,000 रुपये): स्टेशनरी, बिजली, कंप्यूटर सामग्री और कार्यालयीन जरूरतों के लिए।

सच्चाई से मुंह मोड़ते नज़र आए अधिकारी !

छुरा के खंड स्रोत समन्वयक हरीश देवांगन ने इस मामले में जानकारी होने से इनकार किया। उनका कहना है कि उन्हें नहीं पता कि कितने संकुल भवनों का अस्तित्व है। उन्होंने अनुमान लगाया कि शायद समन्वयक अस्थायी भवनों में राशि खर्च कर रहे हों। उन्होंने यह भी कहा कि राशि का निरीक्षण जिला समग्र शिक्षा कार्यालय करता है, इसलिए उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

विश्वसनीयता पर सवाल


संकुल भवनों के अभाव में मरम्मत के नाम पर हो रहे खर्च और समन्वयकों के कामकाज में पारदर्शिता की कमी ने समग्र शिक्षा योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय किए बिना इस तरह की अनियमितताओं पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा।
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